ईडी निदेशक के कार्यकाल में वृद्धि को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च को

नयी दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक के सेवा विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय 21 मार्च को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति अरंिवद कुमार की पीठ ने यह देखते हुए मामले को टाल दिया कि इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है।

पीठ ने कहा, ‘‘21 मार्च के लिए सूचीबद्ध।’’ सुनवाई शुरू होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र की ओर से एक हलफनामा दाखिल किया गया है जिसमें कहा गया है कि इस मामले में याचिकाएं ऐसे नेताओं की ओर से दायर की गई हैं जिनके खिलाफ धनशोधन के मामले लंबित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘धनशोधन के गंभीर मामलों का सामना कर रहे राजनीतिक लोग इस अदालत में आए हैं।’’ तब शीर्ष अदालत ने कहा ‘‘हम इससे ंिचतित नहीं हैं।’’ इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन ने कहा कि केवल असाधारण मामलों में ही सेवा विस्तार दिया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को दिए गए तीसरे सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था। न्यायालय ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका पर भारत संघ, केंद्रीय सतर्कता आयोग और ईडी निदेशक को नोटिस जारी किये थे।

याचिका में केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग कर लोकतंत्र के ‘‘बुनियादी ढांचे’’ को नष्ट करने का आरोप लगाया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक विशिष्ट आदेश पारित किया था कि मिश्रा को आगे सेवा विस्तार नहीं दिया जाए, लेकिन केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर, 2021 से 17 नवंबर, 2022 तक दूसरा सेवा विस्तार दिया। जया के अनुसार, इसके बाद उन्होंने एक याचिका दायर की, जिस पर एक नोटिस जारी किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि उपरोक्त रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, प्रतिवादी संख्या 1 ने फिर से 18 नवंबर, 2022 से 18 नवंबर, 2023 तक प्रतिवादी संख्या 2 को तीसरा सेवा विस्तार दिया, जो दर्शाता है कि प्रतिवादी संख्या 1 के मन में कानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है।

18 नवंबर को, न्यायमूर्ति एस के कौल ने ईडी निदेशक के लिए पांच साल तक के विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इसके एक दिन बाद मिश्रा को धनशोधन रोधी एजेंसी के प्रमुख के तौर पर एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था।

कांग्रेस नेताओं रणदीप ंिसह सुरजेवाला और जया ठाकुर, और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले तथा अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार ने भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी के पद पर मिश्रा (62 वर्ष) को एक साल का सेवा विस्तार दिया।

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी 18 नवंबर, 2023 तक पद पर रहेंगे।
मिश्रा को पहली बार 19 नवंबर, 2018 को दो साल के लिए ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था। बाद में, 13 नवंबर, 2020 के एक आदेश द्वारा, केंद्र सरकार ने नियुक्ति पत्र को पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधित किया और उनका दो साल का कार्यकाल तीन साल में बदल दिया गया।

सरकार ने पिछले साल एक अध्यादेश जारी किया था जिसके तहत ईडी और सीबीआई प्रमुखों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। केंद्र ने पांच सितंबर को शीर्ष अदालत में दलील दी थी कि ईडी प्रमुख को दिया गया सेवा विस्तार और पांच साल तक ऐसे सेवा विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा चुनौती दिए जाना ‘‘दबाव बनाने की रणनीति’’ है। शीर्ष अदालत ने तब विश्वनाथन को याचिकाओं से निपटने में सहायता करने के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया था।

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