पवार ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने से किया इंकार, ममता की बैठक में शामिल हुए 17 दल

नयी दिल्ली. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में बुधवार को कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने एक बार फिर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. सूत्रों के मुताबिक पवार द्वारा प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम भी सामने आएं.

राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की इस बैठक में कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राकांपा और समाजवादी पार्टी (सपा) सहित करीब 17 राजनीतिक दलों के नेता शरीक हुए. सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दलों की एक और बैठक पवार ने 20 जून को बुलाई है.

बैठक के बाद पवार ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं विपक्षी दलों का आभारी हूं कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर दिल्ली में आज हुई बैठक में मेरे नाम का सुझाव दिया. हालांकि मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने विनम्रता से इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.’’ इस बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया. इसमें कहा गया, ‘‘भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के साल हो रहे आगामी राष्ट्रपति चुनाव में हमने एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है, जो संविधान की रक्षा करे और मोदी सरकार को भारत के सामाजिक तानेबाने और लोकतंत्र को आगे और नुकसान पहुंचाने से रोके.’’ बनर्जी ने कहा कि इस बैठक का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एक या दो को छोड़कर सभी दलों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा और उनके वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.

उन्होंने कहा, ‘‘हमार उम्मीदवार आम सहमति का होगा. सभी दलों ने सर्वसम्मति से शरद जी का नाम दिया लेकिन उन्होंने ना कह दिया. उन्होंने कहा कि वह उम्मीदवार बनना नहीं चाहते.’’ बनर्जी ने आरोप लगाया कि देश के संस्थानों को रौंदा जा रहा है और इसलिए जरूरी है कि ‘‘हम सभी साथ हों’’.

अखिलेश यादव ने कहा कि बैठक में बहुत सारे वरिष्ठ नेता थे और उन्होंने पवार से आग्रह किया कि वे इस बैठक की अध्यक्षता करें.
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों के नेता इस बैठक में शरीक हुए जबकि आम आदमी पार्टी (आप), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बीजू जनता दल (बीजद) ने इससे दूरी बनाए रखना मुनासिब समझा.

शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कांफ्रेंस(नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडपी) जद(से), आरएसपी, आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी बैठक में शरीक हुए. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया आज बुधवार से ही प्रारंभ हुई है.

बैठक के बाद द्रमुक नेता टी आर बालू ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, ‘‘सभी दलों के नेताओं ने शरद पवार से आग्रह किया कि वह राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ें लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया.’’ उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं ने अनुरोध किया कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पवार और बनर्जी को सभी गैर-भारतीय जनता पार्टी, दलों से संपर्क कर उनसे बातचीत करनी चाहिए ताकि संयुक्त विपक्ष की ओर से किसी उम्मीदवार के नाम पर चर्चा कर सहमति बनाई जा सके. राजद के मनोज झा ने हालांकि कहा कि सभी नेता पवार से फिर से आग्रह करेंगे कि वे अपने फैसले पर पुर्निवचार करें क्योंकि वह उपयुक्त उम्मीदवार हैं.

भाकपा के विनय विस्वम ने कहा, ‘‘बैठक में यह आम राय थी कि विपक्ष की ओर से एक ही उम्मीदवार होना चाहिए जो सभी को स्वीकार्य हो.’’ उन्होंने कहा कि बैठक में सिर्फ शरद पवार का नाम सामने आया. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन. के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि बनर्जी ने बाद में विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम भी सुझाए.

राकांपा के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला, जनता दल (सेक्युलर) के एच. डी. देवगौड़ा और एस. डी. कुमार स्वामी, सपा के अखिलेश यादव, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेकां के उमर अब्दुल्ला बैठक में शरीक होने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल थे. बैठक तीन बजे आरंभ होकर करीब पांच बजे समाप्त हुई.

बनर्जी ने पिछले हफ्ते सात मुख्यमंत्रियों सहित 19 दलों के नेताओं को राष्ट्रीय राजधानी में एक बैठक में शामिल होने का न्योता दिया था, ताकि 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच एक संयुक्त उम्मीदवार पर आम सहमति बन सके.
बैठक से एक दिन पहले, ममता और वाम दलों के नेताओं ने राकांपा प्रमुख से उनके आवास पर अलग-अलग मुलाकात की थी, ताकि उन्हें शीर्ष संवैधानिक पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनने के लिए मनाया जा सके.

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