पायलट ने गद्दारी की, उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता: गहलोत

नयी दिल्ली. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता सचिन पायलट को ‘गद्दार’ करार देते हुए कहा कि उन्होंने 2020 में पार्टी के खिलाफ बगावत की थी और गहलोत नीत सरकार गिराने की कोशिश की थी इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता.

गहलोत के इस बयान से राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह और बढ़ता नजर आ रहा है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान में आने वाली है. मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में बृहस्पतिवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ पैदल चलने वाले पायलट ने गहलोत के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

गहलोत ने यह आरोप भी लगाया कि जब पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ विधायक गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में एक महीने से अधिक समय तक रहे थे, तब इस बगावत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की भी भूमिका थी. राजस्थान के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके पास इस बात का सबूत है कि पायलट समेत प्रत्येक विधायक को 10-10 करोड़ रुपये दिये गये थे. उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान चाहे तो 102 विधायकों में से पायलट को छोड़कर किसी को भी उनकी जगह मुख्यमंत्री बना सकता है.

गहलोत ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘‘विधायक कभी उसे स्वीकार नहीं करेंगे जिसने बगावत की हो और जिसे गद्दार कहा गया हो. वह मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है? विधायक ऐसे आदमी को मुख्यमंत्री कैसे स्वीकार करेंगे. मेरे पास सबूत है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिराने के लिए गुरुग्राम के रिसॉर्ट में ठहरे विधायकों को 10-10 करोड़ रुपये दिये गये थे.’’ उन्होंने कहा कि ऐसा उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलेगा जहां प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष वहां की सरकार को गिराने की कोशिश कर रहा हो. हालांकि राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इन आरोपों का खंडन किया कि 2020 में कांग्रेस विधायकों को दल बदल के लिए पैसे देने में भाजपा शामिल थी. गहलोत ने कहा कि अगर पायलट विधायकों से माफी मांगते तो स्थिति अलग होती.

गहलोत के करीबी 90 से अधिक पार्टी विधायकों द्वारा राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने देने के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपने माफी मांगने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (पायलट ने) आज तक माफी नहीं मांगी है. अगर उन्होंने माफी मांगी होती तो मुझे माफी नहीं मांगनी पड़ती.’’ जब गहलोत से पूछा गया कि क्या आलाकमान पायलट को उनकी जगह मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर सकता है तो उन्होंने कहा कि यह तो कल्पना आधारित सवाल है.

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘लेकिन यह कैसे होगा? यह नहीं हो सकता.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने देने के बाद पार्टी विधायकों की पिछले दिनों हुई बैठक विद्रोह नहीं थी बल्कि पायलट के खिलाफ बगावत थी जिन्होंने उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की. राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच गतिरोध रहा है.

गहलोत का कहना है कि पायलट की 2020 में की गयी बगावत को भुलाया नहीं जा सकता और उन्हें अधिकतर कांग्रेस विधायकों का समर्थन नहीं है, वहीं पायलट खेमा दावा कर रहा है कि विधायक नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं. राजस्थान कांग्रेस में नेतृत्व में संभावित बदलाव को लेकर कानाफूसी चल रही है, लेकिन एक वर्ग इसका विरोध भी कर रहा है. गहलोत ने कहा कि विधायक चाहते हैं कि पायलट कम से कम पार्टी आलाकमान से और राजस्थान की जनता से माफी मांग लें. उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के साथ न्याय करेगा.

लोगों के जातियों व धर्म के नाम पर बंटने से कमजोर होता है समाज: गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से जाति एवं धर्म से ऊपर उठने का आ’’ान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि जातियों एवं धर्म के नाम पर बंटने से समाज कमजोर होता है. मुख्यमंत्री करौली के महावीर जी में पंचकल्याणक महोत्सव एवं महामस्तकाभिषेक समारोह को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा,‘‘मैं कहता हूं कि जात-पात, धर्म जैसे तमाम बंधनों को तोड़कर मानव, मानव की सेवा करे. यह महावीर भगवान का भी उपदेश था.’’

गहलोत ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से जातियों एवं धर्म के नाम पर बंट जाते हैं हम लोग, तो समाज कमजोर होता है.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जब किसी भी धर्मस्थल पर जाते हैं तो अपने लिए कुछ नहीं मांगते बल्कि प्रार्थना करते हैं कि जीव मात्र का कल्याण हो. गहलोत ने कहा कि देश और दुनिया में भगवान महावीर की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि जहां शांति और अंिहसा का वातावरण होता है, वहीं ईश्वर का निवास होता है. उनका कहना था कि सारे विश्व के बुद्धिजीवी भारत की पुरातन संस्कृति का सम्मान करते हैं, जिसका मूल कारण इसमें शांति और अंिहसा का निहित होना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचकल्याणक महोत्सव से पूरे प्रदेश में सामाजिक समरसता का संदेश जा रहा है और इसके अन्तर्गत होने वाली गतिविधियों में विभिन्न समुदायों की भागीदारी रहती है, जिससे समाज में भाईचारे की भावना मजबूत होती है. गहलोत ने कहा कि शांति, अंिहसा एवं सामाजिक समरसता की स्थापना से ही समाज का विकास सम्भव है.

गहलोत ने कहा कि बाल्यकाल से ही उन्हें भगवान महावीर की शिक्षाओं से परिचित होने का अवसर मिला. उनके अनुसार सत्य और अंिहसा की विचारधारा को प्रसारित करने के लिए राज्य में शांति एवं अंिहसा विभाग की स्थापना की गई है तथा विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है.

Related Articles

Back to top button