इमरान खान अवमानना के आरोपों से बचे, अदालत ने कारण बताओ नोटिस लिया वापस

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान न्यायालय की अवमानना के आरोपों में सोमवार को बच गए. दरअसल, यहां की एक अदालत ने एक महिला न्यायाधीश को धमकी देने से जुड़े एक मामले में उनका लिखित जवाब स्वीकार कर लिया और उन्हें जारी किया गया कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख खान (69) सोमवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए, जहां मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय वृहद पीठ ने की. पीठ के अध्यक्ष इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्ला थे. पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी, मियांगुल हसन औरंगजेब, तारिक महमूद जहांगीरी और बाबर सत्तार शामिल थे.

सुनवाई के दौरान, खान के वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल ने कारण बताओ नोटिस के प्रथम दो जवाब को असंतोषजनक करार दिए जाने के बाद तीसरा जवाब सौंपा था. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश मिनाल्ला ने कहा कि पीठ खान की माफी और आचरण से संतुष्ट है. उन्होंने कहा, ‘‘अदालत की अवमानना के मामले में हम बहुत सावधानी बरतते हैं.’’ उन्होंने कहा कि अदालत खान को जारी नोटिस खारिज कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह वृहद पीठ का आम सहमति से लिया गया फैसला है.’’ खान ने अपने सहयोगी शहबाज गिल के साथ किये गये बर्ताव को लेकर 20 अगस्त को इस्लामाबाद में एक रैली के दौरान शीर्ष पुलिस अधिकारियों, चुनाव आयोग और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मामले दर्ज कराने की धमकी दी थी. गिल को राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया था.

उन्होंने गिल की दो दिनों की हिरासत की मंजूरी देने वाली अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी के बारे में कहा था कि उन्हें (न्यायाधीश को) खुद को तैयार करना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उनके भाषण के कुछ ही घंटे बाद, खान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. रैली में पुलिस, न्यायपालिका और अन्य सरकारी संस्थानों को धमकी देने को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

महिला न्यायाधीश के खिलाफ अपनी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर पिछले महीने खान ने उच्च न्यायालय के समक्ष माफी मांग ली थी और वादा किया था कि वह भविष्य में फिर ऐसा नहीं करेंगे. खान ने दो दिन पहले अदालत में दाखिल किए गये एक हलफनामे में अदालत को आश्वस्त किया था कि वह अदालत और न्यायपालिका, खासतौर पर निचली न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए भवष्य में कभी कुछ नहीं करेंगे.

खान न्यायाधीश चौधरी से व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने के लिए तीन दिन पहले भी इस्लामाबाद की निचली अदालत में उपस्थित हुए थे, हालांकि न्यायाधीश उस वक्त मौजूद नहीं थीं. क्रिकेटर से राजनेता बने खान 2018 में सत्ता में आए थे. अविश्वास प्रस्ताव मतदान में पराजित होने के बाद अप्रैल में वह अपदस्थ हो गये थे. वह पाकिस्तान के एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्हें संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए अपदस्थ किया गया.

Related Articles

Back to top button