चीन पर चर्चा से इनकार लोकतंत्र का अनादर, सरकार की चुप्पी गंभीर चिंता का विषय: सोनिया

नयी दिल्ली. कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सीमा पर ‘चीन के अतिक्रमण’ को लेकर सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए बुधवार को कहा कि इस महत्वपूर्ण विषय पर सरकार द्वारा संसद में चर्चा कराने से इनकार करना लोकतंत्र का अनादर है तथा पूरे प्रकरण में सरकार की चुप्पी गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने पार्टी संसदीय दल की बैठक में यह आरोप भी लगाया कि महत्वपूर्ण विषयों पर चुप्पी साध लेना इस सरकार की पहचान बन गई है.

सोनिया गांधी ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार सुनियोजित ढंग से न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जो बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम है. उनकी अध्यक्षता में हुई पार्टी संसदीय दल की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस सांसद शामिल हुए.

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘चीन का हमारी सीमा पर लगातार अतिक्रमण करना गंभीर का चिंता का विषय है. पूरा देश हमारे उन सजग जवानों के साथ खड़ा है, जिन्होंने चीन के हमलों को मुश्किल हालात में विफल किया है. सरकार इस पर संसद में चर्चा कराने से इनकार कर रही है. इसका नतीजा यह है कि राजनीतिक दल और जनता वास्तविक जमीनी स्थिति को लेकर अनभिज्ञ हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब बड़ी राष्ट्रीय चुनौती आती है, तो संसद को विश्वास में लेने की परंपरा रही है. चर्चा से कई महत्वपूर्ण सवालों पर प्रकाश डाला जा सकता है.’’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘गंभीर राष्ट्रीय चिंता के विषय पर चर्चा से इनकार करना लोकतंत्र के प्रति अनादर और सरकार की नीयत को दर्शाता है.’’

सोनिया गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘राहुल गांधी की अगुवाई में निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा गर्व का विषय है. यह कांग्रेस पार्टी के संदेश को जनता तक सीधे ले जाने का एक अनोखा प्रयास है…मैं हर उस भारतीय का आभार प्रकट करती हूं, जिसने इस यात्रा और इसके बंधुत्व एवं समता के संदेश का समर्थन किया है.’’ सोनिया ने आर्थिक हालात, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की तरफ से सबकुछ ठीक होने का दावा किए जाने के बावजूद देश के आर्थिक हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं. रोजमर्रा की जरूरत की सभी चीजों के दाम असहनीय स्तर तक बढ़ गए हैं, जिसका करोड़ों परिवारों पर भारी बोझ पड़ रहा है.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘लोगों खासकर युवाओं को नौकरी देने में अक्षम रहना इस सरकार की पहचान रही है. प्रधानमंत्री ने भले ही कुछ हजार लोगों को नियुक्ति पत्र बांटे हों, लेकिन करोड़ों लोगों का भविष्य अनिश्चित है, क्योंकि सरकार में रिक्तियां नहीं भरी गईं, परीक्षाएं विश्वसनीय नहीं हैं और सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जा रहा है.’’

सोनिया गांधी ने किसानों की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘खेती में लागत खासकर उर्वरक की कीमत, फसलों के दाम को लेकर अनिश्चितता और खराब मौसम के कारण किसान मुश्किल का सामना कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि तीन कानूनों को थोपने के दिशाहीन प्रयास के बाद सरकार की प्राथमिकता में अब किसान नहीं रहे.’’ उन्होंने हालिया चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिहाज से दुर्भाग्यपूर्ण रहे, लेकिन हिमाचल में पार्टी ने सरकार बनाई है, जहां के लोगों से किए वादे को पूरा करने का समय आ गया है.

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