हमारी संस्कृति विज्ञान की विरोधी बताने वालों को कुछ नहीं पता: राजनाथ
'सीना चौड़ा करके' चीन पर चर्चा के लिए तैयार हूं: रक्षा मंत्री

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘चंद्रयान-3’ की सफलता के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), वैज्ञानिकों और देशावासियों को बृहस्पतिवार को बधाई दी और कहा कि संस्कृति एवं विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं तथा भारत की संस्कृति को विकास विरोधी कहने वालों को कुछ मालूम नहीं है.
उन्होंने लोकसभा में ‘चंद्रयान-3 की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे राष्ट्र की उपलब्धियों के बारे में चर्चा’ मे हस्तक्षेप करते हुए यह भी कहा कि ‘चंद्रयान-3’ की सफलता उन सभी लोगों के लिए गर्व का विषय है जो अपने राष्ट्र और राष्ट्र की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं.
सिंह ने कहा, ”चंद्रयान-3 की सफलता हमारे लिए निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि एक तरफ दुनिया के अधिकांश विकसित देश हैं, जो हमसे कहीं अधिक संसाधन-संपन्न होते हुए भी, चांद पर पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम बेहद सीमित संसाधनों से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले देश बने हैं.”
रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिक चेतना का उल्लेख करते हुए कहा, ”जब मैं यहां वैज्ञानिक चेतना की बात कर रहा हूं, तो उससे मेरा मतलब केवल कुछ वैज्ञानिक उपकरणों के विकास कर लेने भर से नहीं है. वैज्ञानिक चेतना से मेरा आशय है कि वैज्ञानिकता और तार्किकता हमारी सोच में हो, वह हमारे बात व्यवहार में हो, और वह हमारे स्वभाव में हो.” उनका कहना था कि संस्कृति के बगैर विज्ञान, और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है तथा दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं.
सिंह ने कहा कि संस्कृति के बगैर विज्ञान और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है, संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं.
उनके मुताबिक, ”कभी कभी कुछ लोगों द्वारा यह भी कहा जाता है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक चेतना में फर्क है. यह भी कहा जाता है कि वैज्ञानिक चेतना वाले हैं तो आप पीपल की पूजा कैसे कर सकते हैं, गाय की पूजा कैसे कर सकते हैं, मूर्ति पूजा कैसे कर सकते हैं.” भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर जोर दिया, ”भारत में यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि हमारी संस्कृति विज्ञान की विरोधी है तो मुझे लगता है कि उस व्यक्ति को न तो हमारी संस्कृति का “स” पता है, न ही विज्ञान का ‘व’ मालूम है.”
उनका कहना था, ”हमारी आस्था, हमारी संस्कृति समावेशी है. हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, हमें अखिल मानवता के बंधुत्व का पाठ पढ.ाता है. हम सबने देखा कि काफी कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद, हम जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन कर सके, जहां घोषणापत्र पर सर्व सहमति जुटा सके.” रक्षा मंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता कोई अपवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सहस्त्राब्दियों से चली आ रही देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धारा का सहज विकास है. उन्होंने कहा कि इस सफलता के सूत्र देश के अतीत में ही छिपे हैं.
उन्होंने कहा, ”ऐसा अतीत, जहां वैज्ञानिकता एक स्वभाव के रूप में विद्यमान थी. जहां विज्ञान और आस्था के बीच एक सामंजस्य था. हालांकि विदेशी आक्रांताओं के चलते, कुछ समय के लिए, थोड़ा पिछड़ापन आ गया था, पर हम एक बार फिर से हुंकार भरते हुए पहले से भी अधिक ताकत के साथ उठ खड़े हुए हैं, और सूरज, चांद, तारे छूने के लिए तैयार हैं.” उन्होंने सदन को यह भी बताया कि भारत द्वारा अब तक प्रक्षेपित किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 389 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले नौ वर्षों में प्रक्षेपित किए गए हैं. सिंह ने कहा कि इस सफलता के पीछे प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने द्वारा प्राचीन ज्ञान परंपरा से दिया गया संदेश है, जिसमें पूरी मानवता को एक सूत्र में बांध दिया.
उन्होंने कहा, ”जिस तकनीक का इस्तेमाल वैज्ञानिक किसी यान को चांद या मंगल पर भेजने के लिए करते हैं, कमोबेश उसी तकनीक का इस्तेमाल मिसाइल में भी किया जाता है. पहला उपयोग मानवता के विकास में होता है, जबकि दूसरा उपयोग मानवता के विनाश में होता है. पर अपनी-अपनी रुचि है. कुछ राष्ट्रों का ध्यान पहले वाले उपयोग पर अधिक होता है, तो कुछ राष्ट्रों का ध्यान दूसरे वाले उपयोग पर.” उनका कहना था कि जब इस प्रकार के मिशन भेजे जाते हैं या फिर किसी प्रकार की वैज्ञानिक प्रगति होती है तो इसका जमीनी विकास से किसी भी प्रकार का विरोधाभास नहीं होता.
रक्षा मंत्री ने कहा, ”आप लोग अवगत हैं कि कुछ ही समय पहले प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से ‘काशी-तमिल संगमम’ का भव्य और सफल आयोजन किया गया था. उसके कुछ समय बाद ही ह्लसौराष्ट्र तमिल संगमम्ह्व का आयोजन हुआ.” उनके मुताबिक, सरकार के प्रयासों से कैसे उज्जैन में, बाबा महाकाल के क्षेत्र में भव्य कॉरिडोर का निर्माण किया गया. विश्व की प्राचीनतम नगरी, ज्ञाननगरी काशी में बाबा विश्वनाथ धाम के परिसर के पुनरुद्धार का कार्य कर, सरकार ने बाबा विश्वनाथ के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित किए.
उन्होंने राम मंदिर निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा, ”प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार का प्रयास देखिए कि आज अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का कार्य बड़े जोर-शोर से चल रहा हैक राष्ट्र में सांस्कृतिक उत्कर्ष का एक नया युग शुरू हुआ है. राष्ट्र के प्रयासों से भगवान राम अपने नए अवतार में जल्द ही जनता के सामने होंगे, और यह भारतवासियों की एक बड़ी उपलब्धि होगी.”
सिंह ने कहा कि इनके साथ ही सुरक्षा का एक और भी आयाम है, जिसमें सुरक्षा उतनी ही आवश्यक है जितनी बाकी सब में. वह है कि हमारी संस्कृति. उन्होंने कहा, ”इसे मुझे कोई नाम देना हो, तो उसे मैं ‘सांस्कृतिक सुरक्षा’ का नाम देना चाहूंगा.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी राष्ट्र की अस्मिता को अक्षुण्ण रखने के लिए जिस तरह से वहां की सीमाई सुरक्षा और बाकी अन्य चीजों की सुरक्षा की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार उसकी अस्मिता को बनाए रखने के लिए वहां की संस्कृति की सुरक्षा भी उतनी ही आवश्यक होती है.
रक्षा मंत्री ने कहा, ”विश्व का इतिहास आप उठाकर देखिए, तो आप पाएंगे कि कोई भी ऐसा राष्ट्र नहीं है, कोई भी ऐसा समाज नहीं है, जिसने सांस्कृतिक पुनर्जागरण के बिना आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और वैज्ञानिक प्रगति की हो. जब तक संस्कृति, समाज को जीवंत नहीं करती, उन्नत नहीं करती, उसे एक दिशा नहीं देती, तब तक समाज जड़ बना रहता है.”
उन्होंने कहा, ”इसलिए अगर हमें अपने समाज, अपने राष्ट्र को आगे ले जाना है, तो हम अपने समाज और संस्कृति से सीखें, हमारे अपने ‘आइकॉन’ को अपने बात व्यवहार में प्रतिष्ठित करें, उनका अनुकरण करें, यह हमारे लिए श्रेयस्कर होगा.” उन्होंने कहा कि संसद का यह विशेष सत्र, ‘नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को सर्मिपत सत्र है. उन्होंने कहा, ”ऐसे में मैं ‘नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को इसरो की महिला वैज्ञानिकों और उनके साथ भारत की पूरी महिला वैज्ञानिक समुदाय को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से प्रस्तुत एक उपहार मानता हूं.”
‘सीना चौड़ा करके’ चीन पर चर्चा के लिए तैयार हूं: रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि वह सदन में चीन के विषय पर ‘सीना चौड़ा करके’ चर्चा के लिए तैयार हैं. उन्होंने सदन में यह टिप्पणी उस वक्त की जब कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह चुनौती दी कि क्या उनमें चीन के बारे में चर्चा करने की हिम्मत है.
सिंह चंद्रयान-3 की सफलता के विषय पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अपनी बात रख रहे थे और उसी दौरान चौधरी ने उन्हें यह चुनौती दी. इस पर सिंह ने कहा, ”पूरी हिम्मत है…अधीर रंजन जी, इतिहास में मत ले जाइए.” इसके बाद रक्षा मंत्री ने कहा, ”चर्चा करने को तैयार हूं, सीना चौड़ा करके चर्चा को तैयार हूं.” इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों में नोकझोंक भी हुई.