राष्ट्रपति ने सिविल सेवा अधिकारियों से वंचितों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने का आग्रह किया

देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय सिविल सेवा के अधिकारियों से उपेक्षित और वंचित वर्गों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने, लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने और जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिए काम करने का शुक्रवार को आग्रह किया ।

मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के 97वें आधारिक पाठयक्रम के समापन समारोह में प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप अपने प्रशिक्षण के दौरान जिन मूल्यों से अवगत हुए हैं, वे सिर्फ सैद्धांतिक दायरे तक ही सीमित नहीं रहने चाहिए। आप देश की जनता के लिए काम करते समय सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के दौरान भी इन मूल्यों का अनुसरण करते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करें।’’ उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आपको समाज के वंचित वर्ग के लोगों के लिए संवेदनशील रवैया रखना होगा और यह गुण आपको पूरी सेवा अवधि में आत्मबल देगा ।

उन्होंने किसी भी कार्य की सफलता में पूरे समाज की भागीदारी को जरूरी बताते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अगर आप समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय लेंगे तो आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होंगे।’’ मुर्मू ने अधिकारियों के बैच में 133 लड़कियों के होने पर खुशी जताई और कहा कि देश के सर्वांगीण विकास के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों का योगदान महत्वपूर्ण है ।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं आप सबसे, विशेषकर बेटियों से अपील करूंगी कि आप अपनी सेवा के दौरान जहां भी रहें, लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। विभिन्न क्षेत्रों में बेटियां आगे आएंगी, तो हमारा देश और समाज सशक्त बनेगा।’’ उन्होंने भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वॉर्मिंग) और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का भी जिक्र किया तथा अधिकारियों से इसके समाधान में योगदान देने का आग्रह किया ।

उन्होंने कहा, ‘‘इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है । मैं आप सबसे अपील करती हूं कि भारत सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए जो भी जरूरी कदम उठा रही है, उन्हें आप पूरी तरह से लागू करें, ताकि हमारा आने वाला कल सुरक्षित हो सके।’’

प्रशिक्षण के दौरान आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत सिविल सेवा प्रशिक्षुओं के पूरे देश में स्वतंत्रता सेनानियों के 75 गांवों में समय बिताये जाने का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा कि उन्हें इन महान आत्माओं से प्रेरणा लेते हुए आम आदमी बनकर देश की सेवा करनी चाहिए।

उन्होंने सुशासन को समय की मांग बताते हुए कहा कि लोगों की समस्याओं को समझने के लिए आम लोगों से जुड़ना जरूरी है और इसके लिए उन्हें विनम्र बनना होगा ताकि वे उनकी भलाई के लिए काम कर सकेंगे। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरी आपसे अपील है कि आप स्वयं निर्धारित किए गए लक्ष्यों को सदा याद रखें और उन्हें पूरा करने के लिए निष्ठापूर्वक जुटे रहें।’’

उन्होंने कहा कि सिविल सेवा अधिकारी ‘इंजीनियर’ की तरह होते हैं, जो देश को बनाते हैं और सशक्त करते हैं। उन्होंने देश को आगे ले जाने के लिए केवल मानव विकास नहीं, बल्कि उससे जुड़ी अन्य चीजों जैसे पहाड़ों, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, खेल कूद, संस्कृति और परंपराओं को भी जरूरी बताया और कहा कि इनके बिना देश का विकास अधूरा रह जाएगा । राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि कर्मयोग के सिद्धांतों पर आधारित प्रशिक्षण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2047 में भारत को एक महान और ताकतवर राष्ट्र बनाने का सपना जरूर पूरा होगा ।

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