शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में ‘शिवलिंग’ क्षेत्र की सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ाई

श्रृंगार गौरी मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को

नयी दिल्ली/वाराणसी/प्रयागराज.  वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में जिस स्थान पर ‘शिवलिंग’ मिलने की बात की गई थी, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अगले आदेश तक उस क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ा दी. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने ज्ञानवापी विवाद से संबंधित सभी वाद को एक साथ करने के लिए वाराणसी जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन करने की हिंदू पक्षों को अनुमति दे दी.

काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मामले शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय और वाराणसी जिला अदालत में भी संक्षिप्त रूप से आए. उच्च न्यायालय में यह मामला 1991 का है, जबकि वाराणसी की अदालत में हाल ही में यह मामला दायर किया गया था. इसमें अनुरोध किया गया है कि मस्जिद की पिछली दीवार पर मूर्तियों की नियमित रूप से पूजा की अनुमति दी जाए.

पीठ ने सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा दायर अपील पर हिंदू पक्षों को तीन सप्ताह के भीतर उनका जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया.
उच्चतम न्यायालय ने 17 मई को एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था जहां सर्वेक्षण में ‘शिवलिंग’ मिलने की बात की गई थी.

सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि अंतरिम आदेश तब तक लागू रहेगा, जब तक कि जिला न्यायाधीश द्वारा मुकदमे के सुनवाई योग्य होने के संबंध में फैसला नहीं कर लिया जाता और उसके बाद, आठ सप्ताह के लिये लागू रहेगा, ताकि असंतुष्ट पक्ष उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें वाराणसी जिला न्यायाधीश मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की दैनिक पूजा के अनुरोध वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं जिसे महिलाओं के एक समूह ने दायर किया है. हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर में बंद दो तहखानों का भी सर्वेक्षण कराने की मांग की है.

सरकारी अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने बताया कि न्यायाधीश ए. के. विश्वेश ने अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तिथि तय की है.
इस बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की.

मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन ने दलील दी कि इस मामले में प्रथम दृष्टया सच्चाई सामने लाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण किया जाए. उन्होंने कहा कि विवादित परिसर को नंगी आंख से देखने पर यह स्पष्ट है कि वह मंदिर का हिस्सा है और सर्वेक्षण की कार्यवाही जारी रहनी चाहिए.

श्रृंगार गौरी मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को

वाराणसी के जिला न्यायाधीश ए के विश्वेश ने ज्ञानवापी मां श्रृंगार गौरी मामला उच्च न्यायालय में लंबित रहने के मद्देनजर सुनवाई की अगली तारीख पांच दिसंबर तय की है. जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने बताया कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला उच्च न्यायालय में लंबित रहने के कारण न्यायाधीश विश्वेश ने अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तिथि तय की है.

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मां श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी के जिला न्यायाधीश ए के विश्वेश की अदालत में हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर के बंद तहखानों का ताला खुलवाकर उनका सर्वेक्षण कराने की मांग की थी. इस पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अदालत के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत की थी. अब हिन्दू पक्ष को इस पर अपना जवाब दाखिल करना है. हिन्दू पक्ष की एक वादी राखी सिंह के अधिवक्ता ने ज्ञानवापी परिसर में मिली लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को सुरक्षित करने की मांग के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं को अपनी आपत्ति प्रस्तुत करनी थी.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख शुक्रवार को तय की. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर यह आदेश पारित किया. अदालत ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर इस मामले को टाला नहीं जाना चाहिए.

मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने दलील दी कि एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए जांच की जानी चाहिए और इस मामले में प्रथम दृष्टया सच्चाई सामने लाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण किया जाए.
उन्होंने आगे कहा कि विवादित परिसर को नंगी आंख से देखने पर यह स्पष्ट है कि वह मंदिर का हिस्सा है और सर्वेक्षण की कार्यवाही जारी रहनी चाहिए.

हालांकि मस्जिद पक्ष के अनुरोध पर अदालत ने इस मामले की सुनवाई 28 नवंबर तक के लिए टाल दी. उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद और अन्य ने वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है. मूल वाद में उस जगह पर जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है, प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को बहाल करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उक्त मस्जिद, उस मंदिर का हिस्सा है.

Related Articles

Back to top button