
जम्मू/नयी दिल्ली. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के सिलसिले में गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए बालटाल मार्ग लेने वाले तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए महिला र्किमयों की ‘क्या मैं आपकी मदद कर सकती हूं’ नामक विशेष टीम तैनात की है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.
सीआरपीएफ ने इस वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए सबसे अधिक संख्या में र्किमयों को तैनात किया है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को जम्मू से इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यात्रा के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 581 कंपनियां तैनात की गयी हैं जिनमें 219 सीआरपीएफ से हैं, जबकि बाकी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत तिब्बत सीमा बल (आईटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जैसे बलों से हैं.
दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की 38 दिवसीय तीर्थयात्रा तीन जुलाई को दो मार्गों से शुरू होगी. इसमें अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग हैं. सीआरपीएफ ने आधार शिविर से लेकर ‘डोमेल’ के प्रवेश द्वार तक महिला श्रद्धालुओं की मदद के लिए बालटाल मार्ग पर ‘क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं’ लिखे नारंगी रंग के जैकेट पहनी अपनी महिला र्किमयों की एक टीम तैनात की है.
अधिकारियों ने बताया कि ये टीम महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात रहेंगी.
सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक और यात्रा के लिए संयुक्त नोडल अधिकारी सुधीर कुमार ने कहा, ”बल सभी पक्षों के साथ समन्वय में तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित अमरनाथ यात्रा आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारी सभी टीम को तीर्थयात्रियों को समय पर सहायता प्रदान करने और मजबूत सुरक्षा प्रदान करने का काम सौंपा गया है.” पिछले साल भी यात्रा की निगरानी कर चुके कुमार ने कहा कि इस आयोजन के लिए सभी सुरक्षा व्यवस्थाएं की गई हैं.
यह अमरनाथ यात्रा 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 लोगों के मारे जाने की पृष्ठभूमि में हो रहा है. सीआरपीएफ ने अमरनाथ यात्रा मार्गों पर अपने पर्वतीय बचाव दल (एमआरटी) के हिस्से के रूप में 30 र्किमयों वाली एक टीम भी तैनात की है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्वतीय बचाव दल ये कर्मी आमतौर पर उच्च ऊंचाई के कारण होने वाली चिकित्सा जटिलताओं के मामले में तीर्थयात्रियों को बचाने में मदद करेंगे और किसी भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के दौरान जरूरी कार्रवाई करेंगे.
यात्रा का समापन नौ अगस्त को होगा. इस साल की तीर्थयात्रा के लिए अब तक 3.31 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है.