अदालत ने मानहानि मामले में भाजपा नेता की याचिका पर मुख्यमंत्री आतिशी को नोटिस जारी किया

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ एक मानहानि मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की याचिका पर मंगलवार को मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया. आतिशी ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों को खरीदने का प्रयास किया था. आतिशी के इस आरोप के विरोध में भाजपा नेता ने उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की थी. न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, ”प्रतिवादी को नोटिस जारी करें.” मामले की सुनवायी अप्रैल में होगी.

शिकायतकर्ता प्रवीण शंकर कपूर की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि विशेष अदालत ने उनकी मानहानि की शिकायत को खारिज करते हुए तथा आप नेता को मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन को रद्द करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे का उल्लंघन किया. उन्होंने अदालत द्वारा आतिशी को ‘व्हिसलब्लोअर’ बताकर उनके आचरण को ”उचित” ठहराने पर आपत्ति जतायी और टिप्पणियों पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया.

न्यायमूर्ति महाजन ने हालांकि स्थगन पर कोई निर्देश नहीं दिया और कपूर की याचिका पर आतिशी का रुख पूछा. कपूर के वकील ने कहा कि विशेष अदालत को स्वयं को मानहानि के अपराध के तत्वों तक ही सीमित रखना चाहिए था. उन्होंने कहा कि आरोपों के बावजूद, आतिशी पुलिस के समक्ष अपने दावों को पुष्ट करने के लिए कोई भी सामग्री लेकर आगे नहीं आईं. कपूर ने 30 जनवरी को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

कपूर की याचिका में कहा गया है, ”विशेष न्यायाधीश ने शिकायतकर्ता को अपने आरोपों को सही साबित करने के लिए सुनवाई की भी अनुमति नहीं दी…उक्त आदेश को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि उक्त आदेश में कई कानूनी खामियां हैं.” भाजपा की दिल्ली इकाई के पूर्व मीडिया प्रमुख और प्रवक्ता कपूर ने कहा कि आतिशी ने 27 जनवरी और उसके बाद दो अप्रैल, 2024 को आयोजित प्रेस वार्ता में निराधार आरोप लगाते हुए भाजपा के खिलाफ निराधार आरोप लगाये थे.

कपूर ने कहा कि आतिशी ने आरोप लगाया कि भाजपा, आप के विधायकों से संपर्क कर रही है और उन्हें पाला बदलने के लिए 20-25 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश कर रही है. हालांकि, आतिशी ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती देने के लिए एक पुनरीक्षण याचिका दायर करके विशेष न्यायाधीश का रुख किया.

शिकायत में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आरोपी बनाया गया था. हालांकि मजिस्ट्रेट अदालत ने 28 मई, 2024 को केजरीवाल के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार नहीं पाया. विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 28 जनवरी को कहा था कि आतिशी द्वारा लगाए गए आरोप राजनीतिक भ्रष्टाचार से संबंधित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आते हैं, न कि मानहानि के.

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