चिदंबरम ने चीन मुद्दे पर सरकार को घेरा: मोदी से चिनफिंग के समक्ष सीमा मुद्दा उठाने के बारे में पूछा

नयी दिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भारत-चीन सीमा के उस तरफ सड़क एवं पुल सहित विभिन्न आधारभूत ढांचे के निर्माण के बारे में देश को जानकारी देने की मांग करने के साथ ही सरकार से यह बताने को कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाली में चीनी राष्ट्रपति शी चिनंिफग के साथ मुलाकात हुई थी तो क्या उन्होंने सीमा मुद्दे पर भी चर्चा की थी?
उच्च सदन में चिदंबरम ने अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि सरकार ने 500 करोड़ रूपये रक्षा पूंजीगत व्यय के लिए मांगे हैं। उन्होंने कि अनुदान की अनुपूरक मांगों के अनुसार यह धन पूर्वोत्तर की सामरिक एवं सीमा सड़कों पर खर्च किया जाना है। उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि पूर्वोत्तर सीमा पर खतरा कौन है?’’

उन्होंने प्रश्न किया, ‘‘क्या चीन ने ‘हाट स्प्रिंग’ के बारे में कोई सहमति जतायी है? क्या चीनी पक्ष ने डोकलाम जंक्शन एवं डेबचाम मैदान पर विवाद बिन्दुओं को लेकर चर्चा पर सहमति जतायी है? आप कई बफर जोन बना रहे हैं। बफर जोन वह क्षेत्र हैं जहां किसी देश की सेना गश्त नहीं करती।’’

चिदंबरम ने कहा कि अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता और भारत के (रक्षा) प्रवक्ता ने भी यह कहा है कि सीमा के उस पार काफी तैनाती एवं आधारभूत ढांचे का निर्माण हो रहा है ‘‘तथा हमारी सरकार भी अपनी तरफ आधारभूत ढांचे का निर्माण कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि वह यह नहीं जानना चाहते कि सीमा के इस तरफ किस तरह का निर्माण हो रहा है ंिकतु वह यह जानने को उत्सुक हैं कि सीमा के उस पार क्या निर्माण हो रहा है क्योंकि सेटेलाइट तस्वीरों से इसका पता चलता है। उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि चीन किस तरह की सड़कें, पुल और अन्य निर्माण कर रहा है?

इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जीवीएल नरसिम्हा राव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य विधेयक के विषय के दायरे से परे हटकर बोल रहे हैं अत: इसे सदन की कार्यवाही से निकाल देना चाहिए। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदस्य को विषय के दायरे में रह कर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह रक्षा से जुड़ा एक संवदेनशील मामला है।

चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने एक वीड़ियो में देखा कि प्रधानमंत्री मोदी बाली में चीनी राष्ट्रपति से हाथ मिला रहे हैं और प्रधानमंत्री उनसे बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वीडियो में चिनंिफग कुछ बोलते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने जानना चाहा कि क्या उस बातचीत में चिनंिफग से सीमा मुद्दे पर भी कोई बातचीत हुई थी?

सभापति ने कहा कि चिदंबरम को इस वीडियो को सदन के पटल पर रखना चाहिए ताकि उनकी बात की पुष्टि हो सके। इस पर चिदंबरम ने कहा कि यह वीडियो टीवी चैनलों पर प्रसारित किया गया था और उसमें कोई आवाज नहीं सुनायी दे रही थी। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वीडियो की बात ना भी करें तो यह एक तथ्य है कि प्रधानमंत्री मोदी की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात हुई और वह मात्र यह जानना चाहते हैं कि क्या उस दौरान सीमा के मुद्दे पर बातचीत हुई?

उन्होंने कहा कि बजट अनुमानों के अनुसार 2022-23 के लिए मौजूदा मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 258 लाख करोड़ रूपये है। उन्होंने कहा कि यह मौजूदा मूल्यों के आधार पर पिछले साल की तुलना में 11.1 प्रतिशत अधिक है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि वह मात्र वह दो छोटे प्रश्न जानना चाहते हैं कि मुद्रास्फीति दर क्या होगी और विकास की वास्तविक दर क्या रहेगी? चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने आम बजट की चर्चा में भी ये प्रश्न पूछे थे और अब जबकि वित्त वर्ष के नौ महीने बीत चुके हैं, इनका उत्तर नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि सरकार यह 3,25,756 करोड़ रूपये जो खर्च करना चाहती है, उसे यह कैसे पता चला कि इतने ही खर्च की जरूरत पड़ेगी? उन्होंने कहा कि इसका पता लगाने के तीन ही तरीके हैं…(1) सरकार ने बजट के राजस्व प्राप्ति से अधिक धन प्राप्त कर लिया हो, (2) सरकार ने उधार लिया हो अथवा (3) सरकार बजट में दिखाई गयी विकास दर से अधिक विकास का अनुमान कर रही हो जिससे जीडीपी अधिक बढ़ जाएगी और सरकार अधिक उधार लेकर खर्च कर देगी।

उन्होंने सरकार से पूछना चाहा कि वह इन तीनों में से कौन सा मार्ग अपना रही है? चिदंबरम ने कहा कि बजट के अनुसार सकल कर राजस्व 27,57,820 करोड़ रूपये रहेगा। उन्होंने कहा कि इसमें से निगमित कर सात लाख 20 हजार करोड़ रूपये तथा आयकर सात लाख करोड़ रूपये रहेगा।

उन्होंने कहा कि सकल कर राजस्व में निगमित कर का योगदान 26.1 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में सकल कर राजस्व में निगमित कर का योगदान 34 प्रतिशत हुआ करता था। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि सरकार कंपनी क्षेत्र को इतना लाभ क्यों दे रही है?

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सकल कर राजस्व का 74 प्रतिशत आम कर दाताओं, सीमा शुल्क, उपकर आदि से जुटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कंपनियों को सरकार की ओर से यह जो व्यापक ‘‘सहूलियतें’’ दी जा रही हैं, यह कितना उचित है, इस बात को सदन को तय करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री उद्योग मंडलों में जाकर कंपनियों से निवेश करने के लिए कह रही हैं। उन्होंने प्रश्न किया कि जब कंपनी क्षेत्र को इतनी सहूलियत दी जा रही है और उनके लिए जब वातावरण इतना बेहतर है तो वे निवेश क्यों नहीं कर रही हैं? उन्होंने कहा कि जब सरकार कह रही है कि सब कुछ बेहतर है तो निजी निवेश क्यों नहीं हो रहा है, वह इतना शिथिल और कम क्यों है? पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि 1990-91 में देश की जीडीपी स्थिर मूल्यों पर 25 लाख करोड़ रूपये थी और इसके 12 वर्ष बाद यह दुगनी हो गयी।

उन्होंने कहा कि इसके बाद फिर अगले दस साल में यह जीडीपी दुगनी होकर 98-99 लाख करोड़ रूपये हो गयी। उन्होंने कहा कि अब यह एक सामान्य सी उम्मीद है कि जो सरकार पिछले नौ साल से सत्ता में है, उसके शासनकाल में जीडीपी को दुगना हो जाना चाहिए था?

उन्होंने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री नरंिसह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन ंिसह के शासनकाल में जीडीपी दुगनी हो गयी तो वर्तमान सरकार के शासनकाल में यह दुगनी क्यों नहीं हो पायी? उन्होंने वित्त मंत्री से पूछा कि वह सदन को यह बताएं कि क्या जीडीपी 200 लाख करोड़ रुपये हो पाएगी?

कांग्रेस के वरिष्ठ ने कहा, ‘‘यदि आप (सरकार) जीडीपी को दुगना कर देते हैं तो मैं आपको सलाम करूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम यह बात जानते हैं कि निजी निवेश बहुत मंद पड़ गया है।’’ उन्होंने कहा कि निजी खपत में कमी हो रही है विशेषकर गरीबों एवं मध्यम वर्ग द्वारा की जाने वाली खपत। उन्होंने कहा कि निर्यात मंदा पड़ गया है और व्यापार घाटा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अकेले चीन के साथ देश का व्यापार घाटा बढ़कर 73 अरब डॉलर हो गया है।

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आजकल मंदी की ओर बढ़ रही हैं। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए वह विकास को गति कैसे प्रदान करेगी?

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