विवादित स्थल पर मंदिर का स्कंद पुराण में भी किया गया है उल्लेख

प्रयागराज. श्रृंगार गौरी मामले के मूल वाद के वादियों में से एक राखी सिंह के वकील ने बुधवार को दलील दी कि विवादित स्थल पर मंदिर होने का उल्लेख स्कंद पुराण में भी किया गया है. उन्होंने आगे दलील दी, 1831 और 1833 के बीच उस मंदिर को ध्वस्त किया गया था, लेकिन मंदिर की व्यास पीठ अब भी विवादित स्थल पर मौजूद है इसलिए पक्षों के बीच इस विवाद का निर्णय दीवानी अदालत द्वारा किया जाना आवश्यक है.

अदालत अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अंजुमन इंतेजामिया ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पांच हिंदू महिलाओं द्वारा दायर वाद की पोषणीयता को लेकर उसकी आपत्ति खारिज कर दी गई थी. इन पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा की अनुमति मांगी है.

बुधवार को इस मामले में थोड़ी देर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस याचिका पर अगली सुनवाई 22 दिसंबर को करने का निर्देश दिया.इससे पूर्व, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने हिंदू पक्ष के दावे का यह कहते हुए विरोध किया था कि निचली अदालत के समक्ष लंबित वाद, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत बाधित है जिसमें व्यवस्था दी गई है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल को बदलने की मांग करते हुए कोई वाद दायर नहीं किया जा सकता.

अंजुमन इंतेजामिया की दलील खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने 12 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि यह वाद पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम 1995 और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 से बाधित नहीं होता.

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