गहलोत सरकार करती है बहादुरों का अपमान, तुष्टिकरण की राजनीति: भाजपा

पुलवामा के शहीदों की पत्नियों को जयपुर में प्रदर्शन स्थल से हटाकर अस्पताल भेजा गया

नयी दिल्ली. राजस्थान पुलिस द्वारा 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के तीन जवानों की वीरांगनाओं को जयपुर में एक प्रदर्शन स्थल से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद भाजपा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा देश के बहादुरों व उनके परिवारों का अपमान किया है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने, झूठे वादे करने और देश के नायकों का अपमान करने का आरोप लगाया.

पुलिस के अनुसार, वीरांगनाओं को शुक्रवार तड़के प्रदर्शन स्थल से हटा दिया गया और उन्हें उनके आवासीय क्षेत्रों के पास के अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि उनके समर्थकों को जयपुर के एक पुलिस स्टेशन ले जाया गया. सभी कांग्रेस नेता सचिन पायलट के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे.

राठौड़ ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने हमेशा सेना और वीरांगनाओं का तिरस्कार किया है. राहुल गांधी ने र्सिजकल स्ट्राइक, गलवान घाटी के मामले में भी ऐसा ही किया था और अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी ऐसा ही कर रही है.’’ उन्होंने भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस की मानसिकता ‘‘शहीदों और उनके परिवारों का अपमान’’ करने की रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान के मुख्यमंत्री (अशोक गहलोत) परिवारों से मिलने से इनकार कर रहे हैं. विधवाओं पर लाठी चार्ज हुआ. इन विधवाओं और उनके परिवारों से मिलने में मुख्यमंत्री को क्या डर है? गांधी परिवार के नाम पर 400 से अधिक योजनाएं हैं लेकिन शहीद की प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकती?’’

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के तीन जवानों… रोहिताश लांबा, हेमराज मीणा और जीतराम गुर्जर… की विधवाएं पिछले 10 दिनों से शहीदों की प्रतिमाएं लगाने, अनुकम्पा के आधार पर परिजनों की नियुक्ति, उनके गांवों में सड़कों का निर्माण सहित अन्य मांगों को लेकर भाजपा के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा के साथ धरना प्रदर्शन कर रही हैं. वीरांगनाएं सोमवार से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास के बाहर डेरा डाले हुए थीं. पिछले पांच दिनों से वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर भी हैं.

वीरांगनाएं मुख्यमंत्री गहलोत से मिलने और उनकी मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन देने की मांग कर रही हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को इन मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि शहीद जवानों के बच्चों के बजाए अन्य रिश्तेदारों को नौकरी देना क्या ‘‘उचित’’ होगा? उन्होंने पूछा, ‘‘हम शहीद के बच्चों के अधिकारों को कुचल कर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देने को कैसे जायज ठहरा सकते हैं? बड़े होने पर शहीद के बच्चों का क्या होगा? क्या उनके अधिकारों को कुचलना उचित है?’’ वीरांगनाओं के साथ प्रदर्शन कर रहे सांसद मीणा ने शुक्रवार को सुबह कहा कि सरकार वीरांगनाओं की आवाज नहीं दबा पाएगी.

मीणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार तीन वीर महिलाओं से इतना क्यों डरती है कि पुलिस उन्हें रातों-रात उठा ले गई. पता नहीं, उन्हें कहां ले गए हैं? महिलाएं केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से मिलने की गुहार लगा रही हैं. मुख्यमंत्री उनकी बात सुनकर इतना घबरा क्यों रहे हैं?’’ उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘एसईजेड पुलिस थाने के बाहर धरने पर बैठा हूं. सरकार पुलिस के बल पर वीरांगनाओं की आवाज नहीं दबा पाएगी. एक निरंकुश और तानाशाह सरकार का, अधिक ताकत के साथ विरोध किया जाएगा.’’ बाद में मीणा शहीदों की पत्नियों से मुलाकात करने के लिये गए लेकिन जयपुर जिले के चौमू कस्बे के तहत आने वाले सामोद थाने की पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया.

 

 

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