फीडबैक जासूसी मामला: संदीप दीक्षित, दो पूर्व मंत्रियों ने ‘राजद्रोह’ के आरोप में जांच की मांग की

नयी दिल्ली. पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, दिल्ली सरकार के दो पूर्व मंत्रियों मंगत राम सिंघल और किरण वालिया ने उप राज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार की फीडबैक इकाई द्वारा कथित जासूसी कराए जाने की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (एनआईए) से यूएपीए के तहत कराने की मांग की है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि उप राज्यपाल सचिवालय ने अनुरोध को आगे की कार्रवाई के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव को भेज दिया है.
दीक्षित और दोनों पूर्व मंत्रियों ने एक मार्च को उप राज्यपाल सक्सेना को लिखे पत्र में कहा कि फीडबैक इकाई मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देना पर्याप्त नहीं है.

उन्होंने कहा कि यह मामला साफ तौर पर राजद्रोह का है क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल की जानकारी में लोगों, संस्थानों, जिनमें केंद्र सरकार के संस्थान शामिल हैं. की जासूसी कराई गई. उन्होंने सक्सेना को लिखे पत्र में कहा, ‘‘बातचीत सुनने, खुफिया जानकारी व सूचना प्राप्त करने की क्षमता हासिल करना और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जिनमें भारत सरकार, रक्षा प्रतिष्ठान और केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियां के लोगों की ‘जासूसी’ करना स्पष्ट रूप से राजद्रोह का मामला है.’’

पत्र में तीनों नेताओं ने लिखा, ‘‘हम वकील नहीं हैं, लेकिन हमारा मानना है कि गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) या इसी तरह की धारा लागू की जानी चाहिए और सीबीआई और एनआईए को आपके द्वारा निर्देश दिया जाना चाहिए कि राजद्रोह और देश विरोधी गतिविधि के कानूनों के तहत मामले की जांच करें क्योंकि अपराध करने का सबूत पहले ही सामने है. दिल्ली के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों को राजद्रोह और देश विरोधी कानून के तहत अभियोजित किया जाना चाहिए.’’ गौरतलब है कि पिछले महीने सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी.

केंद्र सरकार ने बाद में सीबीआई को मामले में अभियोजित करने की कार्रवाई करने की अनुमति देकर सिसोदिया के खिलाफ नया मामला दर्ज करने का रास्ता साफ कर दिया था. यह मामला दिल्ली सरकार के विभागों द्वारा कथित तौर पर ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र करने से जुड़ा है.

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने वर्ष 2015 में विभिन्न विभागों और स्वायत्त निकायों के कामकाज को लेकर फीडबैक और कार्रवाई योग्य सूचना एकत्रित करने हेतु फीडबैक इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव किया था और वर्ष 2016 में गोपनीय सेवाओं पर होने वाले खर्च के मद से एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी.

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