लोकसभा की एक, विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान सोमवार को

नयी दिल्ली. उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट और पांच राज्यों की छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए सोमवार को मतदान होगा. मैनपुरी में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. यह सीट सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त हुई है.

जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर और खतौली, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुरहानी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट शामिल हैं. उपचुनाव को लेकर चुनाव अधिकारियों ने व्यापक इंतजाम किए हैं.

एक संसदीय और छह विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों की मतगणना आठ दिसंबर को की जाएगी. उसी दिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों की भी मतगणना होगी. उत्तर प्रदेश में रामपुर सदर और खतौली विधानसभा सीटों और मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा और सपा-राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस इन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उपचुनावों में 24.43 लाख लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. इनमें 13.14 लाख पुरुष, 11.29 लाख महिला और 132 तृतीय श्रेणी के मतदाता शामिल हैं.
1,945 मतदान केंद्रों में स्थित 3,062 मतदान बूथ पर सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक वोट डाले जाएंगे.

उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर और खतौली सीटों पर सपा विधायक आजम खान और भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए जाने के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया था. आजम खान को 2019 के अभद्र भाषा मामले में एक अदालत द्वारा तीन साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था. वहीं, सैनी ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में उनकी सजा के ऐलान के बाद विधानसभा की सदस्यता खो दी थी.

उपचुनाव के नतीजों का केंद्र या राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा को दोनों जगहों पर बहुमत हासिल है. हालांकि, इन चुनावों में जीत 2024 के आम चुनावों से पहले पार्टियों को एक मनोवैज्ञानिक लाभ प्रदान करेगी. मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी ंिडपल यादव सपा की उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा ने रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है. शाक्य मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव के विश्वासपात्र रह चुके हैं.

जून में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में मिली जीत से उत्साहित भाजपा जहां सपा को उसके दो और गढ़ों में हराने की कोशिशों में जटी है, वहीं सपा शिवपाल और अखिलेश द्वारा एकता के सार्वजनिक प्रदर्शन के साथ हवा का रुख बदलने की उम्मीद कर रही है.

राजस्थान की सरदारशहर सीट कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा (77) के पास थी, जिनका लंबी बीमारी के बाद नौ अक्टूबर को निधन हो गया था. कांग्रेस ने वहां शर्मा के बेटे अनिल कुमार को मैदान में उतारा है, जबकि पूर्व विधायक अशोक कुमार भाजपा के उम्मीदवार हैं. आठ अन्य उम्मीदवार भी मैदान में हैं.

बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक बिजय रंजन सिंह बरिहा के निधन के कारण ओडिशा की पदमपुर सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था. इस उपचुनाव में दस उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. पदमपुर उपचुनाव धामनगर में बीजद की हार के मद्देनजर महत्व रखता है, जो 2009 के बाद से पार्टी की ऐसी पहली हार थी. इसके नतीजे यह भी संकेत देंगे कि ओडिशा में 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजद की लोकप्रियता के स्तर में कमी तो नहीं आई है. बीजद ने इस सीट से दिवंगत विधायक बरिहा की बेटी वर्षा को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें भाजपा के पूर्व विधायक प्रदीप पुरोहित और कांग्रेस प्रत्याशी एवं तीन बार के विधायक सत्य भूषण साहू से चुनौती मिल रही है.

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित भानुप्रतापपुर सीट पर उपचुनाव पिछले महीने कांग्रेस विधायक और विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी के निधन के कारण जरूरी हो गया था. इस सीट पर कम से कम सात उम्मीदवार मैदान में हैं. हालांकि, यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. कांग्रेस ने दिवंगत विधायक मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी पर भरोसा जताया है, जबकि पूर्व विधायक ब्रह्मानंद नेताम भाजपा के उम्मीदवार हैं.

बस्तर में आदिवासी समुदायों की संस्था सर्व आदिवासी समाज ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी अकबर राम कोर्रम को मैदान में उतारा है, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. कोर्रम 2020 में पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

बिहार के कुरहानी विधानसभा क्षेत्र में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा की जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति को मजबूत करेगी. इस सीट पर उपचुनाव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ­विधायक अनिल कुमार साहनी को अयोग्य ठहराए जाने के कारण जरूरी हो गया था.

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