विपक्षी दलों ने अडाणी मुद्दे पर ‘जवाब नहीं देने’ के लिए प्रधानमंत्री पर साधा निशाना

कांग्रेस ने अडाणी समूह से जुड़े आरोपों की जांच के लिए JPC गठित करने की मांग की

नयी दिल्ली. उद्योगपति गौतम अडाणी के कारोबारी समूह से जुड़े आरोपों का जवाब नहीं देने पर बुधवार को विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर अरबपति कारोबारी को बचाने का आरोप लगाया.
विपक्षी दलों ने मोदी द्वारा यह कहे जाने के बाद कि उनके पास 140 करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद का सुरक्षा कवच है जिसे कोई भेद नहीं सकता, यह हमला बोला. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि देश की जनता नकारात्मकता स्वीकार नहीं कर सकती और उनके ऊपर लगाये गये ‘‘झूठे आरोपों’’ पर कभी भरोसा नहीं करेगी.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संसद में प्रधानमंत्री के जवाब को ध्यान भटकाने वाला बताया और कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने ‘‘पसंदीदा कारोबारी’’ के साथ ‘‘संबंधों’’ पर एक शब्द भी नहीं कहा. लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्पष्ट रूप से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के जमाकर्ताओं को आश्वस्त करते हुए बयान देना चाहिए कि उनका पैसा सुरक्षित हाथों में है.

बंदोपाध्याय ने मोदी के संबोधन के बाद संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक सच्चाई है कि उनसे (एलआईसी और एसबीआई से) पैसा अडाणी को गया है और लोग प्रधानमंत्री से आश्वासन पाने के लिए जवाब का इंतजार कर रहे थे, लेकिन दुख की बात है कि यह नहीं आया.’’ अडाणी-ंिहडनबर्ग मुद्दे का जिक्र करते हुए, शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘‘गंभीर मुद्दे’’ को सरकार द्वारा संबोधित नहीं किया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत स्पष्ट है कि लोगों और सदन के प्रत्येक सदस्य के दिमाग में क्या है, लेकिन इसे संबोधित नहीं किया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मुद्दे उठाए गए थे और राष्ट्र जवाब का हकदार है. यह लोगों का पैसा है जो इसमें शामिल है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को उठ रहे सवालों के जवाब मिले.’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि लोकसभा में प्रधानमंत्री ने जो वक्तव्य दिया उसमें सच्चाई नहीं थी और वह उद्योगपति गौतम अडाणी का बचाव कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘भाषण में सच्चाई नहीं थी. अगर (अडाणी) मित्र नहीं हैं तो यह कह देते कि जांच होगी. शेल कंपनियां और बेनामी संपत्तियां राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय हैं. भारत के बुनियादी ढांचे से जुड़ा विषय हैं. ये बहुत बड़ा घपला है. इस बारे में प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा.’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री उनका (अडाणी) बचाव कर रहे हैं. मैं समझता हूं. इसका कारण है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अपने सवालों का जवाब मिल गया, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मुझे अपने सवालों का प्रधानमंत्री से कोई जवाब नहीं मिला.’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री हैरान थे. उनके पास कोई जवाब नहीं था. मैंने कोई जटिल सवाल नहीं पूछा. मैंने केवल यह पूछा कि वह (अडाणी) कितनी बार आपके साथ (विदेश) गए हैं. कितनी बार वह आपसे मिलते हैं. मैंने साधारण सवाल किए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.’’ गांधी से जब पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री के जवाब से संतुष्ट हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं संतुष्ट नहीं हूं, लेकिन इससे सच्चाई का पता चलता है.’’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘ध्यान भटकाओ, बदनाम करो, इनकार करो. यही प्रधानमंत्री की शैली है जो संसद में उनके तथाकथित जवाब में नजर आई.

उन्होंने अपने पसंददीदा कारोबारी अडाणी और उनके घोटालों के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला.’’ राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य जया बच्चन और लोकसभा में मोदी की तस्वीरें साझा करते हुए रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘आज शाम सवा पांच बजे. राज्यसभा में बेलाग-लपेट बोलने वालीं भारत की सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्री में से एक. बाईं ओर भारत के सबसे मशहूर अभिनेता लोकसभा में बोलते हुए.’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अच्छा भाषण दिया लेकिन विपक्ष के एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया. विपक्षी दल अडाणी की कंपनियों के खिलाफ ंिहडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की एक संयुक्त संसदीय समिति से या उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग कर रहे हैं. अडाणी समूह ने ंिहडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया है.

कांग्रेस ने अडाणी समूह से जुड़े आरोपों की जांच के लिए JPC गठित करने की मांग की

राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह को लेकर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग की. उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग ले रहे नेता प्रतिपक्ष खरगे ने अडाणी समूह से जुड़े आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि एक व्यक्ति की संपत्ति दो-ढाई साल में 12-13 गुना बढ़ कर 12 लाख करोड़ रुपये हो गई.

उन्होंने इतनी तेज गति से संपत्ति बढ़ने पर सवाल करते हुए कहा कि अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए जेपीसी गठित की जानी चाहिए तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा. उन्होंने सवाल किया कि सरकार जेपीसी के गठन से क्यों डर रही है? उन्होंने कहा कि लेकिन विपक्ष अपनी इस मांग को नहीं छोड़ने वाला है. खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’’, लेकिन उनके एक दोस्त की संपत्ति कुछ ही सालों में 13 गुना बढ़ गई.

सभापति जगदीप धनखड़ ने खरगे से कहा कि वह ऐसा आरोप नहीं लगाएं जिसे वह सत्यापित नहीं कर सकते हैं. धनखड़ ने कहा कि सदन में किसी को भी, किसी भी तरह के आरोप लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. खरगे ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अडाणी समूह को भारी रकम कर्ज के तौर पर दी है और समूह उसी राशि से सार्वजिनक क्षेत्र के उपक्रमों को खरीद रहा है.

खरगे के भाषण के दौरान कई बार सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच टोकाटोकी हुई. इसी दौरान सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उनकी मांग से असहमति जताई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक नेता जो सांसद हैं, उनकी संपत्ति में 2014 में 16 गुना की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता के संबंध में जानकारी सार्वजनिक है.

खरगे ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के नेता नफरत की बात करते हैं. उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व में हाल में संपन्न ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ का जिक्र करते हुए कहा कि 3600 किलोमीटर लंबी वह यात्रा किसी के खिलाफ नहीं थी बल्कि लोगों के विचारों को सुनने और उनकी बातों से मार्गदर्शन लेने के लिए थी.

उन्होंने कहा कि जिम्मेदार सांसद और मंत्री भी हिंदू-मुस्लिम की बात करते रहते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के नेता जाति, धर्म, भाषा आदि के नाम पर नफरत फैलाने का प्रयास करते हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वे अनुसूचित जाति के लोगों की परेशानी पर ध्यान नहीं देते और उनके घरों में खाना खाकर केवल प्रचार करते हैं.

उन्होंने दावा किया कि अनुसूचित जाति के लोगों को मंदिर जाने पर प्रताड़ित करने की घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर अनुसूचित जाति के सदस्य हिंदू हैं तो उन्हें मंदिर जाने की अनुमति क्यों नहीं होनी चाहिए. खरगे ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि वह नफरत फैलाने वाले लोगों को आखिर क्यों नहीं रोकते हैं? इस दौरान सभापति ने खरगे को आगाह किया कि उन्हें प्रधानमंत्री जैसे पद के लिए चलताऊ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह सरकार हमेशा चुनावी मोड में रहती है. उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि संसद जब चलती है, तब भी प्रधानमंत्री चुनावी रैली करते हैं. उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में रहने के दौरान भी प्रधानमंत्री ने उनके संसदीय क्षेत्र गुलबुर्गा में दो-दो बैठकें (सभाएं) कीं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सदन में मौजूद थे.

खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार बताती है कि वह आगे क्या करेगी और किस ढंग से देश को चलाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार अपने कार्यों व उपलब्धियों को बताने के बदले पिछली सरकारों के कार्यों का जिक्र कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को गौर करना चाहिए कि 1947 में देश की क्या स्थिति थी और वह 2014 तक कितनी बदली थी.

उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि दूसरों द्वारा किए गए कार्यों को भी श्रेय दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर बुनियाद नहीं होगी तो इमारत कैसे बनेगी. उन्होंने कहा कि लेकिन नींव जमीन के अंदर होती है और बाहर इमारत होती है जिसका उद्घाटन किया जा रहा है.

खरगे ने कहा कि सरकार समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की भावना को खत्म कर रही है और दोषारोपण दूसरों पर कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर जनता ने उनके मन-मुताबिक वोट नहीं दिया, उनकी सरकार नहीं बनाई तो वे विभिन्न सरकारी एजेंसियों का उपयोग कर अपनी सरकार बनाने का प्रयास करते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सच बोलने वालों को बोलने का मौका नहीं देती, सच लिखने वाले को लिखने का मौका नहीं दिया जाता, सच लिखने वाले पत्रकार को जेल भेज देते हैं और टीवी पर बहस में जो सत्यता की बात करता है, उसे हटा देते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा अन्य दलों को अपनी ओर करने के लिए तरह-तरह के उपाय करती है और उनकी पार्टी में जाते ही कलंकित व्यक्ति निर्मल हो जाता है. उन्होंने बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र पर रोक लगाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि शाहरुख खान की फिल्म से साफ हो जाता है कि जितना रोकेंगे, उतनी ही अधिक संख्या में लोग देखेंगे.

उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि यह सरकार तमाम मोर्चों पर नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था लेकिन 50 लाख नौकरियां भी नहीं मिल पाईं. उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी विभागों में लाखों पद खाली है जिस वजह से अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.

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