उरी सेक्टर से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद: सेना

आतंकवादियों की घुसपैठ को लेकर पाकिस्तानी पक्ष में भारी हताशा: सेना अधिकारी

श्रीनगर/नयी दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में बारामूला जिले के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एके-74 राइफलों, पाकिस्तानी हथगोले और ‘आई लव पाकिस्तान’ लिखे गुब्बारों सहित भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है. सेना के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

अधिकारी ने कहा कि यह बरामदगी ऐसे समय हुई है जब कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने या युद्धक सामग्री की तस्करी को लेकर पाकिस्तानी पक्ष में भारी हताशा है, क्योंकि घाटी में आतंकवादियों की संख्या और हथियारों तथा गोला-बारूद की मात्रा अब तक के सबसे कम स्तर पर है.

सेना की 19 इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल आॅफिसर कमांंिडग (जीओसी) मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने कहा कि उरी में रामपुर सेक्टर के हथलंगा में घुसपैठ के प्रयासों और आतंकवादियों द्वारा हथियार एवं गोला-बारूद छोड़े जाने के बारे में दो सप्ताह से विभिन्न खुफिया एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर एलओसी पर तलाशी अभियान चलाया गया.

सेना अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को हथलंगा नाला क्षेत्र में एक तलाशी अभियान शुरू किया गया था, जो आठ घंटे तक चला और हथियार, गोला-बारूद और अन्य युद्धक सामग्री जैसी चीजों की बरामदगी के साथ समाप्त हुआ. उन्होंने कहा कि बरामद की गईं वस्तुओं में आठ एके-74 राइफल, 24 एके-74 राइफल मैगजीन, एके-74 के 7.62 एमएम के 560 कारतूस, .30 एमएम की 12 चीनी पिस्तौल, चीनी पिस्तौल की 24 मैगजीन, .30 एमएम की पिस्तौल के 244 कारतूस, नौ चीनी हथगोले, पांच पाकिस्तानी हथगोले, 81 गुब्बारे जिन पर “आई लव पाकिस्तान” लिखा हुआ था, और पाकिस्तानी चिह्न वाले पांच ंिसथेटिक टाट शामिल हैं.

मेजर जनरल चांदपुरिया ने कहा, ‘‘कश्मीर घाटी में स्थिति सामान्य है और आतंकवादियों की संख्या तथा हथियारों एवं गोला-बारूद की उपलब्धता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. इसलिए, दूसरी ओर से आतंकवादियों की घुसपैठ या युद्धक सामग्री जैसी चीजों की तस्करी को लेकर वहां भारी हताशा है.’’ सेना के अधिकारी ने हथियारों की बरामदगी का जिक्र करते हुए कहा कि सुरक्षाबलों को नियमित रूप से इस तरह की खबरें मिलती रहती हैं और अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इस तरह की सामग्री को हासिल करने का यह आतंकवादियों का प्रयास था या तस्करों का.

उन्होंने कहा, “हम अभी भी जानकारी को लेकर काम कर रहे हैं और कुछ विवरण साझा नहीं किए जा सकते, लेकिन लॉन्चपैड के पास एक गतिविधि हुई. संभवत: वे (आतंकवादी) घबरा गए और युद्धक सामग्री जैसी चीजों को छोड़कर उस तरफ भाग गए.’’ मेजर जनरल चांदपुरिया ने कहा कि विगत में भी सीमा पर न केवल घुसपैठ के प्रयास किए गए हैं, बल्कि हथियार एवं गोला-बारूद तथा मादक पदार्थों की तस्करी भी की गई है.

उन्होंने कहा, “इस तरह के कुछ इलाके हैं जहां एलओसी की बाड़ के आगे, एलओसी के करीब हमारे घर हैं, और एलओसी पर लोगों की आवाजाही के कारण समय-समय पर इस तरह के प्रयासों की सूचना मिलती रहती है.” सेना अधिकारी ने कहा कि इस सेक्टर में इस साल एलओसी पर या एलओसी के पास करीब छह-आठ अभियानों में 14 एके राइफल, 20 पिस्तौल, एक एम 16 राइफल, 76 हथगोले, एके राइफल के 1226 कारतूस, नौ एमएम के 484 कारतूस, 15 किलोग्राम मादक पदार्थ तथा नशीली वस्तुओं के 10 अन्य संदिग्ध पैकेट बरामद किए गए हैं.

जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रक्षा बुनियादी ढांचे को और मजबूती दे रहा भारत
भारत-पाकिस्तान द्वारा 2021 में सैन्य संघर्षविराम की घोषणा के बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रक्षा बुनियादी ढांचे में बहुत बड़े पैमाने पर सुधार किया है, जिसमें सेना के टैंकों के लिए रैंप बनाने और बीएसएफ बंकरों को मजबूत करना शामिल है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जम्मू स्थित सीमाक्षेत्र के 26 किलोमीटर के खंड में बुनियादी ढांचे के जीर्णोद्धार और कुछ नए निर्माण का पहला चरण हाल ही में पूरा किया गया है, जबकि इसी क्षेत्र में 33 किलोमीटर के खंड का एक और काम जारी है.
भारत-पाकिस्तान की कुल 2,289 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा में से जम्मू 192 किलोमीटर की सरहद साझा करता है. वहीं, दोनों पड़ोसी देशों के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) प्रमुख रूप से कश्मीर में पड़ती है और यह लगभग 772 किलोमीटर लंबी है.

अधिकारियों ने कहा कि रक्षा बुनियादी ढांचे के विकास में विभिन्न ‘डीसीबी’ (तटबंध) का निर्माण और पुनरुद्धार, क्षतिग्रस्त सीमा बाड़ का रखरखाव, ऊंचे क्षेत्रों में सेना के टैंकों की आवाजाही के लिए रैंप का निर्माण, सीमा सुरक्षा बल ‘मोर्चा’ (सैनिक पोस्ट) का उन्नयन और निगरानी समेत अन्य सुरक्षा तंत्र की तैनाती के मद्देनजर बंकरों की मजूबती शामिल है.
उन्होंने कहा कि यह काम केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले कोष से किया जा रहा है.

अधिकारियों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान द्वारा 20 फरवरी, 2021 को जम्मू और कश्मीर मोर्चे पर अपने संघर्ष विराम समझौते पर सहमति के बाद इन कार्यों को शुरू किया गया था और पहले चरण (26 किलोमीटर का हिस्सा) का काम पूरा कर लिया गया है.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘दूसरा पक्ष (पाकिस्तान) भी इसी तरह का काम कर रहा है और सीमा बाड़ के पास कोई बड़ा विकास कार्य होने की स्थिति में दोनों पक्ष एक दूसरे को सूचित करते रहते हैं.’’

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