विकसित भारत का सपना विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की धुरी पर टिका है: संयुक्त राष्ट्र

नयी दिल्ली. परिवर्तन के वाहक के रूप में भारत के विद्यार्थियों की विपुल क्षमता का उल्लेख करते हुए देश में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक शोम्बी शार्प ने कहा है कि ‘विकसित भारत’ का सपना यह सुनिश्चित करने पर टिका है कि विद्यालय में बच्चों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, बल्कि उन्हें ‘कल के जिम्मेदार आदर्श नागरिक’ बनने के लिए भी संवेदनशील बनाया जाए.

संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) ने बुधवार को अपनी ‘राइजअप4पीस’ शैक्षिक पहल पर एक बयान जारी किया. इस पहल का उद्देश्य युवाओं को ‘नकारात्मक प्रभावों, उभरती कमजोरियों और जोखिमपूर्ण आचरणों से अपने आपको बचाने’ के लिए प्रेरित और सशक्त बनाना है.

बयान के अनुसार देश में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक ने ”बदलाव के वाहक के तौर पर भारत के 26.52 करोड़ विद्यार्थियों की विपुल क्षमता’ का उल्लेख किया तथा समावेशी एवं शांतिप्रिय समाज के वास्ते मूल्यों पर आधारित गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के महत्व पर बल दिया. बयान के मुताबिक उन्होंने कहा, ” प्रधानमंत्री ने जिस विकसित भारत का सपना देखा है, वह यह सुनिश्चित करने पर टिका है कि विद्यालय में बच्चों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, बल्कि उन्हें ‘कल के जिम्मेदार आदर्श नागरिक’ बनने के लिए भी संवेदनशील बनाया जाए.

यूएनओडीसी ने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या प्रारूप, 2023 दोनों ही ऐसे जिम्मेदार नागरिक के रूप में लोगों को तराशने की जरूरत को महत्व देते हैं जो लगातार जटिल हो रही दुनिया में वे शांति एवं सद्भाव में योगदान दे सकें, लेकिन इस महत्वाकांक्षा के वास्ते शिक्षा के पारंपरिक दायरे से आगे जाना होगा – इसके लिए ‘कक्षाओं, स्कूलों और समुदायों में शैक्षिक हस्तक्षेप की पुन?कल्पना की जरूरत है.

बयान में कहा गया है कि भारत में चहलपहल वाली कई कक्षाओं में, एक ‘शक्तिशाली आंदोलन’ चुपचाप आकार ले रहा है – एक ऐसा आंदोलन जो शिक्षा के माध्यम से शांति, कानून के प्रति निष्ठा और समावेशन को बढ़ावा देता है. बयान में कहा गया है कि इस आंदोलन के केंद्र में सिफ.र् नीति-निर्माता, शिक्षक या संस्थान ही नहीं हैं, बल्कि युवा लोग हैं जो बदलाव के सबसे महत्वपूर्ण वाहक के रूप में खड़े हैं.

भारत के शीर्ष पाठ्यक्रम निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और यूएनओडीसी दक्षिण एशिया द्वारा यहां आयोजित ‘राइजअप4पीस’ नीति नामक परिचर्चा में पहल की प्रासंगिकता और प्रभाव पर जोर देते हुए, 70 से अधिक नीति-निर्माताओं, शिक्षकों और युवा चैंपियनों ने शिक्षा में शांति, समावेशन और कानून के प्रति को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया – जैसा कि एनईपी 2020 और एनसीएफ 2023 में परिकल्पित है.

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