मध्यप्रदेश के कुनो पार्क में नामीबियाई नर चीता की मौत

कूनो के समक्ष शिकार, तेंदुओं की चुनौतियां; गांधी सागर अभयारण्य अभी चीतों के लिए तैयार नहीं

श्योपुर/नयी दिल्ली. मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले एकमात्र चीते की मौत हो गई. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि मौत डूबने से हुई है. वन्यजीव कार्यकर्ताओं को संदेह है कि उसका शिकार किया गया है, हालांकि नामीबिया से लाए गए इस चीते पवन पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं. चीते का शव मंगलवार सुबह करीब 10:30 बजे झाड़ियों के बीच एक उफनते नाले के किनारे पाया गया. एक बयान के अनुसार पशु चिकित्सकों को सूचित किया गया और करीब से जांच करने पर पता चला कि चीते के शव का अगला आधा हिस्सा पानी के अंदर डूबा था. उसके शरीर पर कहीं भी कोई बाहरी चोट नहीं देखी गई.

बयान के मुताबिक ,” मौत का प्रारंभिक कारण डूबना प्रतीत होता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद विस्तृत जानकारी दी जाएगी.” यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत इस साल के अंत तक चीतों का एक नया जत्था लाने के प्रयासों में तेजी ला रहा है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के एक अधिकारी ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,” हम इस मामले पर दक्षिण अफ्रीका के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रहे हैं. सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में एक प्रतिनिधिमंडल यहां आएगा.”

अधिकारी ने कहा, ” हमने दक्षिण अफ्रीका को सूचित किया है कि हम चीता परियोजना संचालन समिति की सिफारिश और कार्य योजना के अनुसार वर्ष के अंत तक चीतों का एक और जत्था लाने के प्रयासों में तेजी लाना चाहते हैं.” ‘पीटीआई-भाषा’ को पता चला है कि केन्या के साथ भी बातचीत जारी है और एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पवन की मौत के बाद केएनपी में 24 चीते बचे हैं, जिनमें 12 वयस्क और इतने ही शावक हैं.

अब तक भारत लाए गए 20 चीतों में से कुछ – सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 – को शुरू में जंगल में छोड़ा गया था लेकिन पिछले साल 13 अगस्त तक तीन चीतों की सेप्टीसीमिया से मौत हो जाने के बाद उन्हें वापस बाड़ों में भेज दिया गया था. केवल पवन ही जंगल में बचा था. उसे 11 मार्च 2023 को जंगल में छोड़ा गया था लेकिन 22 अप्रैल को उसे वापस बाड़े में लाया गया. उसे फिर से 2 जुलाई 2023 को छोड़ा गया.

कूनो के समक्ष शिकार, तेंदुओं की चुनौतियां; गांधी सागर अभयारण्य अभी चीतों के लिए तैयार नहीं
भारत में विदेश से लाए चीतों का पहला घर बना मध्य प्रदेश का कूनो राष्ट्रीय उद्यान तेंदुओं की संख्या अधिक होने और शिकार योग्य पशुओं की कमी से जूझ रहा है और इन्हीं दोनों चुनौतियों ने गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में तैयारियों में विलंब कर दिया है जो चीतों का दूसरा घर होगा. केंद्र की ‘चीता परियोजना संचालन समिति’ (चीता प्रोजेक्ट स्टीरिंग कमेटी) की बैठकों के विवरण से पता चलता है कि सितंबर 2022 में भारत में चीतों की आबादी बढ.ाने की महत्वाकांक्षी पहल के सामने शिकार में वृद्धि और तेंदुओं का प्रबंधन प्रमुख चुनौतियां हैं.

शिकार कम होना उन वजहों में से एक है जिसके चलते सेप्टिसीमिया के कारण तीन चीतों की मौत के बाद बाकी के चीतों को पिछले साल अगस्त में जंगल से लाए जाने के बाद कूनो में बाड़ों में अधिक वक्त गुजारना पड़ा. अंतरिम समाधान के तौर पर प्राधिकारी कूनो और गांधी सागर दोनों में शिकार की संख्या बढ.ा रहे हैं. दोनों इलाकों में तेंदुओं की अधिक तादाद के कारण भी तेंदुआ स्थानांतरण अभियान शुरू करना पड़ा है. विशेषज्ञों के अनुसार, तेंदुए और शेर जैसे शिकारियों की उपस्थिति चीतों के लिए खतरा पैदा करती है.

बहरहाल, समिति के सदस्यों ने बार-बार ”मूल स्थान पर शिकार बढ.ाने” की महत्ता पर जोर देते हुए कहा है कि ”स्थानांतरण के जरिए सक्रिय शिकार वृद्धि अनिश्चितकाल तक नहीं हो सकती है.” मंदसौर के प्रभागीय वन अधिकारी संजय रैखेरे ने 18 जून को एक बैठक में कहा था कि गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के नए जत्थे के लिए तैयार किए जा रहे 64 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में 24 तेंदुए थे. सूत्रों के अनुसार, अभी तक वहां से 15 तेंदुओं को स्थानांतरित किया गया है.

सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गांधी सागर अभयारण्य तेंदुओं की संख्या और शिकार की चुनौतियों के कारण चीतों के लिए ”100 फीसदी तैयार नहीं” है. एक सूत्र ने बताया, ”हम तेंदुआ मुक्त बाड़बंदी बनाने पर काम कर रहे हैं. हमें बाड़े के अंदर और बाहर शिकार की आबादी में सुधार करने की भी आवश्यकता है.” गांधी सागर अभयारण्य 368 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है.

”गांधी सागर में चीतों को लाने की कार्य योजना” के अनुसार, पांच से आठ चीतों को पहले चरण में प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करते हुए 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी मुक्त बाड़बंदी वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा. इस परियोजना का दीर्घकालीन उद्देश्य कूनो-गांधी सागर में 60-70 चीतों की आबादी है. अपनी असाधारण गति और चपलता के लिए पहचाने जाने वाले चीते मुख्य रूप से खुले आवास में शिकार करते हैं. इसके विपरीत, तेंदुए विभिन्न प्रकार के आवास में शिकार करने के अनुकूल होते हैं और उनका आहार कई तरह का होता है. नतीजतन, चीते ऐसे आवास और समय चुनकर तेंदुओं से सीधे टकराव से बचते हैं जब तेंदुए कम सक्रिय होते हैं.

सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जरिए ‘पीटीआई-भाषा’ को मिले रिकॉर्ड से पता चलता है कि समिति के सदस्यों ने अभी तक हुई लगभग हर बैठक में शिकार और तेंदुआ संबंधी चुनौतियों को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं. संचालन समिति के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने तेंदुओं की सापेक्ष बहुतायत से निपटने के लिए पारिस्थितिकी, आवास आधारित दीर्घकालीन समाधान तलाशने की जरूरत पर जोर दिया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button