झारखंड में छह माओवादी गिरफ्तार, विस्फोटक बरामद

चाईबासा/रांची. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में पुलिस ने एक माओवादी कमांडर समेत छह माओवादियों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से गोलाबारूद बरामद किए. पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. पश्चिमी सिंहभूम जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) आशुतोष शेखर ने बताया कि ऐसी सूचना मिली थी कि कुछ माओवादी अपने कमांडर को विस्फोटक की आपूर्ति करने वाले हैं. एसपी ने बताया कि सूचना के आधार पर माओवादियों को पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम बनाई गई.

इसके बाद बाद टीम ने बारीपोखरी गांव से सटे मार्ग पर घेराबंदी के बाद व्यापक जांच अभियान शुरू की और बॉज हेंब्रम उर्फ किशुन हेंब्रम को गिरफ्तार किया तथा उसके पास से एक विस्फोटक, जिलेटिन की छड़ बरामद की. पूछताछ के दौरान बॉज से मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने टोंटो पुलिस थाना अंतर्गत इलाके से तीन अन्य माओवादियों डुबराज हेंब्रम, तुरी देवगम एवं पाल सिंह हेंब्रम को गिरफ्तार किया और उनके पास से जिलेटिन की छड़ें बरामद कीं.

गिरफ्तार माओवादियों ने कबूल किया कि वे माओवादी समूह के सक्रिय सदस्य हैं और अपने कमांडर के निर्देश पर वे विस्फोटक की आपूर्ति करते थे. टीम ने रेंगराहातु गांव में शुक्रवार रात को छापेमारी की और माओवादी मिलिशिया समूह के कमांडर दामू कोड़ा उर्फ जादू कोड़ा (35) और बीरसिंह उर्फ छोटा कोड़ा (35) को गिरफ्तार कर लिया.

दोनों ने स्वीकार किया कि वे 12 फरवरी को चिरुइकिर गांव में सड़क निर्माण कार्य में लगे वाहनों में आग लगाने में शामिल थे. इसके अलावा वे जनवरी में तुमहाका जंगल में, पिछले साल दिसंबर में रेंगराहातु गांव के पास कोचवाड जंगल में और 2021 में रेंगराहातु के पास गरुवांग जंगल में हुई मुठभेड़ में शामिल एक समूह का भी हिस्सा थे.

झारखंड में नक्सल समस्या आखिरी चरण में पहुंच गई है : डीजीपी
झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अजय कुमार सिंह ने रविवार को कहा कि राज्य में नक्सल समस्या अपने आखिरी चरण में है, क्योंकि सुरक्षा बलों ने इस समस्या के खात्मे के लिए समन्वित प्रयास शुरू किया है. छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे झारखंड में ‘नक्सलियों के गढ़ और प्रशिक्षण केंद्र’ बूढ़ा पहाड़ पर तीन दशक से अधिक के नक्सल विरोधी अभियान के बाद हाल में सुरक्षा बलों ने कब्जा किया.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1989 बैच के अधिकारी सिंह को इस महीने की शुरुआत में झारखंड का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया. सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘झारखंड में नक्सल समस्या अपने आखिरी चरण में है. जो कुछ बचा है, उससे निपटने की जरूरत है. हमारे पास इससे निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी और अनुभव है. हम इससे निपटने में सक्षम हैं.’’ पिछले तीन वर्षों में क्षेत्रीय समिति के सदस्यों, जोनल, सब जोनल और एरिया कमांडरों सहित कुल 31 नक्सलियों को मार गिराया गया, जबकि पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्यों सहित 1,319 को गिरफ्तार किया गया.

नक्सलवाद से प्रभावित मुख्य क्षेत्रों में 44 नए फॉरवर्ड आॅपरेंिटग बेस स्थापित किए गए. सिंह ने कहा कि न केवल नक्सल समस्या, बल्कि उनकी प्राथमिकता राज्य में समग्र कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार करना और संगठित अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके अपराध में कमी लाना है.

शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘थानों, प्रशासनिक तंत्र तक आम आदमी की पहुंच बिना किसी परेशानी के हो… मेरी कोशिश रहेगी कि थाने में डर पैदा न हो, बल्कि इसे एक सहायक तंत्र के रूप में देखा जाए. इसके कामकाज में सुधार लाया जाएगा ….’’ इसके अलावा, अभी भी शहरी पुलिसिंग, सामुदायिक पुलिसिंग और मानवीय चेहरे वाली पुलिसिंग की आवश्यकता है.

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