देश की वृद्धि की रफ्तार को ध्यान में रखते हुए बनाना होगा अगला बजट: सीतारमण

वाशिंगटन. ऊंची महंगाई और वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ने जैसी चुनौतियों के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भारत का अगला आम बजट बहुत ही ध्यान से कुछ इस प्रकार बनाना होगा जिससे देश की वृद्धि की रफ्तार कायम रहे और दाम भी काबू में रहें. उन्होंने कहा कि इससे मुद्रास्फीतिक चिंताओं से निपटने में भी मदद मिलेगी.

वित्त मंत्री ने कहा कि निकट भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी समस्याओं में ऊर्जा के ऊंचे दाम शामिल हैं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए वांिशगटन डीसी आईं वित्त मंत्री ने यहां ब्रुंिकग्स इंस्टिट्यूट में जानेमाने अर्थशास्त्री ईश्वर प्रसाद से संवाद के दौरान एक सवाल के जवाब में यह कहा. उनसे अगले वर्ष के बजट को लेकर सवाल पूछा गया था.

सीतारमण ने कहा, ‘‘आगामी बजट के बारे में कुछ विशेष बता पाना अभी जल्दबाजी होगा और यह मुश्किल भी है. लेकिन मोटे तौर पर कहें तो वृद्धि की प्राथमिकताएं सबसे ऊपर रहेंगी. मुद्रास्फीति की चिंताओं से भी निपटना होगा. लेकिन फिर सवाल उठेगा कि आप वृद्धि को किस प्रकार बरकरार रखेंगे.’’ फरवरी में पेश किए जाने वाले बजट के लिए तैयारियां दिसंबर से शुरू हो जाती हैं. दरअसल सभी संस्थागत एवं निजी अनुमान लगाने वालों ने 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अपने अनुमानों को घटाया है. इसके पीछे वजह मौद्रिक नीति सख्त होने से मांग में घटना और वैश्विक मंदी है.

उन्होंने कहा, ‘‘यही तो देखना है कि इनके बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि महामारी से उबरकर भारतीय अर्थव्यवस्था ने जो गति पाई है वह अगले साल भी कायम रहे.’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए इस बजट को बहुत ही ध्यानपूर्वक कुछ इस तरह बनाना होगा कि वृद्धि की गति बरकरार रह सके.’’ भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि को जो गति मिली वह अब मंद पड़ती दिख रही है जो औद्योगिक उत्पादन एवं निर्यात में कमी आने से नजर आता है. वहीं मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से ऊपर ही बनी हुई है जिसे काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक को दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है.

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को पिछले महीने 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया था. अन्य रेंिटग एजेंसियों ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाया है. सीतारमण ने कहा कि ऊर्जा, उर्वरक और भोजन संबंधी वैश्विक दबाव जो भारत को प्रभावित करते हैं उन पर ध्यानपूर्वक नजर रखी जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इनका असर लोगों तक न पहुंचे.

एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि सरकार ऐसे स्टार्टअप से बात करने के लिए तैयार है जो देश से जाने पर विचार कर रहे हैं और उनके मुद्दों का समाधान इस तरह निकालने का प्रयास करेगी जिससे कि उन्हें देश में ही अपना आधार बनाए रखने में मदद मिले. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं स्टार्टअप इकाइयों से संवाद किया है और सरकारी नीतियों की वजह से अनुकूल माहौल बना है जिसके परिणामस्वरूप आज भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं. यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन से है.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री और स्टार्टअप के बीच संवाद करवाया है, यह पता लगाने के लिए कि वे भारत से क्या चाहते हैं. हमने उनकी चिंताओं का समाधान करने का अधिकाधिक प्रयास किया है. यही वजह है कि 2020 से 2021 के बीच महज एक साल में यूनिकॉर्न की संख्या 100 पर पहुंच गई है.’’

‘रुपे’ की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए भारत कई देशों से बात कर रहा: सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत विभिन्न देशों से ‘रुपे’ को उनके यहां स्वीकार्य बनाने के लिए बात कर रहा है. सीतारमण ने यहां ब्रुंिकग्स इंस्टीट्यूट में कहा, ‘‘इसके अलावा यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस), भीम ऐप और एनसीपीआई (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) पर इस तरह से काम किया जा रहा है ताकि उनके देशों में उनकी जो प्रणालियां हैं वे हमारी प्रणालियों के साथ मिलकर काम कर सकें और इनके मिलकर काम करने से उन देशों में भारतीय विशेषज्ञता को बल मिलेगा.’’

अमेरिका में यूपीआई शुरू करने संबंधी एक छात्र के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम कई देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.’’ छात्र ने कहा था कि उसे भारत की यूपीआई प्रणाली पर गर्व है और पूछा था कि इसे दुनिया के साथ साझा करने की योजनाएं क्या हैं.
सीतारमण ने कहा, ‘‘हमारी कई देशों से बातचीत चल रही है. ंिसगापुर और संयुक्त अरब अमीरात ‘रुपे’ को अपने देश में स्वीकार्य बनाने के लिए आगे आ चुके हैं.’’

जी20 में वैश्विक वस्तुओं के लिए काम करने की अपार क्षमता: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि विश्व की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं के समूह ‘जी20’ में वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के लिए काम करने की अपार संभावना है. गौरतलब है कि भारत दिसंबर, 2022 से एक साल के लिए जी20 के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा.
सीतारमण ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘जी20 में वैश्विक वस्तुओं के लिए काम करने की अपार संभावना है. मसलन भारत का भंडार, वैश्विक भंडार बन सकता है. प्रभावी सीमापार भुगतान और स्वदेश धन भेजना सस्ता होना जैसे फायदे हमें इससे मिल सकते हैं.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें वह चाहती हैं कि जी20 मिलकर काम करे. उन्होंने कहा कि भारत को जी20 की अध्यक्षता बेहद चुनौतीपूर्ण समय में मिल रही है.

सीतारमण ने यहां प्रतिष्ठित ब्रुंिकग्स इंस्टिट्यूट में जानेमाने भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री ईश्वर प्रसाद के साथ परिचर्चा के दौरान सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘हम उनके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं और कुछ अच्छे परिणाम हासिल करना चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘समय की मांग है कि हम इन कुछ परिणामों को अर्जित करने की दिशा में काम करें. बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है. किसी महामारी या भविष्य में ऐसे किसी तनावपूर्ण वैश्विक घटनाक्रम से निपटने की उनकी क्षमता को बढ़ाना होगा.’’

Related Articles

Back to top button