कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए कर्नाटक में मतदान करेंगे राहुल गांधी

सोमवार को खरगे और थरूर का मुकाबला, कांग्रेस में 24 साल बाद होगा गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष

बेल्लारी/नयी दिल्ली. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सोमवार को यहां सनगनाकल्लू में भारत जोड़ो यात्रा के शिविर स्थल पर मतदान करेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे.

रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘इस तरह के प्रश्न सामने आ रहे थे कि राहुल गांधी कल कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में कहां वोट डालेंगे. कोई अटकलबाजी नहीं होनी चाहिए. वह बेल्लारी के सनगनाकल्लू में भारत जोड़ो यात्रा के शिविर स्थल में मतदान करेंगे. उनके साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के करीब 40 अन्य प्रतिनिधि भी मतदान करेंगे, जो यात्रा में साथ चल रहे हैं.’’ भारत जोड़ो यात्रा के 38 वें दिन आज सुबह यह पदयात्रा कर्नाटक के सनगनाकल्लू से शुरू हुई और बेन्नीकल्लू में संपन्न होगी.

सोमवार को खरगे और थरूर का मुकाबला, कांग्रेस में 24 साल बाद होगा गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर के बीच सोमवार को पार्टी अध्यक्ष पद का चुनावी मुकाबला होगा और कांग्रेस में 24 साल बाद नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से कोई अध्यक्ष बनेगा. प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि गुप्त मतदान के जरिये पार्टी के नये अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. यहां पार्टी मुख्यालय में और देशभर में 65 से अधिक केंद्रों पर मतदान होगा. कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा यहां एआईसीसी मुख्यालय में मतदान कर सकती हैं, वहीं राहुल गांधी कर्नाटक में बेल्लारी के संगनाकल्लू में भारत जोड़ो यात्रा के शिविर स्थल पर मतदान में भाग लेंगे. उनके साथ पीसीसी के करीब 40 प्रतिनिधि भी मतदान करेंगे जो यात्रा में शामिल हैं.

गांधी परिवार के करीबी होने और कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थन के कारण खरगे को पार्टी अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. हालांकि थरूर भी खुद को पार्टी में बदलाव के लिए मजबूत प्रत्याशी के रूप में पेश कर रहे हैं. थरूर ने चुनाव प्रचार के दौरान असमान अवसरों के मुद्दे उठाये, लेकिन खरगे और पार्टी के साथ उन्होंने यह भी माना है कि गांधी परिवार के सदस्य तटस्थ हैं और कोई ‘आधिकारिक उम्मीदवार’ नहीं है.

चुनाव की अहमियत के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह हमेशा से ऐसे पदों के लिए आम-सहमति बनाने के कांग्रेस के मॉडल पर भरोसा करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि जवाहर लाल नेहरू के बाद के कालखंड में इस मॉडल पर सबसे ज्यादा भरोसा के. कामराज करते थे.

रमेश ने कहा, ‘‘कल चुनाव है और यह विश्वास और भी मजबूत हुआ है. मैं इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि सांगठनिक चुनाव वास्तव में किसी भी प्रकार से संगठन को मजबूती प्रदान करते हैं. वे निजी हित साध सकते हैं लेकिन सामूहिक भावना के निर्माण में उनका महत्व संदेहास्पद है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद यह बात भी इतनी ही दीगर है कि चुनाव होना भी महत्वपूर्ण है.
रमेश ने कहा, ‘‘लेकिन मैं उन्हें ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा की तुलना में कम संस्थागत महत्व का मानता हूं. यह यात्रा कांग्रेस के लिए और भारतीय राजनीति के लिए भी क्रांतिकारी पहल है.’’ अध्यक्ष पद के चुनाव अभियान में अंतर साफ दिखाई दिया है. खरगे के प्रचार में जहां पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, प्रदेश कांग्रेस इकाइयों के अध्यक्ष और शीर्ष नेता राज्य मुख्यालयों में उनकी अगवानी करते देखे गये हैं, वहीं थरूर के स्वागत में अधिकतर प्रदेश कांग्रेस समितियों के युवा प्रतिनिधियों को ही देखा गया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की इस दौरान गैर-मौजूदगी ही रही.

थरूर अपने अभियान के दौरान इस बात को रेखांकित करते रहे हैं कि वह बदलाव के प्रत्याशी हैं, जबकि खरगे परंपरावादी उम्मीदवार हैं.
उन्होंने यह भी दावा किया कि पार्टी में युवा और निचले स्तर के नेता उनका समर्थन कर रहे हैं, वहीं वरिष्ठ नेता उनके प्रतिद्वंद्वी खरगे के साथ नजर आ रहे हैं.

खरगे ने भी अपने अभियान में अपने अनुभव साझा किये हैं जो पिछले कुछ दशकों में संगठन का काम करते हुए उनके सामने आये.
दोनों ही नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि गांधी परिवार के सदस्यों का पार्टी में विशेष स्थान है. खरगे ने कहा कि वह उनका मार्गदर्शन और सुझाव लेंगे, वहीं थरूर ने कहा कि कांग्रेस का कोई अध्यक्ष गांधी परिवार से दूरी बनाकर काम नहीं कर सकता क्योंकि पार्टी के खून में उनका डीएनए है.

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पिछली बार चुनाव 2000 में हुआ था जब जितेंद्र प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था. सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाद्रा ने इस बार अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर रहने का फैसला किया है जिससे 24 साल के अंतराल के बाद गांधी परिवार के बाहर का सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा.

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान के जरिये होगा और किसी को पता नहीं चलेगा कि किसने किसे वोट डाला. उन्होंने कहा कि दोनों उम्मीदवारों के लिए समान अवसर मुहैया कराये गये हैं.

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