
चंडीगढ़. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ‘इंटर-र्सिवसेज इंटेलिजेंस’ (आईएसआई) से जुड़ी जासूसी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए जम्मू में तैनात एक सैन्यकर्मी और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया गया. पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि एक आरोपी की पहचान अमृतसर के धारीवाल निवासी गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है, जो जम्मू में भारतीय सेना में कार्यरत है. पुलिस प्रमुख ने बताया कि फौजी के सहयोगी की पहचान साहिल मसीह के रूप में हुई है, जो धारीवाल का ही रहने वाला है. उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला कि सिंह आईएसआई के आकाओं के सीधे संपर्क में था और उस पर पेन ड्राइव के माध्यम से संवेदनशील व गोपनीय जानकारी साझा करने का संदेह है.
पुलिस प्रमुख ने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर चलाये गये अभियान में पुलिस ने गुरप्रीत और मसीह को उस समय गिरफ्तार किया, जब वे संवेदनशील जानकारी को फिर से सौंपने का प्रयास कर रहे थे. उन्होंने बताया कि मामले में शामिल आईएसआई के प्रमुख आका की पहचान राणा जावेद के रूप में हुई है. पुलिस महानिदेशक ने बताया कि दोनों आरोपियों के पास से ‘वर्चुअल’ नंबर वाले दो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल आईएसआई के आकाओं से संवाद करने के लिए किया जाता था.
यादव ने बताया कि व्यापक जासूसी-आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने और इस मामले में सभी सहयोगियों की पहचान करने के लिए जांच जारी है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (अमृतसर ग्रामीण) मनिंदर सिंह ने अधिक जानकारी साझा करते हुए दावा किया कि 2016 में सेना में भर्ती हुए गुरप्रीत ने पेन ड्राइव और डिस्क के माध्यम से वर्गीकृत सैन्य जानकारी एकत्र करने और उसे भेजने के लिए व्यवस्थित रूप से अपने आधिकारिक पद का फायदा उठाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि दुबई के मादक पदार्थ तस्कर अर्जन ने जासूसी नेटवर्क को सुगम बनाया था और धारीवाल के रहने वाले इसी व्यक्ति ने पांच महीने पहले गुरप्रीत को आईएसआई के आकाओं से मिलवाया था. अमृतसर के लोपोके थाने में सरकारी गोपनीयता अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है.