विपक्षी दल 2024 के लिए ‘इस हाथ ले, उस हाथ दे’ और विनम्रता का भाव दिखाएं: चिदंबरम

नयी दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता की जरूरत पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी समेत सभी दलों को एकजुट होने की दिशा में ‘इस हाथ ले, उस हाथ दे’ तथा विनम्रता के साथ बढ़ना चाहिए. उन्होंने विपक्षी दलों से यह आग्रह भी किया कि वे लोकसभा चुनाव के लिए राज्य स्तर के नजरिये को छोड़कर अखिल भारतीय स्तर के दृष्टिकोण को अपनाएं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह टिप्पणी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान के दो दिनों बाद की है. नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि कांग्रेस को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से बने माहौल का लाभ उठाते हुए भाजपा विरोधी दलों को एकजुट कर गठबंधन बनाना चाहिए और अगर ऐसा हो गया तो 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी 300 से ज्यादा सीट वाली भारतीय जनता पार्टी को 100 से भी कम सीट पर समेटा जा सकता है.

चिदंबरम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि अगर राजनीतिक हालात का सही ढंग से विश्लेषण किया जाए तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा कि लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाली किसी भी विपक्षी एकजुटता में कांग्रेस को धुरी होना पड़ेगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस किसी भी विपक्षी गठबंधन का केंद्र ंिबदु रहेगी तो उन्होंने कहा कि यह अहसास बढ़ता जा रहा है कि विपक्षी दलों को भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री के अनुसार, ‘‘हर पार्टी की अपनी ताकत है. यह स्वीकारोक्ति भी है कि कांग्रेस को छोड़कर दूसरे सभी विपक्षी दल एक राज्य तक सीमित दल हैं.’’ चिदंबरम ने विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में कहा कि कांग्रेस समेत सभी दलों को ‘इस हाथ ले, उस हाथ दे’ की भावना तथा विनम्रता के साथ इस काम को पूरा करने की दिशा में बढ़ना होगा. तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के साथ विपक्षी एकजुटता बनाने से जुड़ी मुश्किलों पर उन्होंने कह कि हर पार्टी को यह अधिकार है कि वह विधानसभा के चुनाव में अपने हितों की रक्षा करे.

चिदंबरम का कहना था, ‘‘हमारी ंिचता लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में है. हर पार्टी को राज्य स्तर का चश्मा उतारकर, अखिल भारतीय स्तर का चश्मा पहनना होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि शरद पवार, नीतीश कुमार, सीताराम येचुरी और एम के स्टालिन सभी दलों पर यह प्रभाव डाल सकते हैं कि वे लोकसभा चुनाव में नये नजरिये के साथ आगे बढ़ें.’’

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