अमेरिका से निर्वासित 104 भारतीयों को लेकर आया विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा

निर्वासित आप्रवासियों के परिवारों का दावा : हमें नहीं पता कि परिजन अमेरिका कैसे पहुंचे

अमृतसर/अहमदाबाद. अमेरिका का एक सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर बुधवार दोपहर यहां श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं. सूत्रों के मुताबिक, निर्वासित किये गये लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं. अमेरिकी सरकार द्वारा निर्वासित भारतीयों का यह पहला जत्था है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा से कुछ ही दिन पहले यह कार्रवाई हुई है. अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान अपराह्न एक बजकर 55 मिनट पर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा. हवाई अड्डे के बाहर भारी संख्या में अवरोधक लगाये गये थे और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे.

सभी निर्वासितों से हवाई अड्डा र्टिमनल भवन के अंदर पंजाब पुलिस और विभिन्न राज्य एवं केंद्रीय खुफिया एजेंसियों सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा पूछताछ की गयी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है. यह उम्मीद की जा रही है कि सत्यापन और पृष्ठभूमि जांच के बाद निर्वासित लोगों को उनके घर जाने की अनुमति दे दी जाएगी, हालांकि इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इससे पहले मीडिया खबरों में दावा किया गया था कि अमेरिकी सैन्य विमान 205 अवैध अप्रवासियों को लेकर निकला है.

सूत्रों ने बताया कि पंजाब के रहने वाले अवैध अप्रवासियों में कपूरथला के छह, अमृतसर के पांच, पटियाला व जालंधर के चार-चार, होशियारपुर, लुधियाना, एसबीएस नगर के दो-दो, गुरदासपुर, तरनतारन, संगरूर, एसएएस नगर और फतेहगढ़ साहिब का एक-एक व्यक्ति शामिल है. सूत्रों के अनुसार, निर्वासित लोगों को उनके गृहनगर पहुंचाने के लिए संबंधित राज्य सरकारों ने व्यवस्था कर ली है. अपने पोते के लिए यहां पहुंचे अमृतसर के रहने वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति ने हवाई अड्डे के बाहर मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया.

अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरे निर्वासितों में से एक प्रदीप के परिवार के सदस्यों ने मोहाली जिले में ‘पीटीआई-वीडियो’ सेवा से बात करते हुए भगवंत मान सरकार से युवाओं को अमेरिका भेजने के लिए उनके द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने की मांग की.
उन्होंने दावा किया कि उज्जवल भविष्य के लिए बेटे को अमेरिका भेजने के लिए उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ी और 20-25 लाख रुपये का कर्ज लेना पड़ा.

सदस्यों ने कहा चूंकि उसे निर्वासित कर दिया गया है इसलिए या तो मान सरकार उन्हें अपना कर्ज चुकाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करे या युवाओं को सरकारी नौकरी दे. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को कहा था कि अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों के निर्वासन को लेकर मीडिया में हो रही चर्चा कुछ तथ्यों को अस्पष्ट करती है.

उन्होंने कहा, “यह इस तरह का पहला वाक्या नहीं है और न ही इसका सीधे तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के आने से कोई संबंध है. पिछले वित्तीय वर्ष (सितंबर 2024 को समाप्त) में 1,100 भारतीयों को निर्वासित किया गया था, जो कि ट्रंप के नहीं बल्कि बाइडन के शासन में हुआ था.” थरूर ने कहा कि 2022 तक अमेरिका में 725,000 अनिर्दष्टि भारतीय अप्रवासी थे, जो तीसरा सबसे बड़ा समूह है. उन्होंने कहा कि मैक्सिको और अल साल्वाडोर के नागरिकों की संख्या भारत से अधिक है.

पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने मंगलवार को बताया था कि राज्य सरकार प्रवासियों के लिए हवाई अड्डे पर  काउंटर स्थापित करेगी. पंजाब के प्रवासी मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भारतीयों के निर्वासन के संबंध में अपने ‘मित्र’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात करने का आग्रह किया. धालीवाल ने हवाई अड्डे पर पंजाब से आए कुछ निर्वासित लोगों से भी बात की. धालीवाल ने अमृतसर में संवाददाताओं को संबोधित से बात करते हुए कहा कि हवाई अड्डे पर निर्वासित लोगों की आव्रजन प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि कुल 104 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया गया और उनमें से 30 पंजाब के हैं.

मंत्री ने कहा, “सभी स्वस्थ और ठीक हैं. यह एक लंबी उड़ान थी.” धालीवाल ने कहा कि उन्होंने (निर्वासितों ने) अपना भोजन किया.
धालीवाल ने कहा, “पहले समूह में पंजाब के लोगों की कागजी कार्रवाई की गई. इसके बाद हरियाणा, गुजरात और अन्य राज्यों के लोगों की आव्रजन प्रक्रिया की जाएगी.” धालीवाल ने निर्वासन को ‘बेहद गंभीर’ बताते हुए केंद्र और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ट्रंप से बात करने की अपील की.

उन्होंने कहा, “हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी कहते थे कि ‘ट्रंप मेरे दोस्त हैं’. उन्होंने सितंबर 2019 में अमेरिका में पिछले चुनावों के दौरान ट्रंप के लिए प्रचार भी किया था. ये अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हैं और इन पर चर्चा और इनका समाधान किया जा सकता है.” धालीवाल ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह करता हूं कि इस समय कई भारतीयों के सिर पर निर्वासन व जेल जाने की तलवार लटक रही है और उन्हें ट्रंप के साथ बैठकर इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए.” पिछले महीने डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी. पंजाब के कई लोग लाखों रुपये खर्च करके ‘डंकी रूट’ या अन्य अवैध तरीकों से अमेरिका पहुंचे थे, लेकिन अब उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है.

निर्वासित आप्रवासियों के परिवारों का दावा : हमें नहीं पता कि परिजन अमेरिका कैसे पहुंचे

अमेरिका से निर्वासित गुजरात के अवैध प्रवासियों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि उन्हें नहीं पता कि उनके परिजन अटलांटिक महासागर पार करके अमेरिका कैसे पहुंचे. गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने निर्वासित गुजरातियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और रेखांकित किया कि वे नौकरी या कैरियर की तलाश में विदेश गए थे एवं उन्हें अपराधी के रूप में चित्रित नहीं किया जाना चाहिए.

अमेरिका का सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर एक दोपहर में पंजाब के अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा. सूत्रों के मुताबिक इन 104 लोगों में 33 गुजरात के निवासी हैं. सूत्रों ने बताया कि इनमें से ज्यादातर लोग मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं. उम्मीद है कि वे बृहस्पतिवार को अपने पैतृक स्थानों पर पहुंच जाएंगे.

कनुभाई पटेल की बेटी भी निर्वासित लोगों में शामिल है. उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने यूरोप गई थी. मेहसाणा जिले के चंद्रनगर-दभला गांव के निवासी पटेल ने कहा, ”मुझे नहीं पता कि यूरोप पहुंचने के बाद उसने क्या योजना बनाई. आखिरी बार हमने उससे 14 जनवरी को बात की थी. हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची.” अमेरिका से निर्वासित लोगों में एक महिला वडोदरा जिले के लूना गांव की है. उनके चाचा प्रवीण पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि वह एक महीने पहले अमेरिका गयी थी.

उन्होंने कहा, ”वह गांव में ही रहती है. एक साल पहले उसकी शादी हुई थी और वह पिछले महीने अमेरिका गई थी. हमें केवल इतना पता है कि उसे निर्वासित कर दिया गया है. हमें उसके निर्वासन के पीछे का कारण नहीं पता है.” पुलिस उप महानिरीक्षक (सीआईडी-क्राइम) परीक्षिता राठौड़ ने कहा कि पुलिस इस स्तर पर निर्वासितों से पूछताछ नहीं करेगी.

पूर्व में गुजरात पुलिस ने अवैध तरीकों से लोगों को अमेरिका और कनाडा भेजने वाले आव्रजन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की थी.
गांधीनगर के डिंगुचा गांव का एक परिवार 2022 में कनाडा से अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते समय ठंड से मर गया. जनवरी 2022 में अमेरिका-कनाडा सीमा पर, जगदीश पटेल, उनकी पत्नी और उनके दो बच्चों की बर्फानी तूफान के बीच अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने के कारण मृत्यु हो गई थी. बाद में पुलिस ने इस मामले में तीन एजेंट योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी को गिरफ्तार किया. जांच में पता चला कि आरोपियों ने इसी नेटवर्क के जरिए सात अन्य लोगों को कनाडा भेजा था.

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