‘विपक्ष मुक्त भारत’ और ‘मुस्लिम मुक्त विधायिका’ चाहती है सरकार: बसपा सांसद

नयी दिल्ली. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि सरकार ‘विपक्ष मुक्त भारत’ और ‘मुस्लिम मुक्त विधायिका’ चाहती है. उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए अली ने यह भी कहा कि देश की एक बड़ी आबादी को ‘दोयम दर्जे का नागरिक’ नहीं बनाया जा सकता.

अली ने कहा, ‘‘इस अभिभाषण में बेरोजगारी की कोई बात नहीं की गई.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में सिर्फ अडाणी का विकास हुआ है. अली ने का कहना था कि उत्तर प्रदेश में गन्ना खरीद का मूल्य तय नहीं हुआ है. बसपा सांसद ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मोहम्मद फैजल को अदालतों द्वारा दोषी करार दिए जाने के मामलों का हवाला देते हुए दावा किया कि सरकार ‘विपक्ष मुक्त भारत’ के साथ ‘मुस्लिम मुक्त विधायिका’ चाहती है.

उन्होंने कहा, ‘‘संसद भवन से दो किलोमीटर दूर रोजाना नफरत भरे भाषण होते हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है.’’ अली ने सांसद ने कहा, ‘‘आपको अपना कोई इतिहास नहीं है, सिर्फ दूसरों का इतिहास बदलना चाहते हैं.’’

चर्चा में भाग लेते हुए बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने कहा कि इस अभिभाषण में बेरोजगारी की कोई बात नहीं की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में सिर्फ अडाणी का विकास हुआ है. अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ना खरीद का मूल्य तय नहीं हुआ है. बसपा सांसद ने दावा किया कि सरकार ‘विपक्ष मुक्त भारत’ के साथ ‘मुस्लिम मुक्त विधायिका’ चाहती है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अमोल कोल्हे ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया है कि देश का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि देश का माहौल भी खराब हो रहा है.

समाजवादी पार्टी की ंिडपल यादव ने कहा कि यह कैसा अमृतकाल है, जहां युवाओं के पास रोजगार नहीं है, किसान खुशहाल नहीं है और महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं और उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़े हैं. ंिडपल ने उत्तर प्रदेश सरकार के निवेश सम्मेलन का हवाला देते हुए कहा कि हजारों करोड़ों रुपये के निवेश पर हस्ताक्षर हो रहा है, लेकिन एक भी निवेश धरातल पर नहीं उतर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुलपतियों की नियुक्तियों में भेदभाव देखने को मिला है.
ंिडपल यादव ने कहा, ‘‘अगर सही मायनों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों का विकास करना है, तो हमें जातिगत जनगणना की बात करनी होगी.’’

नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार में जम्मू कश्मीर को इस देश का हिस्सा नहीं माना जा रहा, वहां लोग अपना पक्ष नहीं रख पा रहे और अफसरशाही है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सबकुछ सामान्य होने का दावा किया जाता है लेकिन वहां आम नागरिकों पर हमले हो रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष के सदस्यों को विपक्ष का विरोध करने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और ‘‘हम चीन, पेगासस, मोरबी, बीबीसी पर कुछ नहीं बोल सकते’’. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री का नाम तक नहीं ले सकते. उन्होंने उद्योगपति गौतम अडाणी का नाम लिये बगैर उन पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि अब जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में देश की साख दांव पर है और सरकार को इस मामले में पूरी तरह जांच करानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि वह 2019 से संसद में इस मुद्दे को उठाती आई हैं, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया और अब एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने यह विषय उठाया है, तो सबका ध्यान गया है. महुआ ने दावा किया कि यह उद्योगपति प्रधानमंत्री के साथ उनके शिष्टमंडल में विदेश जाते हैं और खुद को प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करते हैं. तृणमूल कांग्रेस की सांसद के कुछ शब्दों को लेकर सत्तापक्ष ने आपत्ति जताई, जिसके बाद दोनों तरफ से तीखी नोकझोंक देखने को मिली.

पीठासीन सभापति भर्तृहरि महताब ने कहा कि दोनों तरफ से कुछ कड़वे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है और इस पर संसदीय कार्य मंत्री (प्र‘‘ाद जोशी) और तृणमूल कांग्रेस के नेता (सुदीप बंदोपाध्याय) को बातचीत करनी चाहिए. बाद में जोशी ने कहा कि जिस शब्द का इस्तेमाल किया है, उसके लिए महुआ मोइत्रा को माफी मांगनी चाहिए. अगर वह माफी नहीं मांगती हैं, तो यह उनकी संस्कृति को दिखाता है. चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि तेलुगू देशम पार्टी के राममोहन नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय किए गए वादों को पूरा किया जाना चाहिए.

चर्चा में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर ने दावा किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में अल्पसंख्यक शब्द का उपयोग नहीं किया गया तथा बजट में भी अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की गई है. उन्होंने कहा कि इस सरकार का हमेशा दोहरा रवैया होता है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए एम आरिफ ने कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों की उपेक्षा कर रही है. कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम ने दावा किया कि सरकार ने राष्ट्रपति को गुमराह किया है, क्योंकि उन्होंने जो अभिभाषण में पढ़ा, वास्तविकता इसके विपरीत है. उन्होंने कहा कि ‘भारतनेट’ से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए. जनता दल (यूनाइटेड) के रामप्रीत मंडल ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए.

शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि 2014 के चुनाव से पहले ‘अच्छे दिन’ का वादा किया गया था, लेकिन अभिभाषण में ‘अच्छे दिन’ की कोई बात नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन आज महंगाई और बेरोजगारी ज्यादा है.

हरसिमरत ने कहा, ‘‘बच्चे भुखमरी से मर रहे हैं और हम पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की बात कर रहे हैं.’’ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान में पेपरलीक मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग भारत जोड़ने निकले थे, लेकिन जब देश टूटा ही नहीं है, तो जोड़ेंगे क्या.
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी देश के लिए काम ही नहीं किया.

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