हसीना के खिलाफ आईसीसी में मुकदमा चलाना चाहता है बांग्लादेश
बांग्लादेश को अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर बिना देरी के कार्रवाई करनी चाहिए: माकपा
ढाका/नयी दिल्ली. बांग्लादेश पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) में मुकदमा चलाना चाहता है जबकि मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों पर वह घरेलू न्यायाधिकरण में मुकदमे का सामना कर रही हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
मुख्य सलाहकार की प्रेस इकाई के एक अधिकारी ने कहा, ”मुख्य सलाहकार यूनुस ने हसीना के मुकदमे के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) के अभियोजक करीम ए खान के साथ चर्चा की. खान ने यूनुस से उनके आधिकारिक जमुना आवास पर मुलाकात की.” विवादास्पद नौकरी आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद हसीना पांच अगस्त को देश छोड़कर भारत चली गई थीं. तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला था.
अधिकारी ने कहा कि यूनुस ने बुधवार को खान के साथ अपनी बैठक के दौरान उन्हें बताया कि बांग्लादेश हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरोपों को आगे बढ़ाने का इरादा रखता है. हसीना और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के खिलाफ बांग्लादेश के आंतरिक अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) में दर्जनों मामले प्रक्रियाधीन हैं. हसीना के सहयोगियों में से कई जेल में हैं या देश और विदेश में फरार हैं. वहीं ढाका ने हसीना से भारत की वापसी के लिए इंटरपोल की मदद मांगी है.
यूनुस ने पहले कहा था कि उनकी सरकार मुकदमे का सामना करने के लिए भारत से उनकी वापसी का भी प्रयास करेगी. हालांकि, आईसीसी अभियोजक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अदालत आईसीटी-बीडी को सहयोग देना चाहेगा, जिसने अब तक हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी के कई शीर्ष सदस्यों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
प्रेस इकाई के अनुसार, दोनों ने अपनी चर्चा के दौरान रोहिंग्या संकट और उनके लिए मानवीय सहायता, म्यामां की स्थिति के साथ-साथ बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त के जन आंदोलन के दौरान अत्याचारों के अभियोजन और जवाबदेही पर भी चर्चा की. खान ने यूनुस को बताया कि उनके कार्यालय ने रोहिंग्याओं के साथ व्यवहार के संबंध में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए म्यामां की सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग “ाइंग के लिए गिरफ्तारी वारंट का औपचारिक रूप से अनुरोध किया है.
बांग्लादेश को अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर बिना देरी के कार्रवाई करनी चाहिए: माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि धर्म के आधार पर विभाजनकारी राजनीति बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए हानिकारक है. माकपा ने एक बयान में कहा, ”बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. कई घटनाएं हुई हैं, जिनसे उनकी सुरक्षा को खतरा है.”
पार्टी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से बिना देरी किए कार्रवाई करने को कहा. माकपा ने कहा, ”ऐसे समय में जब कट्टरपंथी ताकतें सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने के लिए सक्रिय हैं, बांग्लादेश के अधिकारियों ने सांप्रदायिक हमलों को रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. शांति और सद्भाव के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को बिना देरी किए कार्रवाई करनी होगी.” हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में राजद्रोह के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित विभिन्न स्थानों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.
माकपा ने कहा कि भारत में हिंदुत्ववादी ताकतें कथित तौर पर भड़काऊ प्रचार में लिप्त हैं. बयान में कहा गया, ”इस संबंध में, भारत में हिंदुत्ववादी ताकतें भड़काऊ प्रचार में लिप्त हैं. उनके इरादे संदिग्ध हैं क्योंकि ये वही ताकतें हैं जो मुसलमानों को भड़काने के साथ-साथ अल्पसंख्यकों पर लक्षित हमलों के लिए जिम्मेदार हैं.” पार्टी ने कहा, ”धार्मिक सांप्रदायिकता पर आधारित विभाजनकारी राजनीति बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए हानिकारक है.”