उड़ीसा और कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पत्थर के साथ नेपाल से लाए जाने पत्थर पर मूर्तिकला के विशेषज्ञ चेक करेंगे: चंपत राय

भगवान राम लला (Ramlala) के मंदिर में अचल मूर्ति के तौर पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा को लेकर भवन निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक श्री राम जन्मभूमि परिसर और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के अकाउंट डिपार्टमेंट में चली. इस बैठक में चर्चा हुई क‍ि मां जानकी के नगर नेपाल की कंडकी नदी से भगवान राम लला की नगरी लाए जा रहे शालिग्राम पत्थर को लेकर मंथन हुआ. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की माने तो भगवान रामलला की अचल मूर्ति के तौर पर शालिग्राम पत्थर का उपयोग किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने मूर्तिकला के विशेषज्ञ और मूर्ति निर्माण करने वालों के पाले में गेंद डाल दी. उन्‍होंने यह जरूर कहा कि नेपाल के लोगों की श्रद्धा सि‍र माथे पर अगर भगवान राम लला की आंचल मूर्ति के लिए सबसे उपयुक्त पत्थर शालिग्राम पत्थर हुआ तो फिर मां जानकी के नगर से भगवान राम के आकार के लिए लाए गए पाषाण का उपयोग निश्चित ही किया जाएगा.

श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल देश के काली गंडकी नदी के तट से शालिग्राम पत्थर आएंगे, जिसे नेपाल देश के संत अयोध्या को उपहार स्वरूप दे रहे हैं. इस आशय की जानकारी श्री राम मंदिर निर्माण समिति की 2 दिनी बैठक के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने दी. निर्माण समिति की बैठक इस बार रामलला की मूर्ति के स्वरूप, कितनी दूरी से दर्शन करने पर भक्त भाव विभोर हो सकते हैं और मूर्ति की ऊंचाई कितनी होगी? इसी पर केंद्रित रही. बैठक में रामलला की मूर्ति के स्वरूप से संबंधित सभी आवरण जैसे आंखों की कोमलता देवत्व और बाल सुलभता, होंठो की मुस्कान, गाल और मस्तक के साथ-साथ नाभि से ऊपर और नाभि से नीचे की संपूर्ण रचना पर गंभीर चिंतन किया गया. इसी के साथ ही इस आशय पर भी विचार किया गया कि मूर्ति किसी भी दशा में पुत्र अर्थात बाल रूप में प्रतीत हो.

बैठक की विशेषता यह रही कि 2 दिनों में निर्माण समिति की बैठक तीन अलग-अलग चरणों में अलग-अलग स्थानों पर हुई, जबकि राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में सदस्यों और श्री राम जन्मभूमि परिसर में तकनीकी एक्सपोर्ट्स की दोपहर बाद एक साथ बैठक की गई, जिसमें निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डॉ अनिल मिश्र,जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती, राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी प्रमुख रूप से शामिल हुए.

ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने कहा कि रामलला की प्रतिमा का स्वरूप क्या होगा अनेक लोगों ने चित्र बनाकर भेजें कंप्यूटर पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया. आंखें किसकी अच्छी हैं, जिसमें कोमलता है, देवत्य है बाल सुलभ है, होठ की मुस्कान किसकी अच्छी है, 5 वर्षीय बालक का पश्चर्य, कैसा नाभि के ऊपर का हिस्सा और नाभि के नीचे का हिस्सा तुलनात्मक अध्ययन करो उसका प्रपोशन कैसा है. पैरों में खड़ाऊ होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए. कंधे पर धनुष और हाथ में तीर होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए. इस पर लोगों ने अपने अपने विचार रखें. पुत्र के रूप में पूजा होगी और बालक की होगी. प्रतिमा की ऊंचाई क्या हो तो विचार आया कि दरवाजे की ऊंचाई क्या है दरवाजे की ऊंचाई 9 फीट 1 इंच है, तो प्रतिमा उस 9 फीट 1 इंच के अंदर दिखनी चाहिए प्रतिमा कितनी दूर से देखी जाएगी. कम से कम 35 फीट दूर से देखे जाने पर कितनी ऊंची प्रतिमा का आंख और चरण सब एक दृष्टि में आ जाएगा. यह सब ड्राइंग पर लगाकर देखी गई और यह चर्चाएं हुई यही चर्चा का सत्र था इतने लोगों ने केवल मूर्ति पर विचार किया.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि काली गंडकी यह नदी नेपाल में है. नेपाल के संतों ने कहा हम शालिग्राम पत्थर अयोध्या को सौगात में देना चाहते हैं. कभी जनकपुर में जानकी जी दी अब जानकी जी के दहेज के रूप में यह सौगात देंगे. जनकपुर जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर जी महाराज ने नेपाल सरकार को निवेदन किया है. नेपाल सरकार ने स्वीकार कर लिया है. चंपत राय ने कहा कि सरकार ने पत्थर उठाया राम तपेश्वर दास को भेज दिया अब राम तपेश्वर दास उस पत्थर को अयोध्या के संतों को भेंट करेंगे. हालांकि चंपत राय ने दावा करते हुए बताया कि पत्थर हमने देखा नहीं जब पत्थर अयोध्या पहुंचेगा. तब मूर्ति रचना करने वाले को पत्थर दिखाया जाएगा. चंपत राय ने कहा कि भारत में कहां-कहां इस प्रकार के पत्थर उपलब्ध हैं वह सब पत्थर भी मंगाए जा रहे है. ऐसा जरूरी नहीं है जिस पत्थर को एक बार ले आए उसकी मूर्ति बनेगी. जब पत्थर पर छीनी लगेगी तभी मूर्तिकार बताएगा कि इस पत्थर से मूर्ति बनेगी या नहीं.

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