एलजी के अनुरोध पर जामा मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का आदेश वापस: शाही इमाम

नयी दिल्ली. जामा मस्जिद ने महिलाओं के प्रवेश पर रोक वाले विवादास्पद आदेश को बृहस्पतिवार को वापस ले लिया. इस मामले में उठे विवाद के बाद हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली के उप राज्यपाल वी के सक्सेना ने शाही इमाम से बात की थी. जामा मस्जिद प्रशासन ने नोटिस लगाया था, ‘‘जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है.’’ जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘उप राज्यपाल ने मुझसे बात की. हमने नोटिस बोर्ड हटा दिये हैं. लेकिन मस्जिद देखने के लिए आने वाले लोगों को उसकी शुचिता बनाकर रखनी होगी.’’

जामा मस्जिद के प्रशासन ने इसके मुख्य द्वारों पर नोटिस लगाया था जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में लड़कियों के अकेले या समूह में प्रवेश पर रोक है. इस फैसले पर विवाद शुरू होने के बाद शाही इमाम ने आज दिन में कहा था कि यह आदेश नमाज पढ़ने वालों के लिए नहीं है. मस्जिद प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि तीन मुख्य प्रवेश द्वारों के बाहर कुछ दिन पहले नोटिस लगाये गये थे, जिन पर तारीख नहीं है.

युवक का आरोप, बहन को जामा मस्जिद में नहीं घुसने दिया गया

बिहार के 22 साल के एक युवक ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि उसकी रिश्ते की बहन को जामा मस्जिद में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी. पटना निवासी युवक ने कहा कि ‘‘मेरे भारत’ में ऐसा हो रहा है, यह हैरान करने वाला और दुखद है.’’ हालांकि युवक ने आरोप लगाया, ‘‘हमें प्रवेश द्वार के बाहर बताया गया कि हम दो पुरुष अंदर जा सकते हैं लेकिन बहन के साथ नहीं. मेरी बहन ने अकेले भी मस्जिद में घुसने की कोशिश की लेकिन उसे रोक लिया गया. वह उदास हुई.’’

उसने कहा, ‘‘हम वास्तव में अंदर से जामा मस्जिद देखना चाहते थे. अगर जामा मस्जिद के अधिकारियों को लगता है कि कोई कुछ गलत कर रहा है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या बाहर जाने को कहा जा सकता है.’’ उसने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस तरह की पूरी रोक गलत है. हम कई मस्जिदों में नमाज के लिए जाते हैं, किसी ने हमें इसलिए रोकने की कोशिश नहीं की क्योंकि हमारे साथ कोई महिला थी.’’

दिल्ली की जामा मस्जिद में लड़कियों के प्रवेश पर रोक का फैसला महिला विरोधी, वापस लिया जाए: विहिप

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दिल्ली की जामा मस्जिद में लड़कियों के प्रवेश पर पाबंदी को बृहस्पतिवार को महिला विरोधी और असंवैधानिक बताया और मांग की कि मस्जिद प्रशासन को अपना फैसला वापस लेना चाहिए.  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध विहिप ने कहा कि अधिकारियों को उन लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए जो मस्जिद के मुख्य द्वारों के बाहर इस तरह के नोटिस लगाने में शामिल रहे. मस्जिद प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि तीन मुख्य प्रवेश द्वारों के बाहर कुछ दिन पहले नोटिस लगाये गये थे, जिन पर तारीख नहीं है. हालांकि, इन पर ध्यान अभी गया है.

नोटिस के अनुसार, ‘‘जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है.’’ विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘यह महिला विरोधी, संविधान विरोधी कदम है. जामा मस्जिद में लड़कियों के प्रवेश पर रोक वाले नोटिस को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.’’ नोटिस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद संरक्षित स्मारक है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अंतर्गत आता है.

विहिप पदाधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यहां मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक आधार पर नमाज अदा करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. संवैधानिक प्राधिकारों को उन महिला विरोधी तत्वों पर सख्त लगाम लगाने के लिए फौरन कार्रवाई करनी चाहिए जो मस्जिद में लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध में शामिल हैं.’’

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