जी7 बैठक में विश्व के नेता रूस पर और प्रतिबंध लगाने को तैयार, बैठक में शामिल होंगे जेलेंस्की

अरब जगत समझ सकता है कि यूक्रेन किसी विदेशी शासक के सामने घुटने नहीं टेकेगा : जेलेंस्की

हिरोशिमा/जेद्दा. दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतांत्रिक देशों के नेताओं ने शुक्रवार को ‘समूह 7’ (जी7) की बैठक में, यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस को अधिक दंड देने का संकल्प लिया. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की रविवार को इस बैठक में शामिल होंगे. बंद दरवाजों के भीतर हुई जी7 समूह की बैठकों के बाद उसके नेताओं ने एक बयान में कहा, ”यूक्रेन के लिए हमारा समर्थन कम नहीं होगा. हम यूक्रेन के खिलाफ रूस के अवैध, अनुचित और अकारण युद्ध के विरोध में एक साथ खड़े होने का संकल्प लेते हैं. रूस ने इस युद्ध की शुरुआत की थी और इस युद्ध को समाप्त भी कर सकता है.”

जेलेंस्की अपने युद्धग्रस्त देश से अब तक अपनी सबसे लंबी दूरी की यात्रा करेंगे वहीं जी7 समूह के नेता रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं. यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद के सचिव ओलेक्सी डेनिलोव ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपने संबोधन में इस बात की पुष्टि की कि जेलेंस्की जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

डेनिलोव ने शुक्रवार को कहा, ” हमें यकीन था कि हमारे राष्ट्रपति वहां मौजूद होंगे जहां यूक्रेन को उनकी जरूरत होगी, हमारे देश की शांति और स्थिरता को हासिल करने के लिए, चाहे उन्हें दुनिया के किसी भी हिस्से में जाना पड़े. वहां बहुत महत्वपूर्ण मामलों का निर्णय लिया जाएगा, इसलिए भौतिक रूप से उनकी उपस्थिति हमारे हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.” रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कारण यूक्रेन पर मंडरा रहे परमाणु हमले के खतरे, उत्तर कोरिया द्वारा जारी मिसाइल परीक्षणों और चीन के तेजी से बढ.ते परमाणु जखीरे के मद्देनजर जापान ने परमाणु निरस्त्रीकरण को शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख हिस्सा बनाने पर जोर दिया है.

विश्व के नेताओं ने शुक्रवार को दुनिया के पहले युद्धकालीन परमाणु बम विस्फोट में मारे गए हजारों लोगों को सर्मिपत एक शांति उद्यान का दौरा किया. अमेरिका के एक अधिकारी ने बताया कि सामूहिक तस्वीर खिंचवाने और सांकेतिक पौधारोपण के बाद रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों का खुलासा किया जाएगा और उस पर पहले से लगाए गए प्रतिबंधों को लागू करने के प्रयास दोगुने करने एवं उसे जवाबदेह बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

अमेरिका के एक अधिकारी ने अपनी पहचान गोपनीय रखे जाने की शर्त पर बताया कि अमेरिका की ओर से की जानी वाली कार्रवाई के तहत रूस के रक्षा उत्पादन से जुड़ी रूसी और अन्य देशों की करीब 70 संस्थाओं को काली सूची में डालना और 300 से अधिक व्यक्तियों, संस्थाओं, विमानों एवं पोतों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.

अधिकारी ने बताया कि जी7 के अन्य देश भी रूस को और अलग-थलग करने तथा यूक्रेन पर हमला करने की उनकी क्षमताओं को कमजोर करने के लिए इस प्रकार के कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में जी7 के गैर-सदस्य अतिथि देशों के नेताओं को भी यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि प्रतिबंधों को लागू करना इतना महत्वपूर्ण क्यों है.

जी7 देशों के समूह ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि वे रूस को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली का उपयोग करने से रोकने के लिए काम करेंगे, रूस के खिलाफ मुकदमा चलाएंगे, जी7 देशों की अर्थव्यवस्थाओं तक रूस की पहुंच को और प्रतिबंधित करेंगे और उस पर और प्रतिबंध लगाएंगे. जी7 देशों ने दुनिया के अन्य देशों से रूस को दी जाने वाली मदद को रोकने का आग्रह किया अन्यथा ऐसा करने पर ऐसे देशों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी.

यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि यूरोपीय संघ रूसी हीरों के व्यापार को प्रतिबंधित करने की योजना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसके अलावा, जी7 के सदस्य देशों ने चीन को लेकर चिंता जताने के संदर्भ में अकसर एकजुटता जताई है, लेकिन यह एक बड़ा सवाल है कि इन चिंताओं से निपटने के लिए कदम कैसे उठाए जाएं, क्योंकि जी7 देशों को जलवायु परिवर्तन, उत्तर कोरिया, यूक्रेन में युद्ध और बड़ी संख्या में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की ऋण समस्याओं से जुड़े मामलों में चीन के सहयोग की आवश्यकता है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ मजबूत संबंधों में जी-7 के सभी देशों का बड़ा हित है.

इस अवसर पर जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जापान-अमेरिका गठबंधन को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा, ” जापान-अमेरिका सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की नींव है. ” गौरतलब है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया से खतरों का सामना कर रहा जापान अपनी सेना का विस्तार कर रहा है, लेकिन वह जापान में तैनात 50,000 अमेरिकी सैनिकों पर भी निर्भर है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, ”जब हमारे देश एक साथ खड़े होते हैं, तो हम और मजबूत होते हैं, और मेरा मानना है कि जब हम ऐसा करते हैं तो पूरी दुनिया सुरक्षित होती है. ” इस बीच, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग चीनी शहर शीआन में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की बैठक में कजाकिस्तान, किर्गस्तिान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं की मेजबानी कर रहे हैं.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि जी7 की बैठक में जी -7 के नेता चीन की ”आर्थिक जबरदस्ती” को लेकर एक एकीकृत रणनीति का संयुक्त रूप से समर्थन करेंगे.

जी-7 में जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और इटली के साथ-साथ यूरोपीय संघ भी शामिल हैं. कई अन्य देशों को भी सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है जिनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया अतिथि देशों के रूप में सम्मेलन में भाग लेंगे.

अरब जगत समझ सकता है कि यूक्रेन किसी विदेशी शासक के सामने घुटने नहीं टेकेगा : जेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शुक्रवार को सऊदी अरब की यात्रा शुरू की, जहां उन्होंने अरब शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. सऊदी अरब की मेजबानी में हो रहे सम्मेलन में सीरिया के राष्ट्रपति बसर असद भी शामिल हुए. सऊदी अरब के वली अहद मोहम्मद बिन सलमान ने जेद्दा के लाल सागर शहर में असद और जेलेंस्की दोनों का स्वागत किया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने अरब जगत से जुड़े आक्रमणों और कब्जों के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, ”ये राष्ट्र समझ सकते हैं कि यूक्रेन किसी विदेशी शासक के सामने घुटने नहीं टेकेगा, इसलिए हम लड़ाई लड़ रहे हैं.” जेलेंस्की ने रूस को हमलावर ड्रोन की आपूर्ति कराने को लेकर उस पर भी निशाना साधा और रूसी नियंत्रण वाले क्रीमिया में रह रहे मुसलमानों की समस्याओं के बारे में भी बात की.

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि सभागार में उपस्थित कुछ लोगों ने रूसी हमले को लेकर ”आंखें मूंद” ली है.
सम्मलेन के दौरान अरब जगत ऐसे नेता भी मौजूद रहे, जो यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं. इसमें साथ ही कई अन्य देशों के नेता भी उपस्थित हैं, जिनके रूस से मधुर संबंध हैं.

गौरतलब है कि गृहयुद्ध शुरू होने पर सीरिया को अलग-थलग किए जाने के लगभग 12 साल बाद अरब जगत में एक बार फिर असद का स्वागत किया गया है. इस पूरी कवायद को मोहम्मद बिन सलमान की उस हालिया रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसके तहत क्षेत्रीय एकता पर बल दिया जा रहा है. हाल में सऊदी अरब ने अपने धुर-विरोधी ईरान के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए हैं.
पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्धबंदियों की अदला-बदली में भूमिका निभाने के बाद सऊदी अरब ने दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त करने के मद्देनजर मध्यस्थ्ता की पेशकश भी की थी.

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