सेंगर के खिलाफ बलात्कार मामले में पुलिसकर्मियों पर आरोप तय करने का रास्ता साफ

नयी दिल्ली. एक विशेष अदालत ने 2017 में एक नाबालिग पीड़ित द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज नहीं के आरोप से एक पुलिस अधिकारी को बरी करने से मना कर दिया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अदालत ने उन्नाव में सफीपुर के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी कुंवर बहादुर सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के लिए मामले को जनवरी में सूचीबद्ध किया है.

उन्होंने कहा कि सिंह के दो अधीनस्थ अधिकारियों- माखी थाने के पूर्व प्रभारी डी. पी शुक्ला और उप-निरीक्षक दिग्विजय सिंह को भी सीबीआई के आरोपपत्र में नामित किया गया है. उन्होंने कहा कि पीड़ित की शिकायत कि सेंगर ने चार जून, 2017 को उसका बलात्कार किया था, को दर्ज नहीं करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 166ए के तहत मामला दर्ज किया था. दोषी पाए जाने पर इन पुलिस अधिकारियों को छह महीने से दो साल तक की अवधि के लिए जेल हो सकती है.

मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने के बाद पीड़ित ने लखनऊ में आठ अप्रैल, 2018 को मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया था जो बाद में राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया था. आरोप है कि पीड़ित ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 17 अगस्त, 2017 को भेजी अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि सेंगर ने उसी साल चार जून को उसका बलात्कार किया और बाद में 11 जून को अन्य तीन लोगों ने उससे सामूहिक बलात्कार किया, लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. उसकी शिकायत मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल पर पंजीकृत की गई और जांच के लिए कुंवर बहादुर सिंह को भेजी गई.

सीबीआई जांच से पता चला है कि पीड़िता सिंह के सामने पेश हुई थी और उसने शिकायत करने की बात स्वीकार की थी. सिंह ने शिकायत डी. पी. शुक्ला को भेजी थी, जिन्होंने इसे जांच के लिए दिग्विजय सिंह को सौंप दिया था. दिग्विजय सिंह ने 24 अगस्त, 2017 को सौंपी जांच रिपोर्ट में कहा कि माखी थाने में 11 जून को सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था और आरोप पत्र भी दायर किया गया है. हालांकि, उन्होंने सेंगर द्वारा बलात्कार किए जाने के बारे में कोई जिक्र नहीं किया.

सीबीआई ने आरोप लगाया, “उन्होंने (दिग्विजय सिंह) ने रिपोर्ट में आगे कहा कि शिकायतकर्ता के अन्य आरोप निराधार और झूठे हैं और उसे आवेदन देने की आदत है.” सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में नाबालिग से बलात्कार के दोषी सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई है. पीड़ित घटना वाले दिन यानी चार जून, 2017 को नौकरी मांगने के लिए सेंगर के घर गई थी.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारियों ने खास तौर पर सेंगर के खिलाफ आरोपों की उचित जांच नहीं की तथा वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी अपनी रिपोर्ट में विशिष्ट निष्कर्ष दिए बिना कुंवर सिंह ने तत्कालीन विधायक के खिलाफ नाबालिग की शिकायत को “झूठा और निराधार” बताया.

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