प्राण प्रतिष्ठा के बाद 23 जनवरी को राम मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सकता है: नृपेंद्र मिश्रा ने दिए संकेत
संग्रहालय में राम मंदिर आंदोलन की कानूनी, राजनीतिक यात्रा का विवरण भी होगा: नृपेंद्र मिश्रा

नयी दिल्ली. राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने संकेत दिए हैं कि राम मंदिर के पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा होने और अगले साल 22 जनवरी को वहां श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसे 23 तारीख से श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सकता है.
‘पीटीआई-वीडियो’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव रहे मिश्रा ने यह भी कहा कि श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा अगले वर्ष 22 जनवरी को होगी और 20 से 24 जनवरी के बीच किसी भी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इससे जुड़े अनुष्ठान में सम्मिलित होंगे.
उन्होंने कहा, ”प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की देखरेख में एक समिति बनाई गई है. वह विस्तार से इस विषय पर काम कर रही है. 22 तारीख को तो प्राण प्रतिष्ठा होगी और ट्रस्ट ने एक निवेदन किया है सभी से, पूरे देश से, हर गांव-गांव से कि वे यथासंभव अपने गांव में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा को मनाएं.” मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट ने सभी श्रद्धालुओं से यह निवेदन किया है कि वे 22 तारीख को अयोध्या आने का प्रयास ना करें.
उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को निश्चित रूप से दूरदर्शन के माध्यम से दिखाया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की संभावना को देखते हुए मिश्रा ने इस संभावित भीड़ को नियंत्रित करने को भी चुनौती करार दिया. उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि उनकी ओर से एक संकेत दिया जाएगा कि विभिन्न प्रदेशों के लोग निश्चित तिथियों को ही आएं.
उन्होंने कहा, ”और एक यह भी योजना है, हालांकि वह पूरी तरह से क्रियान्वित तो नहीं हो सकती… 23 तारीख से प्रदेशों के कार्यक्रम बना दिए जाएं. जो श्रद्धालु एक प्रदेश से आ रहे हैं, उनके लिए एक कार्यक्रम हो और वह रेल की समय सारणी से भी मैच होना चाहिए. सड़क मार्ग से आने वाले लोगों का भी कार्यक्रम तय होना चाहिए.” उन्होंने कहा कि ट्रस्ट यह कोशिश भी कर रहा है कि विभिन्न भाषाओं के जानकार स्वयंसेवक के रूप में उपलब्ध रहें जो श्रद्धलुओं की भाषा में उनकी यात्रा को यादगार बनाने में मदद दें.
मिश्रा ने कहा कि यह भी प्रयास किया जा रहा है कि कुछ स्थानों पर खाने की व्यवस्था भी हो.
उन्होंने कहा, ”यह भी संभव है 25 से 50 हजार लोगों के लिए बिना किसी भुगतान के खाने की व्यवस्था की जाए. इन सब पर ट्रस्ट की समिति विचार कर रही है.” उन्होंने अनुमान जताया कि मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाने के बाद रोजाना लगभग सवा लाख से डेढ़ लाख लोग आएंगे और दर्शन करेंगे.
उन्होंने इस भीड़ को नियंत्रित करने को चुनौती बताते हुए कहा कि जब श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचने लगेंगे तो भू-तल का निर्माण पूरा हो चुका होगा लेकिन प्रथम तल और दूसरे तल पर निर्माण कार्य भी चल रहा होगा. उन्होंने कहा, ”तो हमें यह भी ख्याल रखना है कि जो श्रद्धालु आए उनकी सुरक्षा भी हो क्योंकि दोनों तलों पर निर्माण कार्य चल रहा होगा. वहां पर भी प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने होंगे.” उन्होंने कहा कि चूंकि ‘उल्टी गिनती शुरु हो गई है’ तो श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं की व्यवस्था पर भी विस्तार से काम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ”मंदिर परिसर तक पहुंचने का क्या रूट होगा? किस तरह लोग मंदिर में आएंगे? कितनी कतारों में आएंगे? एक व्यक्ति को दर्शन करने के लिए कितना समय मिले?…इन सब पर काम जारी है.” उन्होंने कहा कि जिला और पुलिस प्रशासन, उत्तर प्रदेश सरकार, ट्रस्ट के लोग और बहुत भारी संख्या में स्वयंसेवक आएंगे जो इस कार्यक्रम की देखरेख करेंगे. मिश्रा ने बताया कि मंदिर लगभग ढाई एकड़ में है और परिक्रमा पथ को मिलाकर कुल परिसर आठ एकड़ होता है.
संग्रहालय में राम मंदिर आंदोलन की कानूनी, राजनीतिक यात्रा का विवरण भी होगा: नृपेंद्र मिश्रा
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा है कि अयोध्या में सरयू तट पर स्थित अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से ना सिर्फ खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों व अवशेषों को दर्शाया जाएगा बल्कि इस आंदोलन की कानूनी, राजनीतिक और धार्मिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत करने वाला एक विशेष प्रकोष्ठ भी बनाया जाएगा.
‘पीटीआई-वीडियो’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव रहे मिश्रा ने बताया कि संग्रहालय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लीज पर मिल गया है और इसमें काम शुरू किया जा रहा है. मिश्रा ने कहा, ”कुछ चीजें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की खुदाई के दौरान मिलीं और कुछ मंदिर निर्माण कार्य के लिए की गई खुदाई के दौरान मिलीं. उन्हें बहुत ही सुरक्षित तरीके से… कुछ तो न्यायालय के आदेशों से सुरक्षित रखा गया है और कुछ ट्रस्ट के पास सुरक्षित रखा गया है.” उन्होंने कहा कि एएसआई से अनुमति लेकर इन सभी मूर्तियों व अवशेषों को संग्रहालय में प्रर्दिशत किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ”संग्रहालय में अलग-अलग प्रकोष्ठ होंगे. एक प्रकोष्ठ ऐसा होगा, जिसमें कौन-कौन सी चीजें खुदाई और निर्माण कार्य के दौरान मिलीं, उन्हें रखा जाएगा. एक दूसरा प्रकोष्ठ होगा, जिसमें 500 से भी अधिक वर्षों की उस लंबी कानूनी, राजनीतिक और धार्मिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा जिसका पटाक्षेप 2019 में उच्चतम न्यायालय के फैसले से हुआ.”
नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार को निर्देशित किया था कि वह तीन माह के भीतर मंदिर निर्माण के लिए एक न्यास की स्थापना करे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 फरवरी 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की घोषणा की. मिश्रा न्यास के सदस्य होने के साथ ही मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष भी हैं. मिश्रा ने बताया कि संग्रहालय के एक प्रकोष्ठ में राम वन गमन व विभिन्न भाषाओं की राम कथाओं का विवरण होगा और एक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ में राम के अंतरराष्ट्रीय महत्व से जुड़ी गाथाओं को दर्शाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि पहले इरादा था कि मंदिर परिसर में ही एक संग्रहालय बनाया जाए लेकिन इससे बाद में समस्या हो सकती थी.
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने देखा कि एक बहुत अच्छा संग्रहालय राज्य सरकार के पास उपलब्ध है और वह उसे मिल जाए तो दोनों की अपेक्षाओं की पूर्ति हो सकेगी. मिश्रा ने बताया, ”राज्य सरकार ने संग्रहालय दे दिया है. इसमें कार्य शुरू किया जा रहा है.” पहले मंदिर ट्रस्ट की योजना में मंदिर परिसर में ही श्रीराम से जुड़ी और मंदिर परिसर की नींव की खुदाई में निकले दुर्लभ पुरावशेषों के संग्रह के लिए संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित था.
उच्चतम न्यायालय ने 2019 में राम मंदिर के साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में ही किसी दूसरे स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किए जाने का फैसला किया था. मिश्रा से जब यह पूछा गया कि मंदिर निर्माण का पहला चरण पूरा होने की दिशा में है लेकिन मस्जिद निर्माण का काम अभी भी शुरू नहीं हो सका है, तो उन्होंने कहा कि मंदिर और मस्जिद निर्माण का काम ‘दो अलग-अलग संस्थाएं देख रही हैं और दोनों में राज्य व केंद्र सरकार का हस्तक्षेप नहीं है’.
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट मंदिर निर्माण का कार्य कर रहा है और इसी प्रकार का एक संगठन है जो कि एक मस्जिद और उससे संबंधित योजनाओं पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा, ”मैंने भी अखबारों में पढ़ा था कि नियमों के अनुपालन में या नक्शे पास कराने में कुछ विलंब हो रहा है. अभी मुझे अनौपचारिक जानकारी मिली है कि किसी प्रकार की बाधा नहीं है. और वह कुछ समय में निर्माण कार्य शुरु करेंगे.”