वायुसेना ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती प्रक्रिया शुरू की

नयी दिल्ली. कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के एक हफ्ते बाद शुक्रवार को पंजीकरण खिड़की खुलने के साथ ही अग्निपथ योजना के तहत भारतीय वायुसेना में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई. वायुसेना ने ट्विटर पर कहा, “अग्निवीरवायु के लिए आवेदन करने के वास्ते पंजीकरण ंिवडो आज सुबह 10 बजे से चालू है.” गत 14 जून को अग्निपथ योजना प्रस्तुत करते हुए सरकार ने कहा था कि साढ़े सत्रह से 21 वर्ष की आयु तक के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती किया जाएगा जिनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा के लिए रखा जाएगा.

देश के कई हिस्सों में इस योजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे. कई विपक्षी दलों और सैन्य विशेषज्ञों ने इस योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि इससे सशस्त्र बलों की अभियानगत क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. सरकार ने 16 जून को योजना के तहत भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को वर्ष 2022 के लिए 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था.
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वालों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा.

सेना ने कहा है कि नयी योजना से रक्षा बलों का युवा प्रोफÞाइल सुनिश्चित होगा और समय के साथ सैनिकों की औसत आयु 32 साल से घटकर 26 वर्ष हो जाएगी. तीनों सेना प्रमुखों ने इस योजना का पुरजोर समर्थन किया है, जिसे दो साल से अधिक विचार-विमर्श के बाद लाया गया है.

वैश्विक व्यवस्था के सामने चुनौती बढ़ती जा रही है: वायु सेना प्रमुख

वायु सेना प्रमुख वी. आर. चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक व्यवस्था के सामने लगातार चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं और नियमों का बहुत कम या कतई सम्मान नहीं किया जा रहा. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सामरिक प्राथमिकताओं का पुन: आकलन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कार्य फिर से व्यवस्थित करने चाहिए कि वह पीछे न छूट जाए.

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष विभिन्न चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि सैन्य रणनीतिकारों को ‘‘युद्ध लड़ने’’ के प्राथमिक उद्देश्य को नहीं भूलना चाहिए. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जारी है, अफगानिस्तान में हालात खराब हैं और यूक्रेन में संकट के कारण भू-राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गई है.
वायु सेना प्रमुख ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा कि ‘‘जबरन’’ कार्रवाई करना नयी रणनीति बन गया है तथा साइबर, सूचना और अंतरिक्ष क्षेत्र ‘‘नए युद्धक्षेत्र’’ बन गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘आज हम तेजी से बदलते अंतरराष्ट्रीय हालात देख रहे हैं, जिसे जटिल बहुध्रुवीय विश्व से मिलने वाली चुनौती बढ़ती जा रही है और नियमों या भू-राजनीतिक परस्पर गतिविधियों की पारंपरिक प्रक्रियाओं का बहुत कम या कोई सम्मान नहीं किया जा रहा.’’ एयर चीफ मार्शल ने कहा कि कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सूचना को संपर्क के ‘‘प्राथमिक उपकरण’’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और सैन्य उपकरण एक निवारक के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

उन्होंने एक सेमिनार में कहा, ‘‘जबरन कदम उठाना नई रणनीति बन गया है और साइबर, सूचना एवं अंतरिक्ष नए युद्ध क्षेत्र बन रहे हैं, इसलिए हमें अपनी सामरिक प्राथमिकताओं का फिर से आकलन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कदमों को फिर से व्यवस्थित करना चाहिए कि हम पीछे न छूट जाएं.’’ भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित पहले ‘युद्धक और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम’ (डब्ल्यूएएसपी) के समापन पर यह सेमिनार आयोजित किया गया था. वायु सेना प्रमुख ने उम्मीद जताई कि यह कार्यक्रम अधिकारियों को पूरी सरकार के दृष्टिकोण को समझने और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों से निपटने में अपनी स्वतंत्र राय विकसित करने में मदद करेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि कई विषयों से प्राप्त विचारों का संगम ऐसी महत्वपूर्ण सोच को जन्म दे सकता है जिससे कोई व्यक्ति समाधान खोजने के साथ-साथ अधिक तर्कसंगत और प्र भावी निर्णय लेने में सक्षम बन सकता है.’’ वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘साथ ही एक सैन्य रणनीतिकार को अपने प्राथमिक उद्देश्य को नहीं भूलना चाहिए और वह उद्देश्य युद्ध लड़ना है, इसलिए युद्ध लड़ने की कला एवं विज्ञान की गहरी समझ विकसित करते हुए हमारा ध्यान अभियानगत स्तर के लिए अहम सोच और रणनीति पर रहना चाहिए.’’ एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि अच्छी तरह से तैयार की गई रणनीति सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सफलता की गारंटी नहीं दे सकती, लेकिन सुसंगत और स्थायी रणनीति नहीं होने पर विफलता तय है.

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