विपक्षी सांसदों ने लोक सेवाओं में शामिल होने में ओबीसी अभ्यर्थियों की कठिनाइयों को उजागर किया

नयी दिल्ली. अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति की बैठक में कांग्रेस के मणिकम टैगोर समेत कुछ विपक्षी सांसदों ने परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद लोक सेवाओं में शामिल होने के दौरान ‘क्रीमी लेयर’ की सीमा के सत्यापन को लेकर ओबीसी उम्मीदवारों के सामने आ रही कठिनाइयों को उजागर किया. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

सांसदों ने यह मुद्दा उस समय उठाया जब केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) के अधिकारी ”ओबीसी के कल्याण के लिए विभिन्न उपायों/योजनाओं के कार्यान्वयन” विषय पर जानकारी दे रहे थे.
‘क्रीमी लेयर’ से मतलब उस वर्ग से है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर चुका है. सूत्रों ने बताया कि टैगोर, द्रमुक के टीआर बालू और समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने 2023 की सिविल सेवा परीक्षा में सफल युवा अ्भ्यियथयों के लिए ‘क्रीमी लेयर’ को एक अवरोधक के रूप में इस्तेमाल किए जाने का मुद्दा उठाया.

टैगोर ने सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उन मेधावी अ्भ्यियथयों को प्रभावित करने वाले मुद्दों की ओर ध्यान आर्किषत किया था, जिन्होंने प्रतिष्ठित संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी. टैगोर ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”मोदी जी ने 2017 से ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा क्यों नहीं बढ़ाई है? सात साल हो गए हैं और महंगाई और बदलती आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से कोई समायोजन नहीं किया गया है. ओबीसी को धोखा कौन दे रहा है?”

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