राज्यसभा: भाजपा सदस्य ने बिहार में ‘जंगल राज’ लौटने का किया दावा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सतीश चंद्र दुबे ने शुक्रवार को बिहार में हाल में हुई अपराध की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए राज्यसभा में आरोप लगाया कि बिहार में ‘‘जंगल राज-पार्ट 2’’ लौट आया है. उनके इस दावे का जनता दल यूनाइटेड (जद-यू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के सदस्यों ने जोरदार प्रतिकार किया.

शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए दुबे ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में बिहार में हत्या, डकैती और बलात्कार की कुछ घटनाओं की तरफ सदन का ध्यान आर्किषत करना चाहते हैं. इसके बाद उन्होंने दावा किया कि अपराध की घटनाओं से जनता में भय का माहौल है. उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में 1990-2005 के दौर में जो चीजें हो रही थी कमोबेश वैसी ही चीजें अभी भी वहां हो रही हैं…बिहार फिर से जंगल राज की ओर लौट रहा है.’’ इस दौरान जनता दल (यू), राजद और कांग्रेस कुछ सदस्यों ने उनका विरोध किया. उन्हें इसमें समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के सदस्यों का भी साथ मिला.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों को शांत कराया और उन्हें सलाद दी कि वे सदन की गरिमा को बनाए रखें. शून्यकाल में बीजू जनता दल के सांसद अमर पटनायक ने एम्स के सर्वर को प्रभावित करने वाले कथित रैनसमवेयर हमले का मुद्दा उठाया और कहा कि इसे एक अलग घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020 है, जो वास्तव में सराहनीय है क्योंकि सरकार इसे लेकर आई है. लेकिन अभी तक इसकी संरचना सामने नहीं आई है. मैं अपील करूंगा कि इस संरचना को बहुत मजबूत बनाया जाए जिससे यह वास्तव में इस देश में आर्थिक गतिविधि के लिए बहुत उपयोगी हो जाएगा.’’ वाईएसआरसीपी के वी विजयसाई रेड्डी ने पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया और दावा किया कि स्वतंत्र भारत आबादी के इस वर्ग के सार्थक उत्थान को सुनिश्चित करने में विफल रहा है.

उन्होंने कहा कि आज भी पिछड़े वर्गों की जीवन के सभी क्षेत्रों में समान अवसरों की लंबे समय से चली आ रही आकांक्षा अधूरी है.
वाईएसआरसीपी सदस्य ने कहा कि भले ही पिछड़े वर्ग की आबादी भारत की आबादी का 50 प्रतिशत है जबकि उसे आरक्षण 27 प्रतिशत ही है.

रेड्डी ने कहा कि पिछले महीने, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा लचीली है और इसका उल्लंघन करना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करना नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इसलिए जहां तक आबादी के अनुपात में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने का सवाल है, सरकार के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है.

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