नेताजी के नाम के फिल्म में ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए परिजनों की PIL दायर करने की योजना

कोलकाता. अगस्त 1945 में हुए विमान हादसे के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवित बचने की धारणा पर आधारित एक फिल्म के रिलीज होने से कुछ दिन पहले उनके परिजनों ने कहा कि वे ‘आर्थिक लाभ के लिए नेताजी के नाम के दुरुपयोग को’ रोकने के लिहाज से जनहित याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं.

अमलान कुसुम घोष के निर्देशन में बनी फिल्म ‘संन्यासी देशोनायक’ 28 अक्टूबर को रिलीज होगी. घोष ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि विरोध करने वाले लोग ‘फर्जी विवाद’ खड़ा कर रहे हैं जिससे फिल्म को फायदा ही होगा. इससे पहले 2019 में भी एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई ऐसी अन्य फिल्म में नेताजी के दुर्घटना में जीवित बचने की बात दर्शाई गयी. सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने ‘विवादास्पद विषय’ पर आधारित फिल्मों को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा मंजूरी दिये जाने पर सवाल उठाया.

बोस ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह सामान्य बात हो गयी है. फिल्मकार ताइपे दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु की जांच करने वाले आयोग की रिपोर्ट पढ़े बिना उन पर फिल्म बना रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘नेताजी को गलत तरह से प्रस्तुत किया गया है. आप ऐसा नहीं कर सकते. नेताजी पर अनुसंधान करने का दावा करने वाले लेखकों और फिल्मकारों ने बिना किसी सबूत के उनकी तुलना एक संन्यासी (गुमनामी बाबा) से करके उनकी छवि खराब की है.’’

बोस ने दावा किया कि ऐसी किताबों और फिल्मों से नेताजी की छवि खराब की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हम इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं और वकीलों से सलाह ले रहे हैं. हम इसे कलकत्ता उच्च न्यायालय में या राष्ट्रीय विषय होने के नाते उच्चतम न्यायालय में दायर करने पर विचार कर रहे हैं.’’ घोष ने दावा किया है कि उनकी फिल्म उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनोज कुमार मुखर्जी के साक्षात्कार पर आधारित है जिन्हें केंद्र सरकार ने 1999 में नेताजी की मौत के मामले में जांच करने का निर्देश दिया था.

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