‘राजनीतिक खुफिया जानकारी जुटाने’ के मामले में सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी

नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने कथित तौर पर “खुफिया राजनीतिक जानकारी” जुटाने से संबंधित मामले में सीबीआई को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी, जिससे उनके लिए एक नयी मुसीबत खड़ी हो गई। दिल्ली के उपराज्यपाल के प्रधान सचिव को भेजे गए पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 17 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाती है।

सिसोदिया ने ट्विटर का रुख करते हुए केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अपने प्रतिद्वंद्वियों पर झूठे मामले दर्ज करना एक कमजÞोर और कायर इंसान की निशानी है। जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी, हम पर और भी बहुत केस किए जाएंगे।’’

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई ने मांग की कि सीबीआई इस मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को तत्काल गिरफ्तार करे और मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल की भूमिका की भी जांच की जाए। भाजपा की दिल्ली इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “हम मांग करते हैं कि सीबीआई तुरंत सिसोदिया को गिरफ्तार करे और जासूसी के असली आरोपी अरंिवद केजरीवाल की भूमिका की भी जांच की जाए।”

सिसोदिया पहले से ही 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उन्हें 26 फरवरी को सीबीआई के सामने पेश होना है। इस महीने की शुरुआत में, सीबीआई ने कहा था कि उसने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित फीडबैक यूनिट (एफबीयू) ने कथित तौर पर ‘‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’’ एकत्र की। एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने की सिफारिश की थी।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का कहना है कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों व स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में प्रासंगिक व कार्रवाई योग्य जानकारी एकत्र करने के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था।

इकाई के लिए गुप्त सेवा व्यय के तौर पर एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इकाई ने 2016 में काम करना शुरू किया।
सीबीआई का आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कोई एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था।

एजेंसी का दावा है कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई। सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा है, ‘‘एफबीयू ने आवश्यक जानकारी एकत्र करने के अलावा, राजनीतिक खुफिया/खुफिया जानकारियां भी एकत्र कीं।’’ केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक संदर्भ पर प्रारंभिक जांच शुरू की थी। सतर्कता विभाग ने एफबीयू में कथित अनियमितताओं का पता लगाया था।

सीबीआई ने कहा कि प्रथम दृष्टया ‘‘आरोपी लोकसेवकों’’ ने नियमों, दिशा-निर्देशों और परिपत्रों का जानबूझकर उल्लंघन किया।
एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है, ‘‘संबंधित चीजें लोकसेवक उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तत्कालीन सचिव (सतर्कता) सुकेश कुमार जैन द्वारा बेईमान इरादों से आधिकारिक पद का दुरुपयोग किए जाने का खुलासा करती हैं।’’ सीबीआई के अनुसार, एफबीयू द्वारा तैयार की गईं 60 प्रतिशत रिपोर्ट सतर्कता व भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित थीं, जबकि 40 प्रतिशत ‘‘खुफिया राजनीतिक जानकारी’’ और अन्य मामलों के बारे में थीं।

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