दुनिया में आज भीषण चुनौतियां, इनके समाधान में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण: प्रधानमंत्री

पुडुचेरी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि दुनिया में आज भीषण चुनौतियां हैं और इन चुनौतियों के समाधान में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है. स्वतंत्रता सेनानी और महान दार्शनिक श्री अरविंद को उनकी 150वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विभूति से प्रेरणा लेकर खुद को तैयार करना है और सबके प्रयास से ‘विकसित भारत’ का निर्माण करना है.

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से श्री अरविंद की जयंती समारोह को संबोधित किया. इस अवसर पर उन्होंने एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया. उन्होंने कहा कि इस महान दार्शनिक का जीवन ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की अवधारणा का प्रतीक है तथा उनके आदर्शों ने पीढ़ियों को प्रेरित किया है.

श्री अरविंद की कृतियों व उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे देश का युवा भाषा-भूषा के आधार पर भेद करने वाली राजनीति को पीछे छोड़कर, ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की राष्ट्रनीति से प्रेरित है. उन्होंने विश्वास जताया कि श्री अरविंद का जीवन और उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुये राष्ट्र के प्रयास उसके संकल्पों को एक नई ऊर्जा व ताकत देंगे.

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘‘भारत वह अमर बीज है, जो विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा दब सकता है, थोड़ा मुरझा सकता है, लेकिन वह मर नहीं सकता. क्योंकि वह अजर है, अमर है. क्योंकि भारत मानव सभ्यता का सबसे परिष्कृत विचार है. मानवता का सबसे स्वाभाविक स्वर है.’’ उन्होंने कहा कि भारत मर्हिष अरविंद के समय में भी अमर था और आज भी आजादी के अमृत काल में अमर है.

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में आज भीषण चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों के समाधान में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसलिए मर्हिष अरविंद से प्रेरणा लेकर हमें खुद को तैयार करना है और सबके प्रयास से विकसित भारत का निर्माण करना है.’’ प्रधानमंत्री ने श्री अरविंद के बारे में कहा कि उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था, लेकिन वह गुजरात और पुडुचेरी में भी रहे. उन्होंने कहा कि वह जहां भी गए, उन्होंने अपनी छाप छोड़ी.

उन्होंने कहा, ‘‘श्री अरविंद का जीवन एक भारत, श्रेष्ठ भारत का प्रतिंिबब है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास में कई बार एक ही कालखंड में कई अद्भुत घटनाएं एक साथ होती हैं लेकिन, आम तौर पर उन्हें केवल एक संयोग मान लिया जाता है, लेकिन उनका मानना है कि जब इस तरह के संयोग बनते हैं, तो उनके पीछे कोई न कोई योग शक्ति काम करती है.

उन्होंने कहा, ‘‘श्री अरविंद, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी ऐसे महापुरुष हैं, जिनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं, एक ही समय में घटीं. इन घटनाओं से इन महापुरुषों का जीवन भी बदला और राष्ट्रजीवन में भी बड़े परिवर्तन आए. 1893 में 14 वर्ष बाद श्री अरविंद इंग्लैंड से भारत लौटे. 1893 में ही स्वामी विवेकानंद विश्व धर्म संसद में अपने विख्यात भाषण के लिए अमेरिका गए. और, इसी साल गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए जहां से उनकी महात्मा गांधी बनने की यात्रा शुरू हुई, और आगे चलकर देश को आज़ादी महानायक मिला.’’ उन्होंने कहा कि आज एक बार फिर भारत एक साथ ऐसे ही अनेक संयोगों का साक्षी बन रहा है.

उन्होंने कहा कि आज जब देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं और 100 वर्ष पूरा करने के ‘‘अमृतकाल’’ के सफर पर निकला है, तो भारत श्री अरविंद की 150वीं जयंती मना रहा है, नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर का साक्षी भी बन रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रेरणा और कर्तव्य एक साथ मिल जाते हैं, तो असंभव लक्ष्य भी अवश्यम्भावी हो जाता है. आज़ादी के अमृतकाल में आज देश की सफलताएं, देश की उपलब्धियां और ‘सबका प्रयास’ का संकल्प इस बात का प्रमाण है.’’ तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कहा कि श्री अरविंद ने समग्र योग के अपने मार्ग के माध्यम से देश के प्रत्येक नागरिक को एक रोडमैप दिया है.

उन्होंने कहा, ‘‘श्री अरविंद की शिक्षाएं और दर्शन आज बहुत प्रासंगिक हैं.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्व में देश अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है. आॅरोविले फाउंडेशन के संचालन बोर्ड के अध्यक्ष रवि ने कहा कि आध्यात्मिक नेता ने हर नागरिक को समग्र योग के अपने रास्ते का खाका दिया है.

केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के हिस्से के रूप में देश सभी महान भारतीय दार्शनिकों और आध्यात्मिक नेताओं का सम्मान कर रहा है. पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन और मुख्यमंत्री एन रंगासामी भी इस मौके पर मौजूद थे.

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