असम के कार्बी आंगलोंग में शरण लिए 700 कुकी-जो लोगों को मणिपुर वापस भेजा जा चुका है: अधिकारी
दीफू. असम के कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) के मुख्य कार्यकारी सदस्य तुलीराम रोंगहांग ने बुधवार को कहा कि मणिपुर में हिंसा के कारण पिछले साल जिले में शरण लेने वाले 700 कुकी-जो लोगों को कुकी समुदाय के नेताओं और संगठनों के साथ चर्चा के बाद पहले ही वापस भेज दिया गया है.
रोंगहांग ने कहा कि परिषद ने लौटने वालों का यात्रा खर्च वहन किया था और उन्हें बसों के जरिये सुरक्षा में तैनात गाड़ियों के साथ वापस भेजा गया था. उन्होंने कहा कि पिछले साल मणिपुर में हिंसा फैलने के बाद से सिंघासन पहाड़ी क्षेत्र में शरण लिये लगभग 1,000 कुकी-जो लोगों को वापस भेजे जाने में मदद के प्रयास भी किये जाएंगे. उन्होंने बताया कि इनमें 400 परिवार शामिल हैं.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विस्थापित कुकी परिवारों की सुरक्षित और शांतिपूर्ण वापसी सुनिश्चित करने के लिए कार्बी और कुकी दोनों समुदायों के छात्र संगठनों और गांव के बुजुर्गों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा की गई थी. उन्होंने कहा, ”हम उन्हें जबरदस्ती बेदखल नहीं करेंगे बल्कि कुकी समुदाय समेत विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के साथ चर्चा के बाद उन्हें वापस भेजा जाएगा.” रोंगहांग ने कहा कि भूमि अधिकार केवल उन लोगों को दिया जाएगा जो कार्बी आंगलोंग जिला बनने के बाद से उसमें रह रहे हैं या लंबे समय से स्थायी निवासी हैं.
उन्होंने कहा, ”हम बाहर से पलायन करने वाले व्यक्तियों, खासकर हिंसा के बाद मणिपुर से आए लोगों को भूमि अधिकार नहीं देंगे.” उन्होंने कहा कि भूमि दस्तावेज वितरण पहल, जिसका उद्देश्य मूल लोगों के लिए भूमि अधिकार सुनिश्चित करना है, हाल ही में आए इन लोगों तक विस्तारित नहीं होगी. इस मामले पर आगे चर्चा करने के लिए 28 नवंबर को एक बैठक निर्धारित की गई है तथा रोंगहांग ने सौहार्दपूर्ण समाधान की आशा जतायी.
इसके विपरीत, ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस (एपीएचएलसी) के अध्यक्ष जे.आई. कथार ने रोंगहांग की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने “गैर-जिम्मेदाराना बयान” दिया है. उन्होंने दलील दी कि कुकी मणिपुर में हिंसा के कारण विस्थापित होने के कारण आश्रय और सुरक्षा की तलाश में कार्बी आंगलोंग आए थे.
कथार ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि मणिपुर में हिंसा के कारण विस्थापित होने की वजह से कुकी आश्रय और सुरक्षा की तलाश में जिले में आए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बांग्लादेशियों और बिहारियों के जिले में बसने पर चुप है, लेकिन हिंसा का सामना करने वाले कुकी के प्रति उसका रुख अलग है. असम के तीन पहाड़ी जिलों में से कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग संविधान की छठी अनुसूची के तहत केएएसी द्वारा शासित हैं. इन जिलों में कार्बी, कुकी, हमार और थाडौस सहित कई समुदाय रहते हैं. कार्बी और कुकी समुदायों के बीच तनाव और हिंसक संघर्ष का इतिहास रहा है, खासकर भूमि विवाद, संसाधनों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर.