खाने का सामान, ईंधन सस्ता होने से मई में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.04% पर

नयी दिल्ली. खाने का सामान और वाहन ईंधन सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति मई महीने में घटकर 7.04 प्रतिशत पर आ गयी. महंगाई को काबू में लाने के लिये सरकार के विभिन्न उत्पादों पर शुल्क दरों में कटौती और भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दर रेपो में वृद्धि के कदम से मुद्रास्फीति नीचे आई है.

हालांकि, मुद्रास्फीति अब भी केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. इससे रिजर्व बैंक अगस्त में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में फिर नीतिगत दर में वृद्धि कर सकता है. रिजर्व बैंक ने इस महीने पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत कर दिया है. इससे पिछले महीने बिना किसी तय कार्यक्रम के आरबीआई ने रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की थी.

अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत पर थी. पिछले साल मई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिशत थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई, 2022 में घटकर 7.97 प्रतिशत रही जो पिछले महीने 8.31 प्रतिशत थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भारांश 39.06 प्रतिशत है.

अनाज और उसके उत्पादों के मामले में मुद्रास्फीति मई में कम होकर 5.33 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 5.96 प्रतिशत थी. तेल और वसा की महंगाई दर नरम होकर 13.26 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पिछले महीने अप्रैल में 17.28 प्रतिशत थी. फलों की महंगाई दर धीमी पड़कर आलोच्य महीने में 2.33 प्रतिशत रही जो एक महीने पहले 4.99 प्रतिशत थी. हालांकि, सब्जियों की मुद्रास्फीति बढ़कर 18.26 प्रतिशत पर पहुंच गयी, जो अप्रैल में 15.41 प्रतिशत थी. आंकड़ों के अनुसार, अन्य खाद्य वस्तुओं में अंडा तथा दलहन और उसके उत्पादों की कीमतों में क्रमश: 4.64 प्रतिशत और 0.42 प्रतिशत की गिरावट आयी.

ईंधन और प्रकाश श्रेणी में मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में नरम होकर 9.54 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह अप्रैल में 10.80 प्रतिशत थी.
नाइट फ्रैंक इंडिया के निदेशक (शोध) विवेक राठी ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर ंिजसों और खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी का असर आने वाले दिनों में घरेलू कीमतों पर दिखेगा. इसीलिए, हमें नहीं लगता कि देश में निकट भविष्य में मुद्रास्फीति नरम होगी. ऐसे में घरेलू मांग की मजबूती को बनाये रखना नीतिगत दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा.’’

रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है.

वहीं सरकार ने उपभोक्ताओं पर महंगाई के बोझ को कम करने के इरादे से डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के साथ सोयाबीन जैसे खाद्य तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती की है. कोटक मंिहद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भरद्वाज ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हमारा अनुमान है कि खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 6.5 प्रतिशत रहेगी. हालांकि उभरती वैश्विक हालात के आधार पर इसके ऊपर जाने का जोखिम है.’’

इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जबतक जून 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति मई के मुकाबले तेजी से नहीं बढ़ती, 2022-23 की पहली तिमाही में औसत मुद्रास्फीति आरबीआई के मौजूदा तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहने के अनुमान से कम रह सकती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यह अनुमान बरकरार है कि एमपीसीसी (मौद्रिक नीति समिति) अगली दो मौद्रिक नीति समीक्षाओं में नीतिगत दरों में क्रमश: 0.35 प्रतिशत और 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है.’’

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