भारत-मालदीव के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं: राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को माले में एक कार्यक्रम में भारत की ओर से तोहफे के तौर पर मालदीव को एक तेज गश्ती पोत और एक नौका सौंपी. इसके साथ ही उन्होंने और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने पहले से ही घनिष्ठ द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने पर बातचीत की.

द्वीप राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत-मालदीव का रिश्ता “वास्तव में विशेष” है और यह पूरे क्षेत्र के अनुसरण के लिए एक मॉडल के रूप में विकसित हुआ है. रक्षा मंत्री ने ंिहद महासागर क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत, मालदीव और क्षेत्र के अन्य समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.

पोत सौंपने से संबंधित समारोह में सोलिह ने समुद्री गश्ती पोत को मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) में शामिल किया.
सिंह ने कहा, “भारत-मालदीव का रिश्ता वास्तव में विशेष है. हमारे संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और हमने हमेशा जरूरत के समय एक-दूसरे का समर्थन किया है.” रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध पूरे क्षेत्र के अनुसरण के लिए एक मॉडल के रूप में विकसित हुए हैं.

उन्होंने कहा, “ंिहद महासागर क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों को दूर करने की दिशा में भारत, मालदीव और क्षेत्र के अन्य समान विचारधारा वाले देशों को अपना सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है.” सिंह ने कहा, “इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास करना चाहिए कि ंिहद महासागर का समुद्री विस्तार शांतिपूर्ण हो और क्षेत्रीय समृद्धि के लिए समुद्री संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो.” ंिहद महासागर क्षेत्र में सामरिक प्रभाव बढ़ाने के चीन के बढ़ते प्रयासों के बीच भारत ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसियों में से एक मालदीव को दो समुद्री वाहन सौंपे.

सिंह ने कहा, “हम सहयोगात्मक संबंध बनाना चाहते हैं, जहां हम एक-दूसरे से सीख सकते हैं, एक साथ आगे बढ़ सकते हैं तथा सभी के लिए लाभ की स्थिति बना सकते हैं. हम आपको यह भी आश्वस्त करना चाहते हैं कि एमएनडीएफ और मालदीव का समर्थन करने की भारत की प्रतिबद्धता समय के साथ और बेहतर एवं मजबूत होगी.” रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि की है जिससे वह अपने सहयोगी देशों की क्षमता निर्माण पहलों को और समर्थन देने में सक्षम हुआ है.

उन्होंने कहा, “भारत मित्रवत विदेशी देशों को उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अधिक रक्षा साझेदारी की पेशकश करता है.” सिंह ने कहा, “मालदीव के साथ भारत का मजबूत और जीवंत रक्षा सहयोग ‘पड़ोसी प्रथम’ और ‘सागर’- क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास की हमारी दो नीतियों से निकलता है.” मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि एमएनडीएफ की समुद्री रक्षा और सुरक्षा क्षमताओं में तटरक्षक पोत की मदद से काफी सुधार आएगा.

माले में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, “ये भारत निर्मित पोत एमएनडीएफ तटरक्षक बल की अपतटीय/तटीय निगरानी की क्षमता को काफी बढ़ाएंगे और मानव एवं मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद और ंिहसक चरमपंथ के मुद्दों से निपटने में मदद करेंगे. यह एमएनडीएफ की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतिंिबब है.” पोत सौंपने के समारोह से पहले सिंह ने सोलिह से मुलाकात की तथा भारत- मालदीव के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की.

सिंह ने ट्वीट किया, “माले में राष्ट्रपति कार्यालय में माननीय इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के साथ शानदार बैठक हुई. हमने भारत तथा मालदीव के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की.” तीन दिवसीय यात्रा पर द्वीप राष्ट्र पहुंचने के कुछ घंटे बाद सिंह ने माले में मालदीव की अपनी समकक्ष मरिया दीदी और विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों के विस्तार पर व्यापक चर्चा की.

मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह की यात्रा “दोनों देशों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह पहले से ही अच्छे रक्षा संबंधों में गतिशीलता और गति का एक नया स्तर लाएगी.” रक्षा मंत्री के रूप में सिंह की मालदीव की यह पहली यात्रा है.
पिछले साल अगस्त में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने भारत द्वारा वित्त पोषित ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना’ शुरू की थी जिसे द्वीप राष्ट्र में सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा पहल के रूप में माना गया.

‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना’ (जीएमसीपी) के तहत राजधानी शहर माले को विंिलगली, गुल्हिफाल्हू और थिलाफुशी के निकटवर्ती द्वीपों से जोड़ने के लिए 6.74 किलोमीटर लंबा पुल और पक्का संपर्क मार्ग बनाया जाएगा. मालदीव भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है.

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