नफरती भाषण के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश के लिए पूर्व अनुमति जरूरी: अदालत
नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने बौद्ध समुदाय के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणियां करने के मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि उसके निर्देश के लिए सक्षम प्राधिकार से अभियोजन की पूर्व मंजूरी आवश्यक है.
अदालत वकील सत्यप्रकाश गौतम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने भगवान बुद्ध तथा बौद्ध समुदाय के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने शुक्रवार को पारित आदेश में कहा, ‘‘फरियादी ने इस मामले में सक्षम प्राधिकार से कोई पूर्व मंजूरी प्राप्त नहीं की है, इसलिए कानून के तय सिद्धांत के अनुसार मंजूरी के अभाव में शिकायत को खारिज किया जाता है.’’