किसी भी पहल की सफलता लोगों पर उसके प्रभाव से मापी जाती है: प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम का दौरा करने और इसकी विविधता एवं संस्कृति का अनुभव करने के बाद ‘युवा संगम’ युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम की सराहना करने वाले जम्मू एवं कश्मीर के एक युवा को जवाब देते हुए कहा कि किसी भी पहल की सफलता लोगों पर उसके प्रभाव से मापी जाती है.

नजाकत चौधरी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर युवा संगम पहल के तहत असम की यात्रा करने का अवसर देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि चौधरी भविष्य में भी इस तरह की और यात्राएं करेंगे. चौधरी (22), प्रधानमंत्री का जवाब मिलने से काफी खुश थे.

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से जवाब की उम्मीद नहीं कर रहा था, लेकिन उनका पत्र सबसे बड़े आश्चर्य के रूप में आया… यह आखिरी सांस तक मेरी स्मृतियों में रहेगा.’’ सीमावर्ती पुंछ जिले के मेंढर उपसंभाग के निवासी ने अपने पत्र में 24 फरवरी से छह मार्च के बीच असम की अपनी यात्रा को उनके लिए जीवन बदलने वाला क्षण बताया.

चौधरी ने कहा, ‘‘मैंने युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत मुझे असम की यात्रा करने और इसकी विविधता, संस्कृति और व्यंजनों का अनुभव करने का अवसर देने के लिए उन्हें (प्रधानमंत्री को) धन्यवाद दिया है.’’ शिक्षा मंत्रालय के ‘युवा संगम’ युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करना है, विशेष रूप से विभिन्न राज्यों के युवाओं के बीच. साथ ही इसका उद्देश्य उन्हें भारत की संस्कृति और मूल्यों से परिचित कराना भी है. ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार की अवधारणा भारत के विभिन्न राज्यों के बीच एक सांस्कृतिक संबंध बनाने के लिए तैयार की गई थी.

यह पहल फरवरी में शुरू की गई थी और युवा संगम के पहले चरण में 1,200 युवाओं की भागीदारी थी. युवाओं के पहले जत्थे ने पूर्वोत्तर भारत का दौरा किया. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘किसी भी महत्वपूर्ण पहल की सफलता लोगों पर उसके प्रभाव से मापी जाती है. किसी जन सेवक को संतुष्टि की सबसे बड़ी भावना तब महसूस होती है, जब लोग यह बताने के लिए लिखते हैं कि किसी विशेष घटना ने उनके जीवन को बदल दिया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने और नए अनुभवों को हासिल करने के लिए तैयार रहने वाले आप जैसे युवाओं का यह उत्साह वास्तव में सराहनीय है. तवी की भूमि से ब्रह्मपुत्र की भूमि तक की आपकी यात्रा ने स्पष्ट रूप से राष्ट्र के दो क्षेत्रों को करीब ला दिया है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में कई तरह की संस्कृति, व्यंजन, रीति-रिवाज और जीवन शैली है, जहां विभिन्न समुदायों से संबंधित लोग, विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं, विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं, न केवल सह-अस्तित्व में रहते हैं, बल्कि एक-दूसरे की विविध जीवन शैली का जश्न भी मनाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे देश का वह अनूठा पहलू है, जिसने दुनिया को हमारी ओर खींचा है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया है कि हमारा सुंदर पूर्वोत्तर क्षेत्र ‘ना दिल से दूर, न दिल्ली से दूर’ हो. नतीजतन, आपने देखा होगा कि सभी क्षेत्रों में एक अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहा है. चाहे वह संस्कृति हो या कृषि, वाणिज्य या संपर्क. यह क्षेत्र भारत का विकास इंजन बन रहा है.’’ उन्होंने कहा कि असम राज्य प्रकृति और संस्कृति दोनों के मामले में भारत के सबसे खूबसूरत क्षेत्रों में से एक है.

उन्होंने कहा, ‘‘बिहू के त्योहार के दौरान असम की बहु-सांस्कृतिक भव्यता को देखना, विशाल ब्रह्मपुत्र नदी पर विचरण करना, वीर लचित बोड़फूकन, श्रीमंत शंकरदेव जैसी महान हस्तियों के बारे में जानना, साथ ही मूगा रेशम, तेजपुर लीची, जोहा चावल, बाका चौल और काजी नेमू जैसे अनूठे उत्पादों का आनंद लेना वास्तव में एक अविश्वसनीय अनुभव है. मुझे असम का गमोसा विशेष रूप से पसंद है.’’ प्रधानमंत्री ने चौधरी से कहा कि वह अपने अनुभव मित्रों के साथ साझा करें और उन्हें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना का अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित करें.

उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल क्षेत्रों और संस्कृतियों को एक-दूसरे के करीब लाती है और देश की एकता को मजबूत करती है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आपके पत्र से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम में आपकी उत्साही भागीदारी और असम की यात्रा के बारे में जानकर खुशी हुई, जिसने हमारे महान राष्ट्र के बारे में आपके दृष्टिकोण को आकार दिया है.’’

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