विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री को पत्र, पहलगाम के बाद के घटनाक्रम पर चर्चा के लिए विशेष सत्र का आग्रह

नयी दिल्ली. विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के 16 घटक दलों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद के घटनाक्रम पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उबाठा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं ने यहां बैठक के बाद इस बारे में जानकारी दी.

कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, शिवसेना (उबाठा), राजद, नेशनल कांफ्रेंस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), भाकपा (माले) लिबरेशन, केरल कांग्रेस, वीसीके और एमडीएमके के प्रमुख नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी प्रमुख हैं.

विपक्षी दलों के नेताओं ने पत्र में कहा, ”हम 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद के घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाने के अपने सामूहिक अनुरोध को दोहराते हैं. हमारी पार्टियों के सांसदों ने व्यक्तिगत रूप से हमारे पत्र पर हस्ताक्षर करके हमारी मांग के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है.” उन्होंने कहा, ”पुंछ, उरी और राजौरी में नागरिकों की हत्या तथा आतंकी हमले, संघर्षविराम की घोषणा और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर इसके असर को लेकर देश के सामने गंभीर सवाल हैं. हमने भारत के रुख के बारे में अवगत कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संपर्क साधने के सरकार के प्रयासों का समर्थन किया है.” विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने दूसरे देशों और विदेशी मीडिया को जानकारी दी है, लेकिन संसद को नहीं दी तथा भारत के लोगों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को अंधेरे में रखे हुए है.

उन्होंने कहा, ”इसलिए हम आपसे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों की वापसी के बाद तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह करते हैं. हमें विश्वास है कि आप शीघ्र और सकारात्मक जवाब देंगे.” पत्र का हवाला देते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, ताकि बीते 40 दिनों में जो कुछ घटा है, उसकी पृष्ठभूमि में देश के सामने मौजूद सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा हो सके.

उन्होंने कहा, ”10 मई को ही लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने प्रधानमंत्री को संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखा था. अब जबकि दो दिन पहले सिंगापुर में सीडीएस अनिल चौहान जी द्वारा जो खुलासे किए गए हैं, उसके बाद यह सत्र और भी आवश्यक हो गया है.” रमेश के अनुसार, लोकतांत्रिक परंपराओं के लिहाज से यह कहीं अधिक उचित होता कि सिंगापुर में जो जानकारी सार्वजनिक की गई, उसे पहले नई दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक, संसद सत्र या ब्रीफिंग के माध्यम से साझा किया जाता.

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ”अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगी लगातार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए व्यापारिक दबाव का इस्तेमाल किया. वे बार-बार परमाणु तनाव की बात भी कर रहे हैं. इन दावों पर प्रधानमंत्री ने अब तक पूरी तरह चुप्पी साध रखी है.” उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की सैन्य संरचना में विभिन्न स्तरों पर चीन की अंदर तक मौजूदगी के लगातार सबूत सामने आ रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को पाकिस्तान के साथ एक ही श्रेणी में देखा जा रहा है तथा पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने वाले अब तक गिरफ्त से बाहर हैं.

रमेश ने इस बात पर जोर दिया, ”संसद का एक विशेष सत्र हमारी सामूहिक इच्छाशक्ति और संकल्प का प्रदर्शन होगा. यह चर्चा निस्संदेह जिम्मेदार और संतुलित होगी.” ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रमुख घटक दलों की बैठक के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा, ” सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी है, संसद जनता के प्रति उत्तरदायी है. इसलिए हम संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं.” सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने ने कटाक्ष करते हुए कहा, ”प्रधानमंत्री के तथाकथित मित्र अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा की…जनता को लगता है कि हमें युद्धविराम के लिए मजबूर किया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान के बाद दुनिया भर में देश का सम्मान गिरा है.” शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा, ”यह कोई सामान्य पत्र नहीं है. विपक्ष जनता की असली आवाज है. हम चाहते हैं कि देश में अब तक जो कुछ भी हुआ है उस पर चर्चा के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाए.”

राउत ने तंज कसते हुए सवाल किया, ”क्या हमें विशेष सत्र के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के पास जाना पड़ेगा?” आम आदमी पार्टी (आप) विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं हुई, हालांकि विशेष सत्र की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को अलग से पत्र लिखेगी. आप के संदर्भ में पूछे जाने पर ओब्रायन ने कहा, ”हमारी समझ यह है कि बुधवार शाम छह बजे तक आम आदमी पार्टी समान मुद्दे, समान भावना और समान विषय-वस्तु को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग करेगी.” ‘इंडिया’ गठबंधन की एक और प्रमुख घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) ने पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. संजय राउत ने कहा कि लोकसभा में इस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले विदेश गये प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने के कारण देश में नहीं हैं.

राउत ने कहा, ”शरद पवार साहब भी हमारे साथ ही हैं. इस पत्र पर पार्टियों के सदन के नेताओं के हस्ताक्षर हैं. सुप्रिया सुले अभी विदेश गये प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं. जब मैं मुंबई जाऊंगा तो शरद पवार से बात करूंगा.” पहलगाम आतंकी हमले के बाद से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस ने हाल के दिनों में कहा है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और संसद का विशेष सत्र बुलाए जाए ताकि सेना के शौर्य को सलाम करने और 1994 के संसद के प्रस्ताव को दोहराने के साथ ही सरकार से कुछ बिंदुओं पर सवाल किये जा सकें.

तृणमूल कांग्रेस ने सुझाव दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को बताने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के देश में लौटने के बाद जून में सत्र आयोजित किया जाना चाहिए. बीते 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे. भारतीय सशस्त्र बलों ने छह मई की देर रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था.

इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष हुआ और 10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘संघर्षविराम’ की घोषणा की. हालांकि भारत ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) द्वारा अनुरोध किये जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकी गई है.

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