भारत-गुयाना समकालीन दौर के लिए उपयुक्त साझेदारी बना रहे हैं : जयशंकर

जॉर्जटाउन. गुयाना को भारत का ‘‘बहुत खास सहयोगी’’ बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां भारतीय समुदाय को संबोधित किया और कहा कि दोनों देश ऐसी साझेदारी बना रहे हैं जो समकालीन दौर के उद्देश्य के लिए उपयुक्त है. गुयाना की पहली यात्रा पर आए जयशंकर ने भारतीय समुदाय को गुयाना के नेतृत्व से बातचीत होने की जानकारी दी और कहा कि दोनों देशों ने अपनी साझेदारी के स्तर में सुधार लाने का संकल्प लिया है.

उन्होंने रविवार को भारतीय समुदाय को संबोधित करने के बाद ट्वीट किया, ‘‘गुयाना में आज शाम को भारतीय समुदाय से बात करके खुशी हुई. हमारे साथ बातचीत के लिए उपराष्ट्रपति भरत जगदेव और स्पीकर मंजूर नादिर का शुक्रिया. उन्हें बताया कि हम एक साझेदारी बना रहे हैं जो समकालीन दौर के उद्देश्य के लिए उपयुक्त है.’’ उन्होंने कहा कि गुयाना के साथ भारत के करीबी, गहरे और भावनात्मक संबंध हैं तथा देश की राजधानी में उसकी मौजूदगी इसकी एक अभिव्यक्ति है.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘कुछ चीजें बेहतरी के लिए बदल गयी हैं. आज संबंधों में ऊर्जा और प्रतिबद्धता है जो बेहद उल्लेखनीय है.’’ उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों की सफलताओं, चुनौतियों तथा कठिनाइयों की भारत में लोगों के दिल में खास जगह है. जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध ‘‘बहुत अलग स्तर’’ तक जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘साझा परंपराओं, विरासत और संस्कृति के कारण हमारे लिए, गुयाना बहुत खास साझेदार है. बहुलवादी समाज, राजनीतिक लोकतंत्रों, बाजार अर्थव्यवस्थाओं के तौर पर यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हम मूलभूत सिद्धांतों को साझा करते हैं.’’ उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य तथा खाद्य सुरक्षा के बारे में कोविड-19 महामारी से दो बड़ी सीख मिली है.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सुरक्षा, स्वास्थ्य खर्च, स्वास्थ्य तैयारी के बारे में कोविड-19 से सीख मिली है….दूसरी बड़ी सीख खाद्य सुरक्षा की मिली है…हम ऐसी दुनिया की ओर देख रहे हैं जहां अनिश्चितताएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं.’’ इससे पहले, उन्होंने भारत में प्रशिक्षण ले चुके गुयाना के सेवा अधिकारियों से मुलाकात की. जयशंकर के साथ गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली ने भारत द्वारा निर्मित जहाज एमवी एम लिशा को बेड़े में शामिल किए जाने के कार्यक्रम में भाग लिया.

जयशंकर ने महात्मा गांधी के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और भारत-गुयाना मित्रता के लिए एक पौधा भी लगाया. उन्होंने कहा कि जलवायु चेतना के लिए महात्मा गांधी का संदेश सार्वभौमिक और कालातीत है. उन्होंने यहां राम कृष्ण धार्मिक मंदिर में भारतीय समुदाय के साथ सुबह पूजा-अर्चना भी की. उन्होंने कहा, ‘‘यह देखकर बहुत खुशी हुई कि कैसे परंपराओं, विरासत और रीति-रिवाजों को संजो कर रखा जा रहा है.’’

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