राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों की एकता के केंद्र के रूप में टीएमसी के उभरने की उम्मीद

कोलकाता. राष्ट्रपति चुनाव में एक साझा उम्मीदवार उतारने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कोशिश करने के साथ-साथ उनकी पार्टी को गठबंधन के केंद्र ंिबदु के रूप में उभरने की उम्मीद है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख द्वारा बुधवार को नयी दिल्ली में बुलाई गई एक बैठक में 22 विपक्षी दलों में से 17 दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने उनकी (ममता की) राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की ओर वापस ध्यान आकृष्ट कराया है, जो गोवा और त्रिपुरा में कुछ महीने पहले उनकी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन से नाकाम होती नजर आई थी.

समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) और राष्ट्रीय जनता दल के अलावा कांग्रेस और वाम दलों के नेता ममता द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल हुए थे. शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा-एमएल, नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), आरएसपी, आईयूएमएल, राष्ट्रीय लोक दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रतिनिधि भी बैठक में शरीक हुए. वहीं, बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम जैसे दल बैठक से दूर रहें.

तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘विपक्षी दलों ने एक साझा उम्मीदवार की जरूरत पर चर्चा की. इस तरह से बैठक सफल रही. हालांकि, रातों रात कुछ नहीं हुआ करता, लेकिन यह एक उपयुक्त शुरूआत है. ’’ यह पूछे जाने पर कि क्या विभिन्न विपक्षी दलों को एकजुट करना राष्ट्रपति चुनाव तक सीमित रहेगा, उन्होंने कहा, ‘‘कोशिश को राष्ट्रपति चुनाव से आगे ले जाना होगा’’ टीएमसी के एक अन्य नेता ने कहा कि ममता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात करने के बाद ही पहल की होगी.
उन्होंने कहा, ‘‘ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से बात की और उसके बाद ही उन्होंने यह बैठक बुलाई थी तथा यही कारण है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उसमें मौजूद थे. ’’

उल्लेखनीय है कि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार जीत के बाद टीएमसी का गोवा विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खुला और उसे सिर्फ 5.21 प्रतिशत मत मिले थे. त्रिपुरा में भी इसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया लेकिन अगरतला नगर निगम चुनाव में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी. टीएमसी के एक अन्य नेता ने कहा कि किसी न किसी को विपक्षी मोर्चा बनाने की कोशिश शुरू करनी होगी क्योंकि ‘‘कांग्रेस पूरी तरह से भ्रम की स्थिति में’’ है. राजनीतिक विश्लेषक एवं रंिवद्र भारती विश्वविद्यालय के प्राध्यापक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि बैठक काफी हद तक सफल रही और टीएमसी प्रमुख की कोशिशों का लक्ष्य विपक्षी मोर्चे के केंद्र के तौर पर कांग्रेस की जगह लेना है.

Related Articles

Back to top button