अध्यात्म के बिना धर्म संभव नहीं : भागवत

प्रयागराज. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि समाज को जगाने वाले सभी महापुरुषों ने अध्यात्म को आधार बनाया है और इसके बिना धर्म संभव नहीं है. संगम नगरी के अलोपीबाग स्थित स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के आश्रम में आयोजित आराधना महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुये भागवत ने कहा, ‘‘आप संत, महात्मा, सन्यासियों को देखें या सामाजिक जीवन में काम करने वाले महापुरुषों- रवींद्रनाथ टैगोर, गांधी जी या अंबेडकर को देखें. वह (अंबेडकर) भी कहते थे कि बिना धर्म के कुछ नहीं होगा.’’

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘धर्म का अर्थ है सबको साथ लेकर चलना, सबको साथ चलाना, सबको उन्नत करना. जहां धर्म नहीं है वहां लोग यह मानते हैं कि जो बलवान है वह आगे जाएगा और जो दुर्बल है वो मरेंगे ही. धर्म कहता है कि जो बलवान है उसे दुर्बलों की रक्षा करनी चाहिए. धर्म निकलता है अध्यात्म से.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे व्यक्तिगत जीवन, हमारे पारिवारिक जीवन और हमारे राष्ट्रीय सामाजिक जीवन को शुद्ध बनाने वाला अध्यात्म ही है.’’

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘यदि लोगों को मार्गदर्शन नहीं मिलता तो वे भटकते ही हैं. अपने राष्ट्र का सौभाग्य है कि अपने आचरण से लोगों का मार्गदर्शन करने वाले महापुरुषों की परंपरा अखंड रूप से चलती आई है. ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद सरस्वती उसी परंपरा से थे.’’ भागवत ने कहा, ‘‘जीवन को मनुष्य जीवन बनाने के लिए व्यक्ति को आध्यात्मिक होना पड़ेगा. भौतिक और आध्यात्मिक जीवन को अलग अलग करके देखने की वृत्ति, हमारी वृत्ति नहीं है क्योंकि हम एकात्म और समग्र दृष्टि से सारी बातों को देखते हैं.’’

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य रहे ब्रह्मलीन ब्रह्मानंद सरस्वती की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित आराधना महोत्सव आठ दिसंबर, 2022 तक चलेगा जिसमें श्रीनाथ पीठाधीश्वर स्वामी आचार्य जितेंद्र नाथ जी महाराज द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा सुनाई जाएगी. उद्घाटन कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, स्वामी आचार्य जितेंद्र नाथ जी महाराज और कई साधु संत शामिल हुए.

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