महाराष्ट्र सरकार ने अंतर-धार्मिक दंपतियों से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए गठित की समिति

मुंबई. श्रृद्धा वालकर हत्याकांड की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र सरकार ने अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक आधार पर शादी के बंधन में बंधे दंपतियों और इस मामले में परिवार से अलग हो चुकीं महिलाओं तथा उनके परिवार के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक समिति का गठन किया है.

समिति के प्रमुख एवं राज्य के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य श्रद्धा वालकर मामले की पुनरावृत्ति से बचना है.
विपक्षी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने इसे एक ‘‘पीछे ले जाने वाला’’ कदम बताया और कहा कि एकनाथ ंिशदे सरकार को लोगों के निजी जीवन की जासूसी करने का कोई अधिकार नहीं है.

राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मंगलवार को जारी सरकारी संकल्प (जीआर) में कहा गया है कि ‘‘अंतर-जातीय/अंतर-धार्मिक विवाह-परिवार समन्वय समिति (राज्य स्तरीय)’’ की अध्यक्षता राज्य के महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा करेंगे. लोढ़ा ने बुधवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा समिति का गठन यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास है कि श्रद्धा वालकर जैसे मामले की पुनरावृत्ति न हो.

उन्होंने कहा, ‘‘यह तथ्य हैरान करने वाला है कि वालकर के परिवार को पता नहीं था कि उसकी छह महीने पहले मृत्यु हो गई थी … हम श्रद्धा वालकर जैसा एक और मामला नहीं चाहते और यही कारण है कि समिति का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि ऐसे विवाह करने वाली महिलाएं अपने परिवारों से दूर नहीं हों.’’ वालकर की कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने इस साल मई में दिल्ली में हत्या कर दी थी. पूनावाला ने श्रद्धा की कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी थी.

पूनावाला (28) ने कथित तौर पर श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े किए थे और उन्हें शहर के अलग-अलग हिस्सों में ठिकाने लगाने से पहले तीन हफ्ते तक दक्षिण दिल्ली के महरौली स्थित अपने आवास पर 300 लीटर के एक फ्रिज में रखा था. जीआर में कहा गया है कि समिति ऐसे विवाहों में शामिल महिलाओं, जो शायद अपने परिवार से अलग हो गई हैं, के लिए जिला स्तर पर की जाने वाली पहलों की निगरानी करेगी ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें सहायता प्रदान की जा सके.

जीआर में कहा गया है कि समिति महिलाओं और उनके परिवारों के लिए परामर्श प्राप्त करने और मुद्दों को हल करने के लिए एक मंच होगी. इसमें कहा गया है कि कल्याणकारी योजनाओं और मामले से संबंधित कानून के बारे में राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों का अध्ययन करने के लिए समिति में सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों के 13 सदस्य होंगे. समिति जिला अधिकारियों के साथ नियमित रूप से बैठकें करेगी और पंजीकृत और अपंजीकृत अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाहों, पूजा स्थलों पर होने वाली शादियों और घर से भागकर किये गये विवाह के बारे में जानकारी एकत्र करेगी.

इस बीच, राकांपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अंतर-जातीय/धार्मिक विवाहों की जांच करने वाली यह समिति कैसा बकवास है? कौन किससे शादी करता है, इसकी जासूसी करने वाली सरकार कौन है? उदार महाराष्ट्र में यह एक पीछे ले जाने वाला, घृणित कदम है. प्रगतिशील महाराष्ट्र किस ओर बढ़ रहा है. लोगों की निजी ंिजदगी से दूर रहें.’’

हालांकि, एकनाथ ंिशदे के नेतृत्व वाली ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों के आंकड़ों का अध्ययन करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य स्तरीय समिति गठित करने के कदम का स्वागत है. सरकार द्वारा सही दिशा में उठाया गया सक्रिय कदम.’’ पिछले महीने मंत्री लोढ़ा ने राज्य महिला आयोग से एक विशेष दस्ते का गठन करने के लिए कहा था ताकि उन महिलाओं की पहचान की जा सके जिन्होंने परिवार की रजामंदी के बिना शादी की और बाद में उनसे अलग हो गईं. यह फैसला श्रद्धा वालकर हत्याकांड को देखते हुए लिया गया था.

वालकर की उसके लिव इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने कथित रूप से इस साल मई में दिल्ली में हत्या कर दी थी. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल में कहा था कि उनकी सरकार ‘लव जिहाद’ पर अन्य राज्यों द्वारा बनाए गए कानून का अध्ययन करेगी, लेकिन राज्य में फिलहाल इस तरह का कानून लाने का फैसला नहीं किया गया है. ‘‘लव जिहाद’’ एक शब्द है, जिसका इस्तेमाल अक्सर दक्षिणपंथी कार्यकर्ता करते हैं और आरोप लगाते हैं कि मुस्लिम पुरुष शादी के माध्यम से धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू महिलाओं को लुभाते हैं.

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