सांसद मुद्दों को उठाने से पहले निजी अध्ययनों व आंकड़ों का विश्लेषण करें: धनखड़

नयी दिल्ली. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को सदस्यों से आग्रह किया कि वे किसी भी मुद्दे को उठाने के क्रम में निजी अध्ययनों या आंकड़ों का उल्लेख करने से पहले उनका विश्लेषण करें. उन्होंने कहा कि इस तरह के अध्ययन अपर्याप्त आंकड़ों पर आधारित हो सकते हैं या दूसरों के हितों से प्रभावित हो सकते हैं.

धनखड़ ने यह टिप्पणी उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान की जब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में भारत की 107वीं रैंंिकग को लेकर एक पूरक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. केसी (एम) सदस्य जोस के मणि ने कहा कि 121 देशों की सूची में भारत 107वें नंबर पर है. उन्होंने कहा कि नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देश भी सूचकांक में भारत से आगे हैं.

गोयल ने कहा, ‘‘हमने एक तरह से देश से भुखमरी को खत्म कर दिया है. हर एक राज्य ने लिखा है कि पिछले दो साल के दौरान उनके यहां भुखमरी से कोई मौत नहीं हुई.” उन्होंने कहा कि भूख सूचकांक कुछ निजी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा बनाया गया निजी सूचकांक है जो भूख से संबंधित विषय पर आधारित नहीं है. उन्होंने इस क्रम में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का जिक्र किया जिसके तहत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की सीमा के अलावा पांच किलोग्राम अनाज प्रदान किया.

गोयल ने “निष्कर्ष ऐसे आंकड़े से निकाले गए हैं जो असत्यापित हैं और ऐसे माप पर भी आधारित हैं जो भारत से संबंधित नहीं हैं. मुझे लगता है कि हमें यह समझना चाहिए कि क्या आधिकारिक और मान्य है और क्या केवल प्रचार के लिए है.” सभापति धनखड़ ने कहा, “… यह गरिमामय सदन 1.3 अरब से अधिक लोगों के ज्ञान का भंडार है. इसलिए जब हम सदन में कोई मुद्दा उठाते हैं… आइए, हम अपने मूल्यों पर विश्वास करें.”

उन्होंने कहा कि यह मुश्किल और अनुचित होगा कि हम अपने आकलनों, उपलब्धियों का मूल्यांकन उन लोगों के लिए छोड़ दें जिनके पास या तो अपर्याप्त आंकड़े हैं या जिनके कार्य हमारे नहीं बल्कि उनके हितों से निर्धारित होते हैं. उन्होंने कहा, “अपने देश को उन आकलन से आहत होने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिस पर हमें विश्वास नहीं है…. इसका मतलब यह नहीं है कि बाहर के आकलन की विश्वसनीयता नहीं है.’’

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