एमवीए पर संकट के बीच राकांपा, कांग्रेस द्वारा नियंत्रित विभागों ने कई सरकारी आदेश किए जारी

मुंबई. पार्टी नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के कारण शिवसेना के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के अस्तित्व पर छाए संकट के बीच प्रदेश सरकार के विभागों द्वारा बीते चार दिनों में हजारों करोड़ रुपये मूल्य के विकास संबंधी कार्यों के लिये निधि जारी करने के आदेश दिए गए. इन विभागों में अधिकतर गठबंधन सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के नियंत्रण वाले हैं. महाराष्ट्र की एमवीए सरकार में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस शामिल है.

ये आदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद हैं. 20 से 23 जून के बीच विभागों ने 182 सरकारी आदेश (जीआर) जारी किए, जबकि 17 जून को उन्होंने 107 ऐसे जीआर पारित किए. तकनीकी तौर पर इन्हें सरकारी प्रस्ताव (जीआर) कहा जाता है जो विकास संबंधी कार्यों के लिए कोष जारी करने की मंजूरी देने वाला एक अनिवार्य अनुमोदन आदेश होता है. वहीं, विपक्षी भाजपा ने राज्यपाल भगत ंिसह कोश्यारी से पिछले कुछ दिनों में दिखी ‘‘जीआर की हड़बड़ी’’ को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग की और इसे ‘‘संदिग्ध’’ करार दिया.

महाराष्ट्र की एमवीए सरकार 2019 में सत्ता में आने के बाद से, अभी तक के सबसे खराब दौर से गुजर रही है. शिवसेना के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के कुछ बागी विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित असम में डेरा डाले हैं. यह संकट 20 जून को विधान परिषद के चुनावों के कुछ घंटों बाद छाया, जब विपक्षी भाजपा अपने पांचवें उम्मीदवार को जितवाने में सफल रही. नतीजे आने के बाद शिंदे से संपर्क नहीं हो पाया. वह और बागी विधायकों का एक समूह पहले गुजरात में रहा, लेकिन बाद में वे सभी असम चले गए.

फिलहाल वह गुवाहाटी के एक होटल में शिवसेना के 37 बागी विधायकों और नौ निर्दलीय विधायकों के साथ डेरा डाले हुए हैं.
सूत्रों ने बताया कि हालांकि शिंदे का विद्रोह 21 जून को सुबह सभी के सामने आया, लेकिन उनकी बढ़ती बेचैनी को शिवसेना के सहयोगी राकांपा और कांग्रेस ने पहले ही भांप लिया था. राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने भी दावा किया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को शिंदे और कुछ अन्य विधायकों के बागी रुख अपनाने को लेकर पहले ही आगाह किया था.

उन्होंने बताया कि सत्तारूढ़ सहयोगी के लिए आने वाली चुनौतियों को पहले ही भांप लेने के बाद, इन दलों द्वारा नियंत्रित राज्य के विभागों में जीआर जारी करने की होड़ नजर आई. शिवसेना के गुलाबराव पाटिल के नियंत्रण वाले जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग ने 17 जून को एक ही दिन में 84 से अधिक जीआर जारी किए. इनमें से अधिकतर आदेश धन की मंजूरी, प्रशासनिक मंजूरी और विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन से संबंधित थे. पाटिल शिवसेना के उन आखिरी विधायकों में से हैं, जिन्होंने गुवाहाटी पहुंचकर शिंदे से हाथ मिला लिया है.

गौरतलब है कि 17 जून को शुक्रवार था और विधान परिषद के चुनाव सोमवार को हुए. आंकड़ों के अनुसार, 20 से 23 जून के बीच, सोमवार को सबसे कम 28 जीआर जारी किए गए. अगले दिन 21 जून को 66 जीआर जारी किए गए. पिछले दो दिन में 22 और 23 जून को सरकार ने क्रमश: 44 और 43 आदेश जारी किए. सोमवार से राकांपा और कांग्रेस के नियंत्रण वाले विभागों में जीआर जारी करने की होड़ मच गई और इस अवधि में जारी 182 आदेशों में से 70 प्रतिशत से अधिक आदेश इन दलों द्वारा नियंत्रित विभागों ने ही जारी किए.

राकांपा द्वारा नियंत्रित सामाजिक न्याय, जल संसाधन, कौशल विकास, आवास विकास, वित्त और गृह जैसे विभागों ने अधिकतम जीआर जारी किए हैं. कांग्रेस द्वारा नियंत्रित जनजातीय विकास, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, स्कूली शिक्षा, ओबीसी और मत्स्य पालन आदि विभागों ने भी कुछ जीआर जारी किए.

निर्दलीय विधायक एवं मंत्री शंकरराव गडक द्वारा नियंत्रित मृदा संरक्षण विभाग ने लगभग 20 आदेश पारित किए. आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार दिन में शिवसेना द्वारा नियंत्रित विभागों ने कुछ ही जीआर जारी किए. ये जीआर मंत्री सुभाष देसाई द्वारा नियंत्रित उद्योग विभाग, मराठी भाषा विभाग और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे द्वारा नियंत्रित पर्यटन विभाग की ओर से जारी किए गए, लेकिन इन तीन के अलावा शिवसेना द्वारा नियंत्रित किसी अन्य विभाग ने कोई जीआर जारी नहीं किया.

कांग्रेस द्वारा नियंत्रित राज्य जनजातीय विकास विभाग द्वारा कुल 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के जीआर जारी किए गए. राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं राकांपा नेता अजीत पवार के नियंत्रण वाले वित्त विभाग की ओर से जारी एक जीआर के बाद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि बढ़कर कुल 319 करोड़ रुपये हो गयी है. इस बीच, राज्य के भाजपा नेता प्रवीण दारेकर ने शुक्रवार को राज्यपाल कोश्यारी से हस्तक्षेप करने और सरकार द्वारा पारित ‘‘जीआर की भीड़’’ पर अंकुश लगाने की अपील की.

कोश्यारी को लिखे एक पत्र में, दारेकर ने कहा, ‘‘पिछले 48 घंटों में एमवीए द्वारा लगभग 160 सरकारी प्रस्ताव जारी किए गए, जो संदिग्ध लग रहे हैं. मैं आपसे इस मामले में हस्तक्षेप करने और इस पर अंकुश लगाने का अनुरोध करता हूं.’’ भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि गृह विभाग सहित राज्य के कुछ प्रमुख अधिकारियों के तबादले की योजना है.

उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते होंगे कि इस तरह के संदिग्ध तबादलों के कारण, पूर्व गृह मंत्री अब जेल में हैं. जीआर के लिए चल रही होड़ गंभीर और संदिग्ध है. एमवीए सरकार ने पिछले कुछ दिनों में अभूतपूर्व गति से निर्णय लिए हैं, जो कि उसके पिछले ढाई साल के पूरे कार्यकाल के दौरान देखने को नहीं मिले थे.’’ भाषा

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